महा सम्मेलन
एक धर्मी निर्णय सुनिश्चित करना
अप्रैल 2020 महा सम्मेलन


9:46

एक धर्मी निर्णय सुनिश्चित करना

एक धर्मी निर्णय को सुनिश्चित करने के लिए, उद्धारकर्ता का प्रायश्चित बलिदान अज्ञानता और दूसरों के कारण चोट के दर्दनाक कांटों को दूर कर देगा ।

मॉरमन की पुस्तक मसीह के सिद्धांत को सिखाती है

पिछली अक्टूबर, अध्यक्ष रसल एम. नेलसन ने हमें इस बात पर विचार करने के लिए चुनौती दी कि यदि हम से “मॉरमन की पुस्तक से प्राप्त ज्ञान को अचानक से छीन लिया जाये तो हमारा जीवन कैसा होगा ।”1 मैंने उनके प्रश्न पर विचार किया, और मुझे यकीन है कि आप में से बहुतों ने किया होगा । एक विचार बार—बार आया है मॉरमन की पुस्तक के बिना, मसीह के सिद्धांत और उसके प्रायश्चित बलिदान की स्पष्टता के बिना, मैं शांति पाने के लिए कहां जाऊंगा ?

मसीह के सिद्धांत—जिसमें बचाने वाले नियम और विधियां शामिल हैं, मसीह में विश्वास, पश्चाताप, बपतिस्मा, पवित्र आत्मा का उपहार, और अनंत तक धीरज रखना—पुनःस्थापित धर्मशास्त्रों में कई बार सिखाया जाता है लेकिन केवल विशेष शक्ति के साथ मॉरमन की पुस्तक में सिखाया गया है ।2 इसका सिद्धांत मसीह में विश्वास के साथ आरंभ होता है, और इसकी हर एक बात प्रायश्चित बलिदान पर विश्वास करने पर निर्भर करती है ।

जैसा कि अध्यक्ष नेलसन ने सिखाया है, “मॉरमन की पुस्तक यीशु मसीह के प्रायश्चित की पूरी और सबसे अधिक आधिकारिक जानकारी प्रदान करती है ।”3 जितना अधिक हम उद्धारकर्ता के महान उपहार के बारे में समझते हैं, उतना ही हम जानेगे, हमारे मनों में और हमारे हृदयों में, 4 अध्यक्ष नेलसन के आश्वासन की वास्तविकता के अनुसार “मॉरमन की पुस्तक की सच्चाई जिस में हमारी आत्माओं को चंगा करने, आराम देने, नया करने, राहत देने, मजबूत करने, सांत्वना देने और खुशी देने की शक्ति है । “5

उद्धारकर्ता का प्रायश्चित न्याय की सभी मागों को पूरा करता है

उद्धारकर्ता के प्रायश्चित के बारे में हमारी समझ के लिए मॉरमन की पुस्तक का एक महत्वपूर्ण और शांति-प्रदान करने वाला योगदान है, यह सिखाती है कि मसीह का दयापूर्ण बलिदान न्याय की सभी मांगों को पूरा करता है । जैसा की अलमा ने बताया हैं :“परमेश्वर ने स्वयं संसार के पापों के लिए प्रायश्चित किया, दया की योजना को लाने के लिए, न्याय की मांग को पूरा करने के लिए, ताकि परमेश्वर परिपूर्ण, न्यायी परमेश्वर हो सके, और दयावान परमेश्वर भी ।”6 पिता की दया की योजना7 —जिसे धर्मशास्त्र में सुख की योजना भी कहते हैं 8 या उद्धार की योजना9—तब तक पूरी नहीं की जाएगी जब तक कि न्याय की सभी मांगों को पूरा नहीं किया जायेगा ।

लेकिन वास्तव में “न्याय की मांग” क्या है ? अलमा के अनुभव पर विचार करें । याद रखें कि, एक युवा व्यक्ति के रूप में, अलमा का “गिरजे को नष्ट करने” का उद्देश्य था ।”10 वास्तव में, अलमा ने अपने बेटे हिलामन को बताया कि वह “नरक के कष्ट से परेशान” था क्योंकि उसने “परमेश्वर की कई संतानों की हत्या” की, जिन्हें उसने उन्हें गलत और “नष्ट कर देने वाले” मार्ग पर डाल दिया था ।11

