महान योजना
हम, जो परमेश्वर की योजना को जानते हैं और जिन्होंने भाग लेने के लिए अनुबंध किया है, इन सच्चाइयों को सीखाने की स्पष्ट जिम्मेदारी है ।
इन परिक्षाओं और चुनौतियों के बीच भी, हम सच में आशीषित हैं ! इस महा सम्मेलन ने हमें यीशु मसीह के सुसमाचार की पुनर्स्थापना की संपदा और आनंद का प्रवाह दिया है । हम पुनर्स्थापना को आरंभ करने वाले पिता और पुत्र के दिव्यदर्शन में आनंदित हुए हैं । हमें मॉरमन की पुस्तक का चमत्कारीरूप से आने की याद दिलाई गई है, जिसका मुख्य उद्देश्य यीशु मसीह और उसके सिद्धांत की गवाही देना है । हमें प्रकटीकरण की आनंदपूर्वक वास्तविकता से नवीन किया गया है—भविष्यवक्ताओं के लिए और व्यक्तिगत रूप से हमारे लिए । हमने यीशु मसीह के असीम प्रायश्चित और उसके शाब्दिक पुनरुत्थान की बहुमूल्य गवाहियां सुनी हैं । और हमें उसके सुसमाचार की परिपूर्णता की अन्य सच्चाइयों को सिखाया गया है, जिसे बाद में परमेश्वर पिता ने उस नए नियुक्त किए भविष्यवक्ता को बताया था: “यह मेरा प्रिय पुत्र है । इसकी सुनो !”(जोसफ स्मिथ—इतिहास 1:17) ।
पौरोहित्य और उसकी कुंजियों की पुनर्स्थापना के बारे में हमारे ज्ञान में पुष्टि की गई है । प्रभु के पुनर्स्थापित गिरजे को उसके उचित नाम, अंतिम-दिनों के संतों के यीशु मसीह का गिरजा, से जानने के लिए हमारे दृढ़ संकल्प का नवीनीकरण किया गया है । और विश्वभर में विनाशकारी महामारी के वर्तमान और भविष्य के प्रभाव को कम करने के लिए हमें उपवास और प्रार्थना में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है । आज सुबह हम प्रभु के जीवित भविष्यवक्ता द्वारा पुनर्स्थापना की ऐतिहासिक उद्घोषणा प्रस्तुत किए जाने से प्रेरित हुए थे । हम इसकी घोषणा की पुष्टि करते हैं कि “जो लोग प्रार्थनापूर्वक पुनर्स्थापना के संदेश का अध्ययन और विश्वास में कार्य करते हैं इसकी दिव्यता की अपनी गवाही प्राप्त करने और हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता, यीशु मसीह के वादा किए गए द्वितीय आगमन के लिए संसार को तैयार करने के इसके उद्देश्य से आशीषित हो जाएंगे ।1
योजना
यह सब एक दिव्य योजना का हिस्सा है जिसका उद्देश्य परमेश्वर के बच्चों को उत्कर्ष करना और उसके समान सक्षम बनाना है । धर्मशास्त्रों में “सुख की महान योजना,” “मुक्ति की योजना,” और “उद्धार की योजना” के रूप में संदर्भ किया गया है (अलमा 42:8, 11, 5 ), यह योजना—जो कि पुनर्स्थापना में प्रकट की गई थी—स्वर्ग की परिषद से आरंभ हुई थी । आत्माओं के रूप में, हम अपने स्वर्गीय माता-पिता द्वारा उपयोग किए गए अनंत जीवन को प्राप्त करने की इच्छा प्रकट की थी । उस समय तक हमने भौतिक शरीर में नश्वरता के अनुभव के बिना जहां तक संभव था हमने प्रगति की थी । उस अनुभव को प्रदान करने के लिए, परमेश्वर पिता ने इस पृथ्वी को बनाने की