मन परिवर्तन में मॉरमन की पुस्तक की शक्ति
मॉरमन की पुस्तक आत्मिक पोषण प्रदान करती है, कार्य की योजना निर्धारित करती है, और हमें पवित्र आत्मा से जोड़ती है ।
हाल ही में एक शारीरिक परीक्षा से रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद, मुझे पता चला कि मुझे अपने जीवन शैली में कुछ बदलाव करने की आवश्यकता है । मेरी मदद करने के लिए, मेरे डॉक्टर ने पोषण और व्यायाम योजना बनाई, जिसका यदि मैंने पालन करना चुना, तो वह मुझे एक स्वस्थ व्यक्ति में बदल देगा ।
यदि हम में से हर एक ने एक आत्मिक परीक्षा दी, तो हम अपने बारे में क्या जानेगे ? हमारे आत्मिक चिकित्सक हमें क्या सलाह देंगे ? हमे वो ही बनना हैं जो हमें होना चाहिए, यह जरुरी है कि हम जाने कि हमें क्या करना है, और करे जो हम जानते हैं ।
यीशु मसीह एक माहिर चिकित्सक हैं । 1 अपने प्रायश्चित के माध्यम से, वो हमारे घावों को बांधता है, हमारी दुर्बलताओं को खुद पर ले जाता है, और हमारे टूटे हुए दिलों को ठीक करता है ।2 उसकी दया के द्वारा हमारी कमजोरी और भी मजबूत हो सकती है ।3 वो हमें उसे जानने के लिए, उसके वचनो को सुनने और उसकी आत्मा की नम्रता में चलने के लिए बुलाता4है ।5 उसने मन फिराने की इस आजीवन प्रक्रिया में हमें 6मदद करने का वादा किया है, जो हम में बदलाव और अनंत आनंद लाता है ।7
उद्धारकर्ता ने हमें मन फिराने में सहायता करने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में मॉरमन की पुस्तक दी हैं । मॉरमन की पुस्तक आत्मिक पोषण प्रदान करती है, कार्य की योजना निर्धारित करती है, और हमें पवित्र आत्मा से जोड़ती है । हमारे लिए लिखा गया,8 इसमें परमेश्वर के वचन9 स्पष्टता से 9और हमें हमारी पहचान, उद्देश्य और नियति के बारे में बताता है ।10 धर्मशास्त्र के साथ, मॉरमन की पुस्तक यीशु मसीह11 की गवाही देता है और सिखाता है कि हम कैसे सच्चाई को जान सके और कैसे उसके जैसे बन सके ।
भाई सा पोलो 58 वर्ष के थे, जब उन्हें यीशु मसीह की पुनःस्थापित सुसमाचार से परिचित कराया गया था । जब मैं उनसे मिला, तो वह कई वर्षों से एक शाखा अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे थे, लेकिन मुझे पता चला कि उन्होंने कभी भी मॉरमन की पुस्तक नहीं पढ़ी थी क्योंकि यह अभी तक उनके मूल भाषा बर्मी में उपलब्ध नहीं थी । जब मैंने उनसे पूछा कि पुस्तक को पढ़े बिना वह यह कैसे जानते हैं कि यह सच्ची थी, तो उन्होंने बताया कि उन्होंने रोजाना मॉरमन की पुस्तक की कहानिया और चित्र पुस्तिका का अध्ययन किया था, जो चित्र को देखकर, और अंग्रेजी के शब्दों का अनुवाद करने के लिए एक शब्दकोश का उपयोग किया, और जो उसने सीखा, उनके सावधानी से नोट बनाये । उन्होंने बताया, “हर बार जब भी मैंने अध्ययन किया, और मैंने जो कुछ भी पढ़ा, उसके बारे में प्रार्थना करी, और मैंने शांति और खुशी महसूस किया, मेरा मन स्पष्ट हो गया , और मेरा दिल नरम हो गया । मुझे लगा कि पवित्र आत्मा मुझे इस बात की गवाही दे रहा है कि यह सच था । में जनता हु कि मॉरमन की पुस्तक परमेश्वर का वचन हैं ।”
भाई सॉ पोलो की तरह, हम में से हर एक अपनी परिस्थितियों के अनुसार मॉरमन की पुस्तक का अध्ययन कर सकता है । यदि हम विश्वास करना चाहते हैं और इसके उपदेशों को अपने दिलों में धारण करना चाहते हैं, तो हम परमेश्वर से विश्वास के साथ पूछ सकते हैं की ये शिक्षाएं सच्ची है ।12 अगर हम जानने और कार्य करने की वास्तविक इच्छा रखते हैं, तो वह पवित्र आत्मा के माध्यम से हमारे दिलों में जवाब देगा । और पवित्र आत्मा के शक्ति द्वारा हम सारी बातों की सच्चाई जान सकते हैं ।13 जब हम मॉरमन की पुस्तक की एक दिव्य साक्षी प्राप्त करते हैं, तो हम भी उसी शक्ति से जान जाते है की यीशु मसीह दुनिया का उद्धारकर्ता हैं, जोसेफ स्मिथ उसका भविष्यवक्ता हैं, और उसने अंतिम-दिनों के यीशु मसीह का गिरजा पुनः स्थापित किया है ।14