अलमा ने हिलामन को समझाया कि शांति आखिरकार उसके पास तब आई जब उसने अपने पिता की शिक्षा को “मन से स्वीकार किया’’ की “यीशु मसीह आने वाला है … दुनिया के पापों का प्रायश्चित करने के लिए ।”12 एक पश्चातापी अलमा ने मसीह की दया के लिए प्रार्थना की13 और तब आनंद और राहत महसूस की जब उसे पता चला कि मसीह ने उसके पापों के लिए प्रायश्चित किया और भुगतान किया जिसकी न्याय को आवश्यकता थी । फिर, न्याय आलमा से क्या चाहता है ? जैसा बाद में अलमा ने स्वयं सिखाया था, “और कोई भी अशुद्ध वस्तु परमेश्वर के राज्य का उत्तराधिकरी नहीं हो सकती है ।”14 इस प्रकार, अलमा की राहत का हिस्सा यह रहा होगा कि जब तक दया ने हस्तक्षेप नहीं किया, तब तक न्याय उसे स्वर्गीय पिता के साथ रहने से रोका रहेगा ।15

उद्धारकर्ता उन घावों को ठीक कर देता है जिसे हम ठीक नहीं कर सकते

लेकिन क्या अलमा की खुशी पूरी तरह से स्वयं पर केंद्रित — उसकासजा से बचना और उसका पिता के पास वापस जाने में सक्षम होना ? हम जानते हैं कि अलमा ने उन लोगों के बारे में भी कहा था, जिन्हें उसने सच्चाई से दूर कर दिया था ।16 लेकिन अलमा उन सभी को वापस नहीं ला पाया जिन्हें उसने बहका कर दूर कर दिया था । वह स्वयं भी सुनिश्चित नहीं कर सकता था कि उन्हें मसीह के सिद्धांतो को सीखने का मौका भी मिलेगा और नियमो का पालन करके आशीषें मिल पायेगी । वह उन लोगों को भी वापस नहीं ला सका जिनकी मृत्यु हो चुकी थी, जो अब भी उसके झूठे उपदेश से अंधे हो चुके थे ।

अध्यक्ष बॉयड के. पैकर ने एक बार सिखाया था कि: “एक सोच जिसने अलमा को बचाया … यह है: उसे पुनःस्थापित करना जिसे आप पुनः स्थापित नहीं कर सकते हैं, उस घाव को ठीक करना जिसे आप ठीक नहीं कर सकते, उसे जोड़ना जिसे आप नहीं जोड़ सकते हैं, यही मसीह के प्रायश्चित के उद्देश्य हैं ।”17 आनंदमय सत्य, जिस ने अलमा के मन में ‘’जगह’’ बनाई थी, वह यह नहीं था कि वह सिर्फ स्वयं की ही चंगाई हासिल करे, बल्कि यह भी कि जिन लोगों को उसने बहकाया था, उन्हें भी चंगा किया जा सके और पूरी तरह से चंगा किया जा सके ।

उद्धारकर्ता का बलिदान एक धर्मी निर्णय सुनिश्चित करता है

अलमा को इस आश्वस्त सिद्धांत द्वारा बचाए जाने से वर्षों पहले, राजा बिन्यामीन ने उद्धारकर्ता के प्रायश्चित बलिदान द्वारा दी गई चंगाई को विस्तार से सिखाया था । राजा बिन्यामीन ने घोषणा की थी कि “बहुत आनंद समाचार” उसे “परमेश्वर से एक स्वर्गदूत के द्वारा दिया गया था ।”18 आनंद के उन समाचारों के बीच, सच्चाई यह थी कि मसीह हमारे पापों और गलतियों के लिए मारा जायेगा और यह सुनिश्चित होने के लिए “एक धर्मी न्याय मनुष्य की संतान के बीच किया जा सके ।”19

क्या वास्तव में “धर्मी न्याय” की आवश्यकता है ? अगले वचन में, समझाया था कि, धर्मी न्याय को सुनिश्चित करने के लिए, उद्धारकर्ता का प्रायश्चित “उन लोगों के पापों के लिए” था, जिनका आदम के पापों के कारण से पतन हो गया था “और उन लोगों के लिए” जो परमेश्वर की इच्छा को जाने बगैर मर चुके हैं, या जिन्होंने अज्ञानतावश पाप किया । ”20 उसने सिखाया था कि एक धर्मी न्याय की यह भी आवश्यकता थी, कि “मसीह के लहू का प्रायश्चित छोटे बच्चों के पापों के लिए भी किया जाए”।21