योजना बनाई । योजना किए गए नश्वर जीवन में, हम पाप से अशुद्ध हो जाएंगे क्योंकि हम अपने आत्मिक विकास के लिए आवश्यक विरोध का सामना करेंगे । हम शारीरिक मृत्यु के अधीन भी हो जाएंगे । हमें मृत्यु और पाप से पुनः प्राप्त करने के लिए, हमारे स्वर्गीय पिता एक उद्धारकर्ता उपलब्ध कराने की योजना बनाएंगे । उसका पुनरुत्थान सभी को मृत्यु से मुक्ति देगा, और उसका प्रायश्चित बलिदान सभी के लिए आवश्यक कीमत का भुगतान करेगा ताकि हमारे विकास को आगे बढ़ाने के लिए निर्धारित शर्तों पर हम पाप से शुद्ध किया जा सकें । यीशु मसीह का प्रायश्चित पिता की योजना के लिए महत्वपूर्ण है ।
स्वर्ग की परिषद में, परमेश्वर के सभी आत्मिक बच्चों को पिता की योजना बताई गई थी, जिसमें इसके नश्वर परिणाम और परीक्षा, इसकी स्वर्गीय मदद को बताया गया था, और इसकी गौरवशाली नियति शामिल थी । हमने आरंभ से अंत को देखा था । इस धरती पर पैदा हुए मनुष्यों के सभी असंख्य नश्वर लोगों ने पिता की योजना को चुना और इसके बाद स्वर्गीय युद्ध लड़ा था । कई लोगों ने नश्वरता में कार्य करने के संबंध में पिता के साथ अनुबंध भी बनाए थे । जिन तरीकों को प्रकट नहीं किया है, उन्होंने आत्मा की दुनिया में हमारे कार्यों ने नश्वरता में हमारी परिस्थितियों को प्रभावित किया है ।
नश्वरता और आत्मिक संसार
अब मैं पिता की योजना के कुछ मुख्य तत्वों को संक्षेप में बताऊंगा, क्योंकि वे हमारी नश्वर यात्राओं के दौरान और आने वाले आत्मिक संसार में हमें प्रभावित करते हैं ।
नश्वर जीवन और नश्वरता-पश्चात विकास का उद्देश्य जो इसके बाद में हो सकता है यह परमेश्वर के बच्चों का उसके समान बनना है । अपने सभी बच्चों के लिए स्वर्गीय पिता की यह इच्छा है । इस आनंददायक नियति को प्राप्त करने के लिए, एक अनंत व्यवस्था की आवश्यकता है कि हमें यीशु मसीह के प्रायश्चित के माध्यम से शुद्ध प्राणी बन जाना चाहिए ताकि हम पिता और पुत्र की उपस्थिति में निवास रह सकें और उत्कर्ष की आशीषों का आनंद लें । जैसा मॉरमन की पुस्तक सीखाती है, वह “उन सब को उसके पास आने और उसकी भलाई में भाग लेने का निमंत्रण देता है; और वह, काले और गोरे, गुलाम और स्वतंत्र, पुरूष और स्त्री किसी को भी अपने पास आने से मना नहीं करता है; और वह मूर्तिपूजक को भी याद करता है; और सभी परमेश्वर के लिए समान हैं” (2 नफी 26:33; अलमा 5:49 भी देखें) ।
हमारे लिए दिव्य योजना में हमें अपनी नियति के अनुसार बनना है, इसके लिए हमें उन बुराई को अस्वीकार करने की आवश्यकता है जो मनुष्यों को परमेश्वर की आज्ञाओं और उसकी योजना के विपरीत कार्य करने का प्रलोभन देती है । यह भी आवश्यक है कि हम दूसरों के पापों से या जन्म के कुछ दोषों से जैसे अन्य नश्वर विरोध के अधीन हों । कई बार हमारा आवश्यक विकास आराम और शांति की तुलना में दुख और विपरीत परिस्थितियों से बेहतर रूप से प्राप्त किया जाता है । और इस नश्वर विरोध में से कोई भी अपने अनंत उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर सकता है यदि दिव्य हस्तक्षेप हमें नश्वरता के सभी प्रतिकूल परिणामों से राहत नहीं दिलाता है ।