एक युवक के रूप में मैंने मिशनरी सेवा की शुरुआत करने के लिए , मैं ऑस्ट्रेलिया जाने वाले हवाई जहाज में सवार हुआ । बहुत अकेला, चिंतित, और अपर्याप्त महसूस कर रहा था लेकिन सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध था, मुझे सख्त आश्वासन की जरुरत थी कि जो मैं मानता हु वह सच है क्या । मैंने प्रार्थना की और अपने धर्मशास्त्रों को अच्छे से पढ़ा, लेकिन जैसे-जैसे उड़ान आगे बढ़ी, मेरा आत्म-संदेह तेज़ हो गया और मेरी शारीरिक स्थिति खराब हो गई । जब मैं कई घंटों के लिए संघर्ष कर रहा था, एक फ्लाइट अटेंडेंट आया और मेरी सीट के पास रुक गया । उन्होंने मेरे हाथों से मॉरमन की पुस्तक ली जो में पढ़ रहा था । उन्होंने कवर को देखा और कहा, “यह एक महान पुस्तक है!” फिर किताब मुझे वापस सौंप दी और चलता बना । मैंने उसे फिर कभी नहीं देखा ।
जबकि उसके शब्द मेरे कानों में गूज रहे थे, मैंने अपने दिल में स्पष्ट रूप से सुना और महसूस किया, “मैं यहा हू, और मुझे पता है कि तुम कहा हो । बस आप अपना सर्वश्रेष्ठ करें, और मैं बाकी चीजों का ध्यान रखूंगा ।” प्रशांत महासागर के ऊपर उस हवाई जहाज पर, मुझे मॉरमन की पुस्तक के अध्ययन और पवित्र आत्मा के संकेत के माध्यम से एक व्यक्तिगत गवाह प्राप्त हुआ कि मेरे उद्धारकर्ता को पता था कि मैं कौन था और वह सुसमाचार सत्य था ।
एल्डर डेविड ए. बेडनर ने सिखाया: “यह जानना कि सुसमाचार सच्चा है, एक गवाही का सार है । लगातार रूप से सुसमाचार की सच्चाई में बने रहना मन परिवर्तन का तत्व है ।“15 मन परिवर्तन के लिए हम “वचन पर चलने वाले बने , और केवल सुनने वाले नहीं ।”16 प्रभु की जो कार्य योजना हमारे लिए—मसीह का सिद्धांत —मॉरमन की पुस्तक में सबसे स्पष्ट रूप से सिखाया जाता है ।17 उस में शामिल हैं:
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सबसे पहले , यीशु मसीह पर विश्वास करके उसपर भरोसा करना, उसकी आज्ञाओं को मानते हुए, और यह जानते हुए कि वह हमारी सहायता करेगा, विश्वास करते हुए प्रया स करते रहे ।18
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दूसरा, अपनी कमजोरीयो का प्रतिदिन पश्चाताप करना और जब वो हमें क्षमा करता है तो अपने को खुशी और शांति का अनुभव कराना ।19 पश्चाताप के लिए हमें दूसरों20 को माफ करने की आवश्यकता है जो हमें आगे बढ़ने में मदद करता है । उद्धारकर्ता ने हमको माफ करने का वादा किया है, अगर यदि हम लगातार पश्चताप करे ।21
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तीसरा, बपतिस्मा जैसे धर्मविधियो के माध्यम से परमेश्वर के साथ वाचा बनाना और रखना । यह हमें वाचा के मार्ग पर रहने में मदद करेगा जो हमें उसकी ओर ले गायेगा ।22
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चौथा, पवित्र आत्मा का उपहार हासिल करना । यह उपहार हमें उसके साथ निरंतर संगती की अनुमति देता है जो हमें पवित्रा, आश्वासन और मार्गदर्शन प्रदान करता है ।23
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पांचवां,मसीह के वचन का प्रतिदिन सेवन करते हुए अनंत तक आगे बढ़ते जाये ।24 मॉरमन की पुस्तक को पड़ कर और उसकी शिक्षाओं को अपना कर, हम प्रलोभनों को दूर कर सकते हैं और जीवन भर मार्गदर्शन और सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं ।25
