वह हमारे आगे चलता है
प्रभु अपने सुसमाचार और अपने गिरजे की पुनास्थपाना का मार्गदर्शन कर रहा है । वह भविष्य को अच्छी तरह से जानता है । वह इस कार्य के लिए आपको निमंत्रण देता है ।
मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, मैं आपके साथ अंतिम-दिनों के संतों के यीशु मसीह के गिरजे के इस महा सम्मेलन में होने के लिए आभारी हूं । इस अंतिम युग में प्रभु द्वारा उसके गिरजे की पुनास्थापना ने हमें और हमारे प्रियजनों को जिस प्रकार आशीषित किया उस पर विचार करने के अपने निमंत्रण में, अध्यक्ष रसल एम. नेलसन के वादा किया था कि हमारे अनुभव न केवल यादगार बल्कि अविस्मरणीय भी होंगे ।
मेरे अनुभव यादगार रहे हैं, और मुझे विश्वास है आपके अनुभव भी ऐसे ही रहे होंगे । क्या यह यादगार होगा यह हमें में प्रत्येक पर निर्भर करता है । यह मेरे लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस सम्मेलन की तैयारी के यादगार अनुभव ने मुझे इस तरह बदल दिया है जिसे मैं सदा महसूस करना चाहता हूं । मैं आपको समझाता हूं ।
अपनी तैयारी में मैंने पुनास्थपाना की एक घटना का वर्णन पढ़ा था । मैं इसके बारे में बहुत बार पढ़ चुका था, लेकिन यह मुझे हमेशा केवल एक महत्वपूर्ण सभा के वर्णन की तरह लगता था जिसमें पुनास्थापना के भविष्यवक्ता, जोसफ स्मिथ शामिल थे । लेकिन इस बार मैंने सीखा कि किस प्रकार प्रभु हमारा, अपने शिष्यों का, अपने गिरजे में मार्गदर्शन करता है । मैंने सीखा कि संसार के उद्धारकर्ता, सृष्टिकर्ता—जोकि भूत, वर्तमान, और भविष्य की सभी बातों को जानता है, के द्वारा मार्गदर्शन किए जाने का हम नश्वर लोगों के लिए क्या अर्थ होता है । वह हमें धीरे-धीरे सीखाता और मार्ग दिखाता है, कभी भी दबाव नहीं डालता है ।
जिस सभा की मैं बात कर रहा हूं वह पुनास्थापना में एक बहुत महत्वपूर्ण क्षण था । यह 3 अप्रैल 1836 को कर्टलैंड मंदिर, ओहायो में इसके समर्पण के सात दिनों के बाद की सब्त दिन की सभा थी । जोसफ स्मिथ ने संसार के इतिहास के इस महान क्षण को एक सरल तरीके से बताया था । उसके अधिकतर विवरण को सिद्धांत और अनुबंध के खंड 110 में लिखा गया है:
“दोपहर में, मैंने अन्य अध्यक्षों की मदद की प्रभु भोज बांटने में गिरजे को, इसे बारह से प्राप्त करने में, इस दिन पवित्र मेज में यह उनका विशेषाधिकार था । अपने भाइयों को यह सेवा देने के बाद, मैं मंच में गया, परदे नीचे किये जा रहे थे, और मैंने स्वयं को झुकाया, ओलिवर कॉउड्री के साथ, गंभीर और शांत प्रार्थना में । प्रार्थना से उठने के पश्चात, यह दिव्यदर्शन हमें प्रकट किया गया था ।”1
“हमारे दिमाग से परदा हटा दिया गया था, और हमारी समझ की आंखें खुल चुकी थीं ।
“हमने मंच की रेलिंग के ऊपर खड़े प्रभु को देखा, अपने सामने; और उसके पैरों के नीचे शुद्ध सोने का चबूतरा था, जिसका रंग अंबर था ।
“उसकी आंखें अग्नि की ज्वाला के समान थी; उसके बाल शुद्ध बर्फ के समान सफेद थे; उसका चेहरा सूर्य की कड़ी धूप से अधिक चमक रहा था; और उसकी वाणी बहते हुए महान जल के समान थी, अर्थात यहोवा की वाणी, कहते हुए:
“मैं प्रथम और अंतिम हूं; मैं वह जो जीवित है, मैं वह जो मारा गया था; मैं पिता के पास तुम्हारा सहायक हूं ।
“देखो, तुम्हारे पाप क्षमा कर दिये गए हैं; तुम मेरे समक्ष स्वच्छ हो; इसलिये, अपने सिरों को उठाओ और आनंद मनाओ ।