इस योजना से अनंत काल में हमारी नियति, उद्देश्य और नश्वरता में हमारी यात्रा और स्वर्गीय मदद जिसे हम प्राप्त करेंगे की परिस्थितियों का पता चलता है । परमेश्वर की आज्ञाएं हमें खतरनाक परिस्थितियों में भटकने के विरूद्ध सतर्क करती हैं । प्रेरित मार्गदर्शकों की शिक्षाएं हमारा मार्गदर्शन करती हैं और ऐसे आश्वासन देती हैं जो हमारी अनंत यात्रा को बढ़ावा देती हैं ।
परमेश्वर की योजना हमें नश्वरता के माध्यम से हमारी यात्रा में सहायता करने के लिए चार महान आश्वासन देती है । हमें सबकुछ यीशु मसीह, जो इस योजना में महत्वपूर्ण है के प्रायश्चित के माध्यम से दिया जाता है । पहला हमें आश्वस्त करता है कि जिन पापों के लिए हम पश्चाताप करते हैं, उन पापों से उसके दुखों के माध्यम से हम शुद्ध हो सकते हैं । फिर दयापूर्ण अंतिम न्याय उन्हें “बिलकुल स्मरण नहीं रखता” (सिद्धांत और अनुबंध 58:42)।
दूसरा, हमारे उद्धारकर्ता के प्रायश्चित के हिस्से के रूप में, उसने उसे अन्य सभी नश्वर दुर्बलताओं को अपने ऊपर धारण किया था । यह हमें दिव्य सहायता प्राप्त करने की अनुमति और नश्वरता, व्यक्तिगत और सामान्य बोझों, जैसे युद्ध और महामारी, को सहने की शक्ति देता है । मॉरमन की पुस्तक प्रायश्चित की इस आवश्यक शक्ति का हमें स्पष्ट लिखित विवरण प्रदान करती है । उद्धारकर्ता “लोगों की पीड़ा और बीमारी को अपने ऊपर ले लेगा । … वह अपने ऊपर उनकी दुर्बलताओं को ले लेगा, ताकि मानव शरीर के अनुसार उसका कटोरा दया से भर सके, कि वह शरीर में जान सके कि किस प्रकार दुर्बलताओं के अनुसार अपने लोगों की सहायता कर सकता है (अलमा 7:11–12)।
तीसरा, उद्धारकर्ता, अपने अनंत प्रायश्चित के माध्यम से मृत्यु का अंतिम होने को रद्द कर देता है और हमें खुशी का आश्वासन देता है कि हम सभी पुनर्जीवित होंगे । मॉरमन की पुस्तक सीखाती है, “यह पुनर्जीवन सबके लिए होगा, चाहे बूढ़ा हो या युवा, चाहे दासता में हो या आजाद, चाहे पुरुष हो या स्त्री, चाहे दुष्ट हो या धर्मी; और यहां तक कि उनके सिर का एक बाल भी कम नहीं होगा; परन्तु हर चीज को उसके पूरे ढांचे में मिलाया जाएगा” (अलमा 11:44) ।
हम इस ईस्टर के समय जी उठने की वास्तविकता का समारोह मनाते हैं । यह हम में से प्रत्येक और जिनसे हम प्यार करते हैं के सामने आने वाली नश्वर चुनौतियों को सहने के लिए हमें समझ और शक्ति देता है, जैसे शारीरिक, मानसिक, या भावनात्मक कमजोरियां जिन्हें हम जन्म से या नश्वर जीवन के दौरान के अनुभव करते हैं । पुनरुत्थान के कारण, हम जानते हैं कि ये नश्वर कमजोरियां केवल अस्थायी हैं !
