मसीह के वचनों में आनंद लेना
मसीह के वचन का आनंद लेना किसी भी समय और किसी भी अवसर पर हो सकता है, यदि हम अपने हृदयों को तैयार करते हैं ।
हमारा स्वर्गीय पिता हमसे प्यार करता है । उसने हमें उसकी आशीषों का आनंद लेने के लिए एक परिपूर्ण योजना उपलब्ध कराई है । इस जीवन में, हम सभी को मसीह के पास आने और बपतिस्मा के माध्यम से यीशु मसीह के पुनास्थापित सुसमाचार को प्राप्त करने, पवित्र आत्मा का उपहार प्राप्त करने, और ईमानदारी से सुसमाचार को जीने के लिए आमंत्रित किया गया है । नफी ने बपतिस्मा लेने की हमारी प्रतिबद्धता को “तंग और संकरे रास्ते” में प्रवेश करने के रूप में वर्णन किया है, और वह हमें “मसीह में दृढ़ता से आगे बढ़ते रहने के लिए, … मसीह की वाणी के का प्याला पीते हुए, और अंत तक धीरज धरते हुए,” की याद दिलाता है, स्वर्गीय पिता के सभी आशीषों प्राप्त करने के लिए जो उसने हमारे लिए रखीं हैं 2 नफी 31:19-20।
नफी आगे याद दिलाता है कि यदि हम “मसीह के वचनों में आनंदित रहते हैं,” तो वे “[हमें] उन सब कार्यों के विषय में बताएंगे जो [हमें] करने चाहिए” 2 नफी 32:3और कि हमें “शत्रु के जलते गर्म तीर” पर विजय प्राप्त करने की शक्ति दी जाएगी 1 नफी 25:24 ।
आनंद लेना क्या है ?
जब मैं छोटा था, मुझे लगता था कि चावल, सुशी और सोया सॉस के साथ भोजन करने से ही आनंद मिलता था । अब मुझे पता है कि सच में भोजन का आनंद लेना स्वादिष्ट भोजन से कहीं बढ़कर है । यह खुशी, पोषण, समारोह, बांटने, परिवारों और प्रियजनों के लिये प्रेम व्यक्त करने, परमेश्वर के प्रति हमारा आभार प्रकट करने और भरपूर, अत्याधिक स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेते हुए संबंधों का निर्माण करने का अनुभव है । मैं मानता हूं कि जब हम मसीह के शब्दों का आनंद लेते हैं, तो हमें उसी तरह के अनुभव के बारे में सोचना चाहिए । धर्मशास्त्रों का आनंद लेना सिर्फ उन्हें पढ़ना नहीं है । इसे हमें वास्तविक आनन्द देना चाहिए और उद्धारकर्ता के साथ हमारे संबंध का निर्माण करना चाहिए ।
इसे मॉरमन की पुस्तक में स्पष्टरूप से सीखाया गया है । लेही के सपने को याद करें जहां उसने एक वृक्ष देखा “जिसके फल किसी को भी आनंदित करने के लिये आकृषक थे ।” यह फल परमेश्वर के प्रेम को दर्शाता है, और जब लेही ने इस फल को चखा, तो “यह अत्याधिक मीठा था, इतना मीठा … [उसने] पहले कभी नहीं चखा था ।” इससे “[उसकी] आत्मा महान आनंद से परिपूर्ण हो गई” और इसे वह अपने परिवार के साथ बांटना चाहता है1 नफी 8:10-12 ।
जब हम भोजन का आनंद लेते हैं, तो हमें इससे फर्क नहीं पड़ेगा कि भोजन कितना या कैसा है, यदि हमारे हृदय कृतज्ञता से भरे होते हैं । लेही का परिवार निर्जन प्रदेश में कच्चे मांस पर गुजारा करते था, लेकिन नफी ने इस कठिन परिक्षा को यह कहते हुए बताया, “प्रभु की आशीषें हमारे ऊपर इतनी महान थी” कि “हमारी स्त्रियां सशक्त थीं” और उन्होंने बच्चों को “बिना बड़बड़ाए” बहुतायात से दूध पिलाया 1 नफी 17:1-2 ।
भोजन का आनंद लेने में कई बार परिक्षण करना और चखना शामिल होता है । अलमा हमारे हृदयों में अच्छे बीच बोए जाने के बारे बोलता है । जब हम इसका उपयोग करने लगते हैं, तो हम महसूस करेंगे कि बीज “स्वादिष्ट लगने” लगा है (देखेंअलमा 32:28–33)।
मसीह के वचनों का आनंद लेना
मसीह के वचनों का आनंद लेने की आशीषें शक्तिशाली और जीवन बदलने वाली होती हैं । मैं विशेषरूप से तीन को आपको अपने जीवन में लागू करने का निमंत्रण देना चाहता हूं ।