ये धर्मशास्त्र एक शानदार सिद्धांत सिखाते हैं—उद्धारकर्ता का प्रायश्चित बलिदान चंगाई देता है, एक मुफ्त उपहार के रूप में, जो लोग अज्ञानतावश—में पाप करते हैं, उनके लिए, जैसा याकूब ने कहा था, “कोई व्यवस्था नहीं दी जाती ।”22 पाप के लिए जवाबदेही उस प्रकाश पर निर्भर करती है जो हमें दी गई है और जो हमारी स्वतन्त्रता को उपयोग करने की क्षमता पर स्थापित है ।23 हम इस चंगाई और आनंद की सच्चाई को केवल मॉरमन की पुस्तक और अन्य पुनर्स्थापित धर्मशास्त्रों के कारण ही जानते हैं ।24

बेशक, जहां व्यवस्था दी गई है, और जहां हम परमेश्वर की इच्छा को जानते है, वहां हम जवाबदेही होते हैं । जैसा कि राजा बिन्यामीन ने जोर देकर कहा था: “लेकिन हाय, हाय उस पर जो यह जानता है कि वह परमेश्वर के विरूद्ध विद्रोह कर रहा है ! प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास और पश्चाताप के माध्यम से ही मुक्ति मिलती है इसके बिना कोई उद्धार नहीं पा सकता है ।25

यह भी मसीह के सिद्धांत का आनंदित सुसमाचार है । उद्धारकर्ता न केवल चंगा करता है बल्कि उन लोगों को पुनर्स्थापित भी करता है जो अज्ञानतावश पाप करते हैं, जो प्रकाश के विरूद्ध पाप करते हैं, उद्धारकर्ता उनके लिए पश्चाताप और उस पर विश्वास करने की शर्त पर उन्हें चंगाई प्रदान करता है ।26

अलमा इन दोनों सच्चाइयों को “समझ” गया होगा । क्या अलमा ने वास्तव में महसूस किया था जिसका वर्णन वह “ उत्तम… आनंद” के रूप में करता है27 अगर सोचा था कि मसीह ने उसे तो बचाया लेकिन उन्हें हमेशा के लिए छोड़ दिया जिन लोगों को उसने नुकसान पहुंचाया और सच्चाई से दूर किया था ? बिलकुल नहीं । अलमा को पूरी शांति महसूस करने के लिए, उन्हें भी चंगाई हासिल करने का अवसर मिलना चाहिए था जिन लोगों को उसने नुकसान पहुंचाया ।

लेकिन वास्तव में वह कैसे—या जिन्हें हम नुकसान पहुंचाते हैं—चंगे किये जायेंगे ? यद्यपि हम पवित्र प्रक्रिया को पूरी तरह से नहीं समझ पाते हैं, जिसके द्वारा उद्धारकर्ता का प्रायश्चित बलिदान चंगाई और पुनर्स्थापित करता है, हम जानते हैं कि एक धर्मी न्याय को सुनिश्चित करने के लिए, उद्धारकर्ता अज्ञानतावश और दूसरों की वजह से चोट के दर्दनाक कांटों को हटाएगा ।28 इसके द्वारा वह सुनिश्चित करता है कि परमेश्वर की सभी संतानों को मौका दिया जाएगा, बिना किसी अस्पष्ट दृष्टि के, चुनाव के लिए और खुशी की महान योजना को स्वीकार करने के लिए ।29

