महा सम्मेलन
“मैं दुर्बलों को मजबूत बनाऊंगा”
अप्रैल 2022 महा सम्मेलन


11:59

“मैं दुर्बलों को मजबूत बनाऊंगा”

जब हम स्वयं को दीन करते हैं और यीशु मसीह में विश्वास करते हैं, तो मसीह का अनुग्रह और उसका अनंत प्रायश्चित बलिदान इसे बदलना संभव बनाता है।

अध्यक्ष थॉमस एस. मॉनसन ने एक बार जेल वार्डन क्लिंटन डफी की कहानी बताई थी। “1940 और 1950 के दशक के दौरान, [वार्डन डफी] उनकी जेल में बंद लोगों के पुनर्वास के अपने प्रयासों के लिए जाने जाते थे। एक आलोचक ने कहा, ‘आपको पता होना चाहिए कि तेंदुए अपने धब्बे नहीं बदलते हैं!’

“वार्डन डफी ने जवाब दिया, ‘आपको पता होना चाहिए कि मैं तेंदुओं के साथ काम नहीं करता। मैं मनुष्यों के साथ काम करता हूं, और मनुष्य प्रतिदन बदलते हैं।’”1

शैतान के सब बड़े झूठों में से एक यह है कि पुरुष और महिलाएं बदल नहीं सकते। यह असत्य कई अलग-अलग तरीकों से बताया और दोहराया जाता है क्योंकि दुनिया कहती है कि हम बस बदल नहीं सकते—या इससे भी बदतर, कि हमें बदलना नहीं चाहिए। हमें सिखाया जाता है कि हमारी परिस्थितियां हमें परिभाषित करती हैं। दुनिया कहती है, हमें “जैसे हम वास्तव हैं वैसा ही अपनाना चाहिए और स्वयं के प्रति विश्वसनीय होना चाहिए।

हम बदल सकते हैं

जबकि विश्वसनीय होना वास्तव में अच्छा है, हमें स्वयं के प्रति विश्वसनीय होना चाहिए, परमेश्वर के बेटे और बेटियों के रूप में एक दिव्य प्रकृति और उसके जैसा बनने की नियति के साथ।2 यदि हमारा लक्ष्य इस दिव्य प्रकृति और नियति के प्रति विश्वसनीय होना है, तो हम सभी को बदलना होगा। परिवर्तन के लिए सुसमाचार शब्द पश्चाताप है। अध्यक्ष रसल एम. नेलसन बताते हैं, “अत्यधिक लोग पश्चाताप को दंड समझते हैं—जिस से बचना चाहिए सिवाय कुछ गंभीर परिस्थितियों को छोड़कर। … इसलिये, जब यीशु आप से और मुझ से ‘पश्चाताप’ करने के लिए कहता है, तो वह हमें बदलने के लिए आमंत्रित कर रहा है।”3

परमेश्वर की शर्तें

कंप्यूटर सॉफ्टवेयर बनाने वाले कंप्यूटर से कार्य कराने के लिए नियमबद्ध कथनों का उपयोग करते हैं इन्हें कभी-कभी यदि-तो कथन कहा जाता है। जैसे, यदि x सत्य है, तो y करें।

प्रभु भी नियमों के द्वारा कार्य करता हैं: विश्वास के नियम, धार्मिकता के नियम, पश्चाताप के नियम। परमेश्वर की ओर से नियमबद्ध कथनों के कई उदाहरण हैं जैसे:

“औरयदि तुम मेरी आज्ञाओं का पालन करते और अंत तक धीरज धरते हो [तो] तुम अनंत जीवन प्राप्त करोगे, जोकि परमेश्वर के सभी उपहारों में सर्वोत्तम उपहार है।”4

या “यदि तुम सच्चे हृदय के साथ, वास्तविक उद्देश्य से मसीह में विश्वास करते हुए पूछोगे, [तो] वह पवित्र आत्मा के सामर्थ्य द्वारा तुम पर इसकी सच्चाई प्रकट करेगा।”5

यहां तक कि परमेश्वर का प्रेम, यद्यपि असीमित और परिपूर्ण है, वह भी नियमों के अधीन है।6 उदाहरण के लिए:

यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, [तो] मेरे प्रेम में बने रहोगे; जैसा कि मैंने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं ।.”7