पहला, मसीह के शब्द “प्रकटीकरण प्राप्त करने की [हमारी] आत्मिक क्षमता” बढ़ाने में मदद कर सकते हैं (Russell Nelson, “Revelation for the Church, Revelation for Our Lives,” Liahona, मई 2018, 96) और सुरक्षित रूप से हमारे जीवन के दौरान हमारा मार्गदर्शन करते हैं । मॉरमन सीखाता है कि मसीह के शब्दों में “लोगों को नैतिकता के कार्य करने के लिए राह दिखाने की उत्तम प्रवृत्ति होती [है], और कि वे किसी भी कार्य को करने के लिये “तलवार” से अधिक शक्तिशाली होते हैं (अलमा 31: 5) । जब मैंने अपनी चुनौतियों का सामना करने के लिये परमेश्वर के ज्ञान की खोज की है, हमेशा, जब मैंने “परमेश्वर के वचन के गुण” को अजमाया है, (अलमा 31:5), तो मैंने स्वयं को प्रेरित और योग्य महसूस किया है, और अपने जीवन को मसीह में अधिक विश्वास और अपने आसपास के लोगों के लिये प्रेम से आशीषित किया है । आलोचनात्मक रूप से, हमारे भविष्यवक्ता, रसेल एम. नेलसन ने हमें सिखाया है कि “आने वाले दिनों में, पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन, निर्देशन, दिलासा और निरंतर प्रभाव के बिना आत्मिक रूप से जीवित रहना संभव नहीं होगा” (“Revelation for the Church, Revelation for Our Lives,” 96) । आवश्यक प्रकटीकरण प्राप्त होंगे जब हम “वचन के गुण” को आजमाते हैं, और वह वचन किसी भी उस कार्य से अधिक शक्तिशाली होगें जिसकी हम कोशिश या कल्पना कर सकते हैं ।
दूसरा, जब हम अपनी स्वयं की पहचान और आत्म-सम्मान की कमी से संघर्ष करते हैं, तो धर्मशास्त्रों में “परमेश्वर के प्रिय वचन” याकूब 2: 8) हमें यह जानने में मदद करेंगे कि हम वास्तव में कौन हैं और हमें अपनी स्वयं से अधिक शक्ति प्रदान करेंगे । परमेश्वर के बच्चे के रूप में अपनी पहचान को पहचानना मेरे लिए अब तक के मधुरत्तम क्षणों में से एक था । अपनी आरंभिक किशोरावस्था में, मुझे उद्धारकर्ता की शिक्षाओं के बारे में कुछ भी नहीं पता था । जब मैंने पहली बार नया नियम पढ़ा, तो मसीह के शब्दों ने वास्तव में मेरी घायल आत्मा को चंगा किया । मुझे महूसस हुआ कि मैं अकेला नहीं था और मैं परमेश्वर का बच्चा हूं । जब मैंने परमेश्वर के सामने अपनी वास्तविक पहचान को पहचाना, तो मुझे मसीह के प्रायश्चित के द्वारा अपनी असीम क्षमता का एहसास हुआ ।
इनोस ने इसी प्रकार आत्मज्ञान के अपने व्यक्तिगत अनुभव को बांटा है जो मसीह के वचनों पर मनन करने से आता है । जब इनोस ने उन वचनों को जो उसके पिता ने उसे “अनन्त जीवन, और संतों के आनंद, [अपने] हृदय में गहरे [डूबने] दिया,” तो उसकी आत्मा को “भूख लगी; और अपने बनाने वाले सम्मुख शक्तिशाली प्रार्थना में घुटने के बल झुक गया” इनोस 1: 3–4 । उस प्रार्थना में उसने उद्धारकर्ता को जाना और सीखा कि हमारा मूल्य बहुत है, हमसे प्रेम किया जाता है और हमारी गलतियां माफ की जा सकती हैं, और हम सच में परमेश्वर के बच्चे हैं ।
तीसरा, हम दूसरों के जीवन को मसीह के वचनों के माध्यम से ऊपर उठा सकते हैं । ठीक जिस प्रकार इनोस का अपना समय और स्थान था, जहां मसीह के वचनों ने उसके हृदय को प्रभावित किया था, उसी प्रकार प्रभु उन लोगों के हृदयों को छूने के लिए अपना काम करेगा जिसके साथ हम सुसमाचार बांटना चाहते हैं । हममें से बहुत से लोग निराश हो सकते हैं जब हम किसी को सुसमाचार सुनने के लिए आमंत्रित करने का प्रयास करते हैं और वैसे परिणाम नहीं होते हैं जैसे हम चाहते हैं । परिणाम चाहे जो भी हो, प्रभु हमें अपना मुंह खोलने और उनके साथ सुसमाचार संदेश बांटने के लिए आमंत्रित करता है ।