उद्धारकर्ता सब ठीक कर देगा जिसे हमने तोड़ दिया है

यह वे सच्चाई है जिसने अलमा को शांति दी थी । और इन्हीं सच्चाइयों से हमें भी महान शांति मिलेगी । संसारिक पुरुषों और महिलाओं के रूप में, हम सभी टक्कर मारते हैं, या कभी-कभी चोट खाते हैं, एक दूसरे में टकराते हैं और नुकसान पहुंचाते हैं । जैसा कि कोई भी माता-पिता गवाही दे सकते हैं, हमारी गलतियों से जुड़ा दर्द केवल हमारी स्वयं की सजा का डर नहीं है, बल्कि यह डर कि हम अपने बच्चों की खुशी को भी सीमित कर सकते हैं या किसी तरह से उन्हें सच्चाई को देखने और समझने से रोकते हैं । उद्धारकर्ता के प्रायश्चित बलिदान का महान वादा यह है कि, जहां तक माता-पिता के रूप में हमारी गलतियों का सवाल है, वह इसके लिए हमारे बच्चों को दोषी नहीं मानता और उनको चंगाई देने का वादा करता हैं ।30 और बेशक उन्होंने प्रकाश के खिलाफ पाप किया हो—जैसा कि हम सभी करते हैं—उसकी दया का हाथ बढ़ेगा 31 और वे उन्हें बचाएगा यदि वह उसकी ओर देखते हुए जीवन जीते हैं । 32

हालांकि उद्धारकर्ता के पास उसे सुधारने की शक्ति है जिसका सुधार हम नहीं कर सकते, वो हमें आज्ञा देता है की पश्चाताप को पूरा करने के लिए हम क्षतिपूर्ति करें ।33 हमारे पाप और गलतियां न केवल परमेश्वर के साथ हमारे संबंधों को बल्कि दूसरों के साथ भी हमारे संबंधों को विस्थापित करती हैं । कभी-कभी चंगा करने और पुनः निर्माण करने के हमारे प्रयास माफी के रूप में सरल हो सकते हैं, लेकिन अन्य समय की प्रत्यास्थापन के लिए वर्षों के विनम्र प्रयास करने की आवश्यकता हो सकती है ।34 फिर भी, हमारे कई पापों और गलतियों के कारण, हम उन लोगों को पूरी तरह से ठीक नहीं कर पाते हैं जिन्हें हमने चोट पहुंचाई है । मॉरमन की पुस्तक की शानदार, शांति देने वाली प्रतिज्ञा और पुनर्स्थापित सुसमाचार यह है कि उद्धारकर्ता उन सब को सुधार देगा जिसे हमने तोड़ दिया है ।35 यदि हम अपने द्वारा की हुई बुराइयों के लिए पश्चाताप करें और उस की तरफ विश्वास से आगे बढ़ें, तो वह हमारा भी उद्धार करेगा ।36 वह इन दोनों उपहारों को प्रदान करता है क्योंकि वह हम सभी से बहुत 37 प्रेम करता हैं और क्योंकि वह धार्मिक न्याय करने के लिए प्रतिबद्ध है इसलिए वो न्याय और दया दोनों का सम्मान करता है । मैं यह गवाही यीशु मसीह के नाम में देता हूं, आमीन ।

विवरण

  1. रसल एम. नेलसन, “समापन टिप्पणियां,” लियाहोना, नवम्बर. 2019, 122 ।

  2. देखें;2 नफी 31; 3 नफ़ी 11:28, 32, 35, 39–40; सिद्धांत औरअनुबंध 10:62–63, 67–70; 68:25;मूसा 6:52–54; 8:24; विश्वास के अनुच्छेद 1:4

  3. रसल एम. नेलसन,“मॉरमन की पुस्तक: इसके बिना आपका जीवन कैसा होता?” लियाहाेना, नवं. 2017, 62 ।