एल्डर डी. टॉड क्रिस्टोफरसन ने इस सुसमाचार की सच्चाई पर आगे विस्तार से बताया: “कुछ कहते हैं,‘मैं जैसा भी हूं, उद्धारकर्ता मुझे प्रेम करता है,’ और यह निश्चित रूप से सच है। लेकिन वह हम में से किसी को भी उसी रूप में अपने राज्य में नहीं शामिल कर सकता है जैसे हम हैं, “क्योंकि कोई अशुद्ध वस्तु वहां नहीं रह सकती, या उसकी उपस्थिति में” नहीं रह सकती’ [मूसा 6:57]। हमारे पापों का समाधान पहले होना चाहिए।”8

दुर्बलताएं मजबूत बन सकती हैं

हमें बदलने में मदद करने के लिए परमेश्वर की आशीष प्राप्त करना भी नियमबद्ध है। भविष्यवक्ता मोरोनी के द्वारा प्रभु के शब्द, आज हमारे पर लागू होते हैं: “और यदि मनुष्य मेरे पास आएंगे तो मैं उन्हें उनकी दुर्बलता दिखाऊंगा। मैं मनुष्यों को दुर्बलता देता हूं ताकि वे विनम्र हो सकें; और उन सारे मनुष्यों के लिए मेरा अनुग्रह पर्याप्त है जो मेरे सामने स्वयं को विनम्र करते हैं; क्योंकि यदि वे स्वयं को मेरे सामने विनम्र करेंगे, और मुझ में विश्वास रखेंगे, तो मैं दुर्बलताओं को उनके लिए मजबूत कर दूंगा।”9

प्रभु हमें यहां जो शिक्षा दे रहा हैं, उस पर अधिक बारीकी से देखते हुए, हमने देखा कि वे पहले पुरुषों और महिलाओं को दुर्बलता देता है, जो हमारे शारीरिक रूप में हमारे नश्वर जीवन का हिस्सा है। आदम के पतन के कारण हम प्राकृति पुरुष और स्त्री बन गए। परन्तु यीशु मसीह के प्रायश्चित के द्वारा, हम अपनी दुर्बलताओं या अपनी पतित प्रकृतियों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।

फिर वह कहता है कि उसका अनुग्रह पर्याप्त है और यदि हम स्वयं को विनम्र करेंगे और उस पर विश्वास करेंगे, तो वह “दुर्बल वस्तुओं [बहुवचन] को [हमारे लिए] मजबूत बना देगा।” दूसरे शब्दों में, जब हम पहले अपने प्राकृति स्वभाव, अपनी दुर्बलता, बदलते हैं तो हम अपने व्यवहार, अपनी दुर्बलताओं को बदलने में सक्षम होंगे।

परिवर्तन की आवश्यकताएं

आइए प्रभु के प्रतिरूप के अनुसार बदलने की आवश्यकताओं की समीक्षा करें:

सबसे पहले हमें स्वयं को विनम्र बनाना चाहिए। परिवर्तन के लिए प्रभु की शर्त दीनता है। “यदि वे मेरे सामने विनम्र हों,”10 उस ने कहा। विनम्रता की विपरीत अभिमान है। घमंड तब होता है जब हम सोचते हैं कि हम बेहतर जानते हैं—जब हमारी सोच या हम जो महसूस करते हैं, वह परमेश्वर की सोच के ऊपर प्राथमिकता ले लेता है।

राजा बिन्यामीन ने सिखाया कि “क्योंकि प्राकृतिक मनुष्य परमेश्वर का शत्रु है, और आदम के पतन के समय से ही शत्रु था, और हमेशा हमेशा के लिए रहेगा, जब तक वह पवित्र आत्मा के आकर्षणों से आकर्षित नहीं होता, और अपनी स्वाभाविक प्रकृति का त्याग कर प्रभु मसीह के प्रायश्चित द्वारा संत बन कर, और बच्चों की तरह आज्ञाकारी, विनम्र, [और] दीन।”11