पुनर्स्थापित सुसमाचार हमें आश्वस्त करता है कि पुनरुत्थान में हमारे परिवार के सदस्यों-पति, पत्नी, बच्चों और माता-पिता के साथ होने का अवसर शामिल हो सकता है । नश्वरता में अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए यह हमारे लिए एक शक्तिशाली प्रोत्साहन है । यह हमें आने वाले जीवन में आनंददायक पुनर्मिलन और संगति की आशा में इस जीवन में प्रेम में एक साथ रहने में मदद करता है ।
चौथा और अंत में, वर्तमान प्रकटीकरण हमें सिखाता है कि हमारी प्रगति नश्वरता के अंत के साथ समाप्त नहीं होती है । इस महत्वपूर्ण आश्वासन के बारे में बहुत थोड़ा बताया गया है । हमें बताया गया है कि यह जीवन परमेश्वर से मिलने की तैयारी करने का समय है और हमें अपने पश्चाताप को टाल-मटोल नहीं करना चाहिए (देखें अलमा 34:32–33) । फिर भी, हमें सिखाया जाता है कि आत्मा की दुनिया में सुसमाचार का प्रचार भी किया जाता है “दुष्ट और अवज्ञाकारी के बीच, जिन्होंने सच्चाई को अस्वीकार किया था,” (सिद्धांत और अनुबंध 138:29) और जो सिखाए गए वे अंतिम निर्णय के अग्रिम में पश्चाताप करने में सक्षम हैं (देखें पद 31–34, 57–59) ।
ये हमारे स्वर्गीय पिता की योजना के कुछ अन्य बुनियादी बातें हैं:
यीशु मसीह का पुनर्स्थापित सुसमाचार हमें शुद्धता, विवाह और बच्चों के प्रभाव के विषयों पर एक अनूठी समझ देता है । यह सिखाता है कि परमेश्वर की योजना के अनुसार विवाह परमेश्वर की योजना में नश्वर जन्म दिव्य रूप से नियुक्त वातावरण प्रदान करने के लिए, और अनंत जीवन के लिए परिवार के सदस्यों को तैयार करने के लिए आवश्यक है । “विवाह मनुष्य के लिये परमेश्वर द्वारा नियुक्त किया गया है,” प्रभु ने कहा, “ताकि पृथ्वी के उस उद्देश्य को पूरा किया जा सके जिसके लिये इसे बनाया गया था” (सिद्धांत और अनुबंध 49:15–16)। इसमें, उसकी योजना, अवश्य ही, व्यवस्था और परंपरा में कुछ मजबूत सांसारिक ताकतों के विपरित चलती है ।
नश्वर जीवन में रचना करने की शक्ति सबसे अधिक उत्कर्ष शक्ति है जिसे परमेश्वर ने अपने बच्चों को दिया है । इसका उपयोग आदम और हव्वा के लिए प्रथम आज्ञा में ही अनिवार्य किया गया था, लेकिन इसके दुरुपयोग को वर्जित करने के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण आज्ञा दी गई थी । विवाह के बंधन के बाहर, प्रजनन शक्ति का किसी प्रकार से उपयोग किया जाना पुरूषों और महिलाओं के सर्वोत्तम दिव्य विशेषता का पापी अपमान और विकृति है । पुनर्स्थापित सुसमाचार का शुद्धता के कानून पर जोर दिया जाना परमेश्वर की योजना की परिपूर्णता में हमारी प्रजनन शक्तियों के उद्देश्य के कारण होता है ।
आगे क्या ?