  4. देखें सिद्धांत और अनुबंध 8:2–3

  5. रसल एम. नेलसन,“मॉरमन की पुस्तक: इसके बिना आपका जीवन कैसा होता?” 62 ।

  6. अलमा 42:15

  7. देखेंअलमा 42:15

  8. देखेंअलमा 42:8

  9. देखें अलमा 24:14; मूसा 7:62

  10. देखें मुसायाह 27:8–10

  11. अलमा 36:13, 14

  12. अलमा 36:17, 18

  13. देखें अलमा 36:18

  14. अलमा 40:26;1 नफी 15:34; अलमा 7:21; 11:37; हिलामान 8:25भी देखें ।

  15. देखें3 नफी 27:19;मूसा 6:57 भी देखें ।

  16. देखें अलमा 36:14-17

  17. Boyd K. Packer, “The Brilliant Morning of Forgiveness,” Ensign, Nov. 1995, 19–20.

  18. मुसायाह 3::2, 3

  19. मुसायाह 3:10; महत्त्व दिया गया है ।

  20. मुसायाह 3:11; यह भी देखें 2 नफी 9:26

  21. मुसायाह 3:16; मुसायाह 15:25; मोरोनी 8:11–12, 22 भी देखें ।

  22. 2 नफी 9:25

  23. देखें 2 नफी 2:26-27; हिलामान 14:29–30

  24. देखें विश्वास के अनुच्छेद 1:2; सिद्धांत और अनुबंध 45:54भी देखें । मृतकों के लिए बपतिस्मे के सिद्धांत पर विस्तार करते हुए, भविष्यवक्ता जोसफ ने एक बार कहा था: “जबकि मानव जाति का एक हिस्सा जो दया के बिना न्याय कर रहा है और दूसरे की निंदा भी कर रहा है, संसार के महान अभिभावक पूरे मनुष्य परिवार को एक पिता के संबंध के साथ देखता हैं; वह उन्हें अपनी संतान के रूप में देखता है । … वह एक बुद्धिमान नियम बनानेवाला है, और वह सभी पुरुषों का न्याय करेगा,न कि पुरुषों की संकरा, अनुबंधित धारणाओं के अनुसार । … वह उनका न्याय करेगा, ‘उसके अनुसार नहीं जो उनके पास नहीं है, लेकिन उसके अनुसार जो उनके पास है’; जो लोग व्यवस्था के बिना रह चुके हैं, उनका व्यवस्था के बिना न्याय किया जाएगा, और जिनके पास व्यवस्था है, उनका व्यवस्था द्वारा न्याय जाएगा । हमें महान यहोवा के ज्ञान और बुद्धि पर संदेह करने की आवश्यकता नहीं है; वह सबको उनके भले या बुरे गुण के अनुसार न्याय या दया प्रदान करेगा, उसका मकसद बुद्धिमत्ता को हासिल करना हैं, वह कानून जिनके आधार पर वे शासित होते हैं, सुविधाओं ने उन्हें सही जानकारी प्राप्त करने का अधिकार दिया है, और … हम सभी को अंततः स्वीकार करना होगा कि पृथ्वी पर न्याय सही प्रकार से किया है ” ” (गिरजा के अध्यक्षों का शिक्षण: जोसफ स्मिथ[2007], 404) ।

  25. मुसायाह 3:12; यह भी देखें 2 नफी 9:27

  26. देखें मुसायाह 3:12; हिलामन 14:30; मोरोनी 8:10; सिद्धांत और अनुबंध 101:78 । कुछ लोग आज्ञाओं और वाचाओं से अंजान हो जाते हैं या कुछ परिस्थितियों में अपनी स्वतन्त्रता का उपयोग करने में असमर्थ रहते हैं लेकिन फिर भी मसीह की ज्योति के कारण वह भी जवाबदेह ठहराये जाएगे (देखें 2 नफी 9:25; मोरोनी 7:16–19) । उद्धारकर्ता, जो हमारा न्याय करने वाला हैं और जिसने एक धार्मिक न्याय का आश्वासन दिया है, वह इन परिस्थितियों का अंतर समझाएगा ।(देखें मॉरमन 3:20; मूसा 6:53–57) । और उन्होंने दोनों के लिए कीमत दी है—पहली बिना किसी शर्त और बाद में पश्चाताप करने की शर्त पर ।

  27. अलमा 36:21

  28. देखें मुसायाह 3:11; डी. टॉड क्रिस्टोफरसन भी देखें, “मुक्ति,” लियाहोना, मई 2013, 110; अलमा 7:11–12 (“वह अपने लोगों की पीड़ा और बीमारी को अपने ऊपर ले लेगा । … और वह उन्हें उनकी दुर्बलताओं पर संभाल लेगा”); यशायाह 53:3–5 (“निश्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दुःखों को उठा लिया”); 61:1–3 (“क्योंकि यहोवा ने सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया… और मुझे इसलिए भेजा है कि खेदित मन के लोगों को शान्ति दूं,… और सिय्योन के विलाप करनेवालों के सिर पर की राख दूर करके सुन्दर पगड़ी बाँध दूँ, कि उनका विलाप दूर करके हर्ष का तेल लगाऊं ”) । यह निर्देशात्मक है कि उद्धारकर्ता ने यशायाह में इन पदों से उसने अपने मसीहा होने की घोषणा की: “आज ही यह लेख तुम्हारे सामने कानों में पूरा हुआ है(देखेंलूका 4:16–21) ।