बदलने के लिए, हमें प्राकृतिक मनुष्य को त्यागने और विनम्र बनने की आवश्यकता है। हमें एक जीवित भविष्यवक्ता का अनुसरण करने के लिए विनम्र होना जरुरी है। मंदिर के अनुबंध बनाने और पालन करने के लिए पर्याप्त विनम्रता। प्रतिदिन पश्चाताप करने के लिए पर्याप्त विनम्रता। हमें इतना विनम्र होना चाहिए कि हम बदलाव करना चाहें, “परमेश्वर के लिए [अपना] हृदय समर्पित कर दें।”12

दूसरा, हमें यीशु मसीह में विश्वास रखना चाहिए। फिर से, उद्धारकर्ता के शब्द: “क्योंकि यदि वे स्वयं को मेरे सामने विनम्र करेंगे, और मुझ में विश्वास रखेंगे,”13 तो मैं दुर्बलताओं को उनके लिए मजबूत कर दूंगा। विनम्रता, यीशु मसीह में विश्वास, उसके अनुग्रह की समर्थकारी शक्ति और उसके प्रायश्चित के कारण हमें उपलब्ध आशीषों तक पहुंचने में मदद करती है।

अध्यक्ष नेलसन ने सिखाया है कि सच्चा पश्चाताप इस विश्वास के साथ शुरू होता है कि यीशु मसीह के पास हमें शुद्ध, चंगा, और मजबूत करने की शक्ति है। यह हमारा विश्वास है जो हमारे जीवन में परमेश्वर की शक्ति को खोलता है।”14

तीसरा, अपनी महिमा से वह दुर्बल बातों को मजबूत बना सकता है। यदि हम स्वयं को विनम्र करते हैं और यीशु मसीह में विश्वास रखते हैं, तो उसका अनुग्रह हमें बदलने में सक्षम करेगा। दूसरे शब्दों में, वह हमें बदलने के लिए मजबूत करेगा। यह संभव है क्योंकि, जैसा कि वह कहता हैं,“सारे मनुष्यों के लिए मेरा अनुग्रह पर्याप्त है।”15 उसकी मजबूती, सक्षम करने वाली कृपा हमें सभी बाधाओं, सभी चुनौतियों और सभी दुर्बलताओं को दूर करने की शक्ति देती है, जब हम बदलना चाहते हैं।

हमारी सबसे बड़ी दुर्बलता हमारी सबसे बड़ी ताकत बन सकती है। हमें बदला जा सकता है और “नए प्राणी बन सकते हैं।”16 दुर्बल बातें सचमुच “[हमारे] लिए मजबूत हो सकती हैं।”17

उद्धारकर्ता ने अपने प्रायश्चित के द्वारा यह मार्ग दिया है ताकि हम वास्तव में बदल सकें, पश्चाताप कर सकें और बेहतर बन सकें। हम वास्तव में नया जन्म ले सकते हैं। हम आदतों, व्यसनों, और यहां तक कि “बुराई करने के स्वभाव” पर भी विजय प्राप्त कर सकते हैं।”18 एक प्यार करने वाले स्वर्गीय पिता के बेटे और बेटियों के रूप में, हमारे पास बदलने की शक्ति है।

बदलाव के उदाहरण

धर्मशास्त्र उन पुरुषों और महिलाओं के उदाहरणों से भरे हुए हैं जो बदल गए थे।

शाऊल, एक फरीसी और शुरुआत के ईसाई गिरजा का उत्पीड़न करने वाला19 पौलुस बन गया, जो प्रभु यीशु मसीह का प्रेरित था।

अलमा दुष्ट राजा नूह के दरबार में एक याजक था। उसने अबिनादी के शब्दों को सुना, पूरी तरह से पश्चाताप किया, और मॉरमन की पुस्तक के महान प्रचारकों में से एक बन गया ।

उसके बेटे अलमा ने अपनी युवावस्था गिरजा को नष्ट करने में बिताई थी। जब तक उसका हृदय पूरी तरह से परिवर्तन नहीं हुआ था वह “पापियों में सबसे नीच था”20 बाद में वह एक शक्तिशाली प्रचारक बन गया।

मूसा को फिरौन के परिवार में गोद लिया गया और मिस्र के राजकुमार के रूप में उसका पालन पोषण हुआ था। लेकिन जब उसे समझ में आया कि वह वास्तव में कौन था और उसने अपने दिव्य भविष्य के बारे में सीखा, तो वह बदल गया और पुराने नियम का महान आज्ञा देने वाला भविष्यवक्ता बन गया।21