लगातार हमारे जीवन में मसीह के सिद्धांत को लागू करने से, हम उस जड़ता को दूर करते हैं जो परिवर्तन को बाधित करती है और कार्य करने से डरती है । पवित्र आत्मा के द्वारा हम व्यक्तिगत प्रकटीकरण प्राप्त करेंगे, “जो आपको बताएगा कि आपको क्या करना चाहिए”26मसीह के वचन आपको बताएंगे कि आपको क्या करना चाहिए” । 27
20 साल से, भाई हुआंग जनकंग शराब, सिगरेट और जुए की आदत से जूझते रहे । जब भाई हुआंग का यीशु मसीह और उसके पुनःस्थापित सुसमाचार से परिचय हुआ, तो उन्होंने अपने परिवार की खातिर बदलना चाहा । उनकी सबसे बड़ी चुनौती थी धूम्रपान । एक लगातार धूम्रपान करने वाला, उसने कई बार रोकने कोशिश की पर असफल रहा | एक दिन, मॉरमन की पुस्तक से ये शब्द उनके दिमाग में आये : “सच्चे हृदय के साथ,वास्तविक उद्देश्य से।”28 हालांकि पिछले प्रयास विफल हो गए थे, उन्होंने महसूस किया कि शायद वह स्वर्गीय पिता और यीशु मसीह की मदद से खुद को बदल सकते हैं ।
फुल टाइम मिशनरियों ने उसके साथ अपने विश्वास को एकजुट किया और प्रार्थना की भारी खुराक के साथ-साथ परमेश्वर के वचन का अध्ययन करने के साथ खुद को बदलने की एक कार्य योजना बनाई । ईमानदारी और पुरे इरादे के साथ, भाई हुआंग ने दृढ़ निश्चय किया और पाया कि जैसे ही वह नई आदतों पर अधिक ध्यान देते है, जिसे वह विकसित करना चाहते है, जैसे कि मॉरमॉन की पुस्तक का अध्ययन, उनका उन आदतों पर कम ध्यान जाने लगा जिन्हें वह ख़तम करना चाहता थे ।
15 साल पहले के अपने अनुभव को याद करते हुए, उन्होंने टिप्पणी की, “मुझे याद नहीं है कि वास्तव में मैंने कब धूम्रपान छोड़ दिया, लेकिन जैसा कि मैंने हर दिन पूरी कोशिश की कि मुझे पता था कि मुझे अपने जीवन में प्रभु की आत्मा को आमंत्रित करने के लिए क्या करना चाहिए, और उन्हें करता रहा, मैं अब सिगरेट के प्रति आकर्षित नहीं था और तब से नहीं हूं । ” मॉरमन की पुस्तक की शिक्षाओं को लागू करने के माध्यम से, भाई हुआंग का जीवन बदल गया , और वह एक बेहतर पति और पिता बन गए ।
अध्यक्ष रसल एम नेल्सन ने वादा किया हैं : “मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, मैं आपसे वादा करता हूं कि जब आप प्रतिदिन, मॉरमन की पुस्तक का प्रार्थनापूर्वक अध्ययन करते हैं, तो आप—प्रतिदिन बेहतर निर्णय लेंगे । मैं आपसे वादा करता हूं कि जब आप अपने किए हुए अध्ययन पर विचार करते हैं, तो स्वर्ग की खिड़कियां आपके लिए खुल जाएंगी और आपको स्वयं के प्रश्नों के उत्तर और स्वयं के जीवन के लिये निर्देशन प्राप्त होगा । मैं आपसे वादा करता हूं कि यदि आप प्रतिदिन स्वयं को मॉरमन की पुस्तक में डुबो दें, तो आप पर दैनिक बुराइयों का कोई असर नहीं होगा, यहां तक कि अश्लील सामग्री के भंयकर परिणाम और मन को पस्त कर देने वाली बुरी आदतें भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकेंगी ।”29
प्रिय दोस्तों, मॉरमन की पुस्तक पमेश्वर का वचन है, और यदि हम इसका अध्ययन करते हैं, तो हम उसके करीब आ जाते हैं ।30 जब हम इन वचनो30 पर चलते हैं, हम इसकी सच्चाई की गवाही प्राप्त करते हैं । जब हम लगातार इसकी शिक्षाओं के अनुसार जीवन बिताते हैं,31 तो हमें बुराई करने की अधिक इच्छा नहीं होगी।”32 हमारा हृदय, चेहरे की अभिवेय्क्ति, और प्रकृति, उद्धारकर्ता की तरह बनने के लिए 33 बदल जायेगा । मैं अपनी निश्चित गवाही को साझा करता हूं कि यीशु मसीह, हमारा उद्धारकर्ता, मुक्तिदाता और मित्र हैं । यीशु मसीह के नाम में, आमीन ।