दो साल पहले, प्रभु ने मेरी प्यारी मां के हृदय को छूआ, जिससे उन्हें बपतिस्मा की विधि प्राप्त करने में मदद मिली । मैंने लगभग 35 वर्ष तक इस दिन का इंतजार किया था । उस निर्णय को लेने के लिए, गिरजे के कई सदस्यों ने वास्तव में उन की मसीह के समान में सेवा की । एक रविवार, उन्होंने महसूस किया कि उन्हें गिरजा जाना चाहिए । उन्होंने उस प्रेरणा का अनुसरण किया । जब वह सामने की पंक्ति में बैठी थी और प्रभु-भोज सभा आरंभ होने का इंतजार कर रही थी, एक चार साल का लड़का उसके सामने खड़ा हुआ और उनकी ओर देखने लगा । तो उन्होंने मुस्कराते हुए उसका अभिवादन किया । वह छोटा लड़का तुरंत उनके सामने चला गया और अपनी स्वयं की सीट पर वापस चला गया, जो उस पंक्ति के दूसरी ओर थी जहां मेरी मां बैठी थी । इस छोटे से लड़के ने अपनी सीट से कुछ उठाया और वापस आकर मेरी मां को गीत की किताब सौंप दी और वापस अपनी सीट पर चला गया । मेरी मां ने देखा कि गिरजे की हर दूसरी कुर्सी पर एक गीत की किताब रखी हुई थी । वह आसानी से अपनी बगल वाली कुर्सी से एक किताब उठा सकती थी । फिर भी, वह उसे लड़के के दयालु कार्य से बहुत प्रभावित हुई, जिसे उसने अपने घर और गिरजे में सीखा था । यह उनके लिए एक कोमल क्षण था । उन्हें इस बात का आभास था कि परमेश्वर उन्हें उद्धारकर्ता के निकट आने और अनुसरण करने के लिए आमंत्रित कर रहा है । उन्होंने महसूस किया कि उन्हें बपतिस्मा लेना चाहिए । इस छोटे लड़के ने जो किया उसके लिए उसने कोई पहचान नहीं चाही, उसने बस परमेश्वर के वचन को जीने और अपने पड़ोसी से प्रेम करने के लिये अपना सर्वोत्तम किया । उसकी दयालुता ने मेरी मां के हृदय में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन किया ।
मसीह के शब्द गहराई से दिलों को छूएंगे और उन लोगों की आँखें खोलेंगे जो अभी तक उन्हें नहीं देखते हैं। इम्माऊस के मार्ग पर, दो शिष्य यीशु के साथ चले । वे दुखी थे और यह नहीं समझ पाए थे कि उद्धारकर्ता मृत्यु पर विजय प्राप्त कर चुका है । अपने दुख में, उन्होंने यह नहीं पहचाना कि जीवित मसीह उनके साथ चल रहा था । हालांकि यीशु ने उन्हें “अपने विषय में धर्मशास्त्रों की सभी बातों का अर्थ उन्हें समझा दिया,” फिर भी उन्होंने उसे तब तक जीवित पुनरुत्थानकर्ता के रूप में नहीं पहचाना जब तक उसने उनके साथ बैठकर रोटी नहीं खाई फिर उनकी “आंखें” खुलीं । जब हम या हमारे मित्र, सहयोगी और पड़ोसी- आनंद का भोजन करते और उसके साथ रोटी तोड़ेंते हैं, तो हमारी समझ की आंखें खुल जाएंगी । जब इम्माऊस में शिष्यों ने पुनर्जीवित उद्धारकर्ता के साथ अपने समय पर विचार किया, तो उन्होंने कहा कि उनके मन में उत्तेजना न उत्पन्न हुई थी जब उसने उन्होंने उनके लिए धर्मशास्त्र खोले थे देखें लूका 24: 27-32 । यह हम सभी के लिए सच होगा ।
समाप्ति
अंत में, मैं अपनी गवाही देता हूं कि मसीह के वचन का आनंद लेना किसी भी समय और अवसर पर हो सकता है, यदि हम अपने हृदय इन्हें स्वीकार करने के लिये तैयार करते हैं । मसीह के वचनों का आनंद लेने से जीवन-समर्थन देने वाले प्रकटीकरण, परमेश्वर के बच्चे के रूप में हमारी स्वयं की पहचान और मूल्य की पुष्टि लाएंगे, और हमारे मित्रों को मसीह और अनंत जीवन की ओर ले जाएंगे । मैं नफी के निमंत्रण के साथ अंत करना चाहता हूं जब उसने कहा था: “तुम मसीह में दृढ़ता से विश्वास करते हुए, आशा की परिपूर्ण चमक, और परमेश्वर और सभी मनुष्य से प्रेम करते हुए, हमेशा आगे बढ़ते चलो । इसलिये, यदि तुम, मसीह की वाणी का प्याला पीते हुए, और अंत तक धीरज धरते हुए, आगे बढ़ते रहोगे, सुनो पिता इस प्रकार कहता है: तुम्हें अनंत जीवन मिलेगा” 2 नफी 31:20 । यीशु मसीह के नाम में, आमीन ।