मेरी पत्नी के दादा, जेम्स बी. काइसर ने हमेशा मुझे अपने स्वयं के शक्तिशाली हृदय परिवर्तन से प्रभावित किया है।22 1906 में साल्ट लेक घाटी में विश्वासी अंतिम-दिनों के संत और पूर्वज पथप्रदर्शको में जन्मे, उन्होंने कम उम्र में अपनी मां को खो दिया था और अपनी युवावस्था में संघर्ष किया। अपनी किशोरावस्था और युवावस्था कई वर्ष उन्होंने गिरजा से दूर बिताये थे; इस समय के दौरान उन्हें कई बुरी आदतें लग गई थी। फिर भी, उन्होंने एक विश्वासी महिला से मुलाकात की और शादी की और साथ में उन्होंने पांच बच्चों की परवरिश की।

1943 में, महान मंदी के कठिन वर्षों के बाद और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, उन्हें दोस्तों और परिवार द्वारा बुलाया गया, उन्होंने यूटाह छोड़ दिया और रोजगार की तलाश में लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया चले गए। इस दौरान घर से दूर वह अपनी बहन और उनके पति के साथ रहने लगे, जहां उनके बहन के पति वार्ड के धर्माध्यक्ष थे।

अपनी बहन और बहनोई के प्यार और प्रभाव से, उन्होंने गिरजे में अपनी रुचि को पुनर्जीवित करना शुरू कर दिया और हर रात सोने से पहले मॉरमन की पुस्तक पढ़ना शुरू कर दी।

एक रात, अलमा अध्याय 34, पढ़ते समय, निम्नलिखित शब्दों ने उनका दिल छू लिया:

“हां, मैं चाहूंगा कि तुम आगे आओ और अपने हृदयों को अब और कठोर मत करो। …

“क्योंकि देखो, यह समय परमेश्वर से मिलने के प्रति लोगों की तैयारी का समय है; हां, देखो इस जीवन का समय लोगों के परिश्रम करने का समय है।”23

जब वह इन पदों को पढ़ रहे थे, तो उनके मन में एक शक्तिशाली भावना आई और वह जानते थे कि उन्हें बदलना है, पश्चाताप करना है, और वह जान गए थे कि उन्हें क्या करना चाहिए। वह अपने बिस्तर से उठे और घुटने टेककर, प्रभु से क्षमा और अपने जीवन में बदलाव लाने के लिए अधिक शक्ति प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करने लगे। उनकी प्रार्थना का उत्तर दिया गया, और उस के बाद, उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। बड ने गिरजे में सेवा की और अपने जीवन के अंत तक एक विश्वासी, प्रतिबद्ध अंतिम-दिनों के संत बने रहे। वह हर तरह से बदल गए थे। उनका मन, उनका हृदय, उनके कार्य, उनका अस्तित्व ही बदल गया था।

भाइयों और बहनों, हमारी दिव्य नियति और उद्देश्य अंततः हमारे स्वर्गीय पिता और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के समान बनना है। हम ऐसा तब करते हैं जब हम बदलते हैं, या पश्चाताप करते हैं। हम उद्धारकर्ता की “छवि [हमारे] ऊपर प्राप्त करते हैं।”24 हम नए, स्वच्छ, बदल जाते हैं, और हम प्रतिदिन बस उस पर कार्य करना जारी रखते हैं। कभी-कभी ऐसा लगता है कि दो कदम आगे और एक कदम पीछे होते हैं, लेकिन हम विनम्रता से विश्वास में आगे बढ़ते रहते हैं।

और जब हम स्वयं को विनम्र करते हैं और यीशु मसीह में विश्वास करते हैं, तो मसीह का अनुग्रह और उसका अनंत प्रायश्चित बलिदान इसे बदलना संभव बनाता है।

मैं गवाही देता हूं कि यीशु मसीह वास्तव में हमारा उद्धारकर्ता और मुक्तिदाता है। उसका अनुग्रह पर्याप्त है। मैं घोषणा करता हू कि वह “मार्ग, सच्चाई और जीवन” है।”25 यीशु मसीह के नाम में, आमीन।