प्रथम दिव्यदर्शन की 200 वीं वर्षगांठ के दौरान, जिसने इस पुनर्स्थापना आरंभ किया था, हम प्रभु की योजना को जानते हैं और हम उसके पुनर्स्थापित गिरजे के माध्यम से दो शताब्दियों में प्राप्त इसकी आशीषों से उत्साहित हैं । 2020 के इस वर्ष में, हमारे पास वही है जिसे आम तौर से अतीत की घटनाओं के लिए 20/20 दृष्टि कहा जाता है ।
जब हम भविष्य पर दृष्टि डालते हैं, हालांकि, हमारी दृष्टि अभी तक यकीनन कम है । हम जानते है कि पुनर्स्थापना के दो शताब्दियों के बाद, आत्मिक दुनिया में कई नश्वरता के अनुभवी सेवक उस प्रचार को कर रहे हैं जिसे वहां किया जाता है । हम यह भी जानते हैं कि अब हमारे पास उन लोगों के लिए अनंत काल की विधियों को करने के लिए कई मंदिर हैं जो मृत्यु के परदे के दोनों ओर पश्चाताप करते और प्रभु के सुसमाचार को लगाते हैं । यह सब कार्य हमारे स्वर्गीय पिता की योजना को आगे बढ़ाता है । परमेश्वर का प्रेम इतना महान है कि, उन कुछ लोगों को छोड़कर जो जानबूझकर शैतान के पुत्र बन गए हैं, उसने अपने सभी बच्चों के लिए महिमा की नियति प्रदान की है (देखें सिद्धांत और अनुबंध 76:43)।
हम जानते हैं कि उद्धारकर्ता वापस आएगा और परमेश्वर की योजना के नश्वर भाग को समाप्त करने के लिए शांतिपूर्ण शासनकाल की सहस्राब्दी का राज्य होगा । हम यह भी जानते है कि विभिन्न पुनरुत्थान होगें, धर्मी और अधर्मी, प्रत्येक व्यक्ति का उसके पुनरुत्थान के बाद अंतिम न्याय किया जाएगा ।
हमारा अपने कर्मों, अपने हृदयों की इच्छाओं और हम जिस प्रकार के व्यक्ति बन गए हैं, उसके अनुसार हमारा न्याय किया जाएगा । इस न्याय के कारण परमेश्वर के सभी बच्चे अपनी आज्ञाकारिता के कारण महिमा के उस राज्य में जाएंगे जिसके वे योग्य होंगे तथा वहां सुखी रहेंगे । इस सब का न्यायाधीश हमारा उद्धारकर्ता, यीशु मसीह है (देखें यूहन्ना 5:22; 2 नफी 9:41) । उसका सर्व-ज्ञानी होना उसे हमारे सभी कार्यों और इच्छाओं का ज्ञान देता है, दोनों प्रकार के जिनका पश्चाताप किया है या अपरिवर्तित और पश्चाताप किया गया है या धर्मी । इसलिए, उसके न्याय के बाद हम सभी स्वीकार करेंगे “कि उसका न्याय उचित है हैं” (मुसायाह 16:1) ।
अंत में, मैं उस धारणा को साझा करना चाहता हूं जो मुझे उन लोगों के पत्रों और अनुरोधों द्वारा मिली है जो अपना नाम गिरजे से हटाए जाने या धर्मत्याग किए जाने के पश्चात गिरजे में लौटना चाहते हैं । हमारे बहुत से सदस्य उद्धार की इस योजना को पूरी तरह नहीं समझते हैं, जो पुनर्स्थापित गिरजे के सिद्धांत और प्रेरित नितियों के अधिकतर प्रश्नों के जवाब देती है । हम जो परमेश्वर की योजना को जानते हैं और जिन्होंने भाग लेने के लिए अनुबंध किया है इन सच्चाइयों को सीखाने और नश्वरता में दूसरों के लिए और अपनी स्वयं की परिस्थितियों में इनका विकास करने के लिए जो कुछ हम कर सकते हैं उसे करने की स्पष्ट जिम्मेदारी है । मैं यीशु मसीह, हमारे उद्धारकर्ता और मुक्तिदाता की गवाही देता हूं, जो यह सब संभव करता है, यीशु मसीह के नाम में, आमीन ।