  29. आत्मिक दुनिया में, “सुसमाचार को अज्ञानी, अपरिग्रही और विद्रोहीयो के बीच प्रचार किया जाता है, ताकि उन्हें उनके बंधन से मुक्त किया जा सके और वे आशीषों के लिए आगे बढ़ें जो एक प्रिय स्वर्गीय पिता ने उनके लिए रखी है” (डालिन एच. ओक्स), “ प्रभु में भरोसा करना ,” लियाहोना, नवं. 2019, 27) । देखें 1 पतरस 4:6; 2 नफी 2:11–16; सिद्धांत और अनुबंध 128:19; 137:7–9; 138:31–35

  30. देखें मूसा 6:54 । अध्यक्ष एम. रुसेल बलार्ड ने आत्महत्या के संबंध में इस सिद्धांत को पढ़ाया: “केवल परमेश्वर ही सभी बाते जानता है, और वह ही है जो पृथ्वी पर हमारे कामों का न्याय करेगा । जब वह हमारा न्याय करेगा, तो मुझे लगता है कि वह सभी बातों को ध्यान में रखेगा: हमारा जेनेटिक और केमिकल मेकअप, हमारी मानसिक स्थिति, हमारी बौद्धिक क्षमता, हमें जो शिक्षाए मिली हैं, हमारे अभिवावकों की परम्पराए, हमारी सेहत और बहुत कुछ । हम धर्मशास्त्रों में सीखते हैं कि मसीह का लहू मानव जाति के पापों के लिए प्रायश्चित करेगा, जो परमेश्वर की इच्छा को न जानते हुए मर गए, या जिन्होंने अज्ञानतावश पाप किया ‘( मुसायाह 3:11 )“ (“Suicide: Some Things We Know, and Some We Do Not,” Ensign, Oct. 1987, 8; Tambuli, Mar. 1988, 18) ।

  31. देखें याकूब 6:5; मुसायाह 29:20; 3 नफी 9:14; सिद्धांत और अनुबंध 29:1

  32. देखें हिलामन 8:15

  33. देखें लैव्यवस्था 6:4–5; यहेजकेल 33:15–16; हिलामन 5:17; सिद्धांत और अनुबंध 58:42–43

  34. यह सिर्फ इस तरह का प्रयास था जिसमें अलमा खुद शामिल था (देखें अलमा 36:24) ।

  35. अध्यक्ष बॉयड के. पैकर ने इस उपदेश को गंभीरता से बताया :

    “कई बार आप जोड़ नहीं सकते जो आपने तोड़ा है । शायद अपराध बहुत पहले से था, या घायलों ने आपके पश्चाताप से इनकार कर दिया । शायद क्षति इतनी गंभीर थी कि आप इसे जितना चाहे पर ठीक नहीं कर सकते ।

    “आपका पश्चाताप स्वीकार नहीं किया जा सकता जब तक कि कोई भरपाई न हो । आपने जो किया है, यदि उसे खत्म नहीं कर सकते, तो आप फंस गए हैं । यह समझना आसान है कि तब आप कितना असहाय और निराश महसूस करते हैं और हार मान लेना चाहते हैं जैसा कि अलमा ने किया था । …

    “सभी को ठीक कैसे किया जा सकता है, हम नहीं जानते । यह सब इस जीवन में पूरा हाेना संभव नहीं हो सकता है । हम दिव्यदर्शन और मुलाकातों से जानते हैं कि प्रभु के सेवकाे ने परदे से परे मुक्ति का काम जारी रखा हैं ।

    “यह ज्ञान निर्दोषों को उतना ही आराम देने वाला होना चाहिए जितना कि दोषियों को । मैं उन माता-पिता के बारे में सोच रहा हूं जो अपने बच्चों की गलतियों के लिए असहनीय रूप से पीड़ित हैं और उम्मीद खो रहे हैं ”(“The Brilliant Morning of Forgiveness,” 19–20) ।

  36. देखें 3 नफी 12:19; मत्ती 6:12; 3 नफी 13:11 भी देखें ।

  37. देखें यूहन्ना 15:12–13; 1 यूहन्ना 4:18; डिटएर एफ.उक्डोर्फ,“सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है,” लियाहोना, मई 2017, 107 ।