“तुम्हारे भाइयों के हृदय आनंद मनाएं, और मेरे सारे लोगों के हृदय आनंद मनाएं, जिन्होंने, अपनी शक्ति से, इस घर को मेरे नाम के लिये बनाया है ।
“क्योंकि देखो, मैंने इस घर को स्वीकार किया है, और मेरा नाम यहां पर रहेगा; और मैं अपने लोगों के लिये इस घर में स्वयं को करूणा में प्रकट करूंगा ।
“हां, मैं अपने सेवकों को दिखाई दूंगा, और अपनी स्वयं की वाणी से उनसे बात करूंगा, यदि मेरे लोग मेरी आज्ञाओं का पालन करेंगे, और इस पवित्र घर को दूषित नहीं करेंगे ।
“हां हजारों और लाखों के हृदय उन आशीषों के परिणामस्वरूप महानरूप से आनंदित होंगे जो उंडेली जाएंगी, और इंडोवमेंट जिसे मेरे सेवकों को इस घर में प्रदान किया गया है ।
“और इस घर की प्रतिष्ठा बाहर के प्रदेशों फैल जाएगी; और यह उस आशीष की शुरूआत है जो मेरे लोगों के सिरों पर उंडेली जाएंगी । तो भी । आमीन ।
“इस दिव्यदर्शन के बंद हो जाने के बाद, आकाश हमारे लिये फिर से खुल गए; और हमारे सामने मूसा दिखाई दिया, और पृथ्वी के चारों छोर से इस्राएल को एकत्रित करने की कुंजियां हमें सौंपी, और उत्तर प्रदेश से दस जातियों का नेतृत्व करने की ।
“इसके पश्चात, एलिय्याह दिखाई दिया, और अब्राहम के सुसमाचार के प्रबंध को सौंप, यह कहते हुए कि हम और हमारे पश्चात सारी पीढ़ियों के हमारे वंशज आशीषित होंगे ।
“इस दिव्यदर्शन के बंद होने के पश्चात, अन्य महान और महिमापूर्ण दिव्यदर्शन हमें दिखाया गया; क्योंकि भविष्यवक्ता एलिय्याह, जो बिना मृत्यु स्वाद चखे स्वर्ग में उठा लिया गया था, हमारे सामने खड़ा था, और कहा:
“देखो, समय परिपूर्णता से आ चुका है, जिसके विषय में मलाकी के द्वारा बोला गया था—गवाही देते हुए कि उसे [एलिय्याह को] भेजा जाएगा, प्रभु के आने के महान और भयानक दिन से पहले—
“पूर्वजों के हृदयों को उनकी संतानों की ओर, और संतानों के हृदयों को उनके पूर्वजों की ओर फेरेगा; ऐसा न हो कि संपूर्ण पृथ्वी श्राप से नष्ट हो—
“इसलिये, इस प्रबंध की कुंजियां तुम्हारे हाथों में सौंपी जाती हैं; और इसके द्वारा तुम जानो की प्रभु का महान और भयानक दिन निकट है, बिलकुल द्वार पर है ।”2
जबकि, मैंने इस वर्णन को बहुत बार पढ़ा था । पवित्र आत्मा ने मुझे पुष्टि की थी कि यह वर्णन सच्चा था । लेकिन जब मैंने इस सम्मेलन के लिए तैयारी और अध्ययन किया, तो मैंने उसके कार्य में उसके शिष्यों को विस्तार से मार्ग दिखाने के लिए प्रभु की शक्ति को अधिक स्पष्ट रूप से देखा था ।
कर्टलैंड मंदिर में जोसफ को मूसा द्वारा इस्राएल को एकत्रित करने की कुंजियां सौंपने से सात वर्ष पहले, “जोसफ ने मॉरमन की पुस्तक के शीर्षक पृष्ठ से सीखा था कि इसका उद्देश्य ‘इस्राएल के घराने के बाकी बचे लोगों को दिखाने के लिए था कि … वे प्रभु के अनुबंधों को जान सकें, कि वे सदा के लिए अलग नहीं किये जाएं ।” 1831 में, प्रभु ने जोसफ को कहा था कि इस्राएल का एकत्रित किया जाना कर्टलैंड मंदिर में आरंभ होगा, ‘और यहां [कर्टलैंड] से, जो कोई जाएगा मैं सब राष्ट्रों के मध्य जाऊंगा, … क्योंकि मैंने एक महान कार्य बचा कर रखा है, क्योंकि इस्राएल उद्धार पाएगा, और मैं उनका हर जगह मार्गदर्शन करूंगा ।’” 3
यद्यपि इस्राएल को एकत्रित करने के लिए प्रचारक कार्य की आवश्यकता थी, प्रभु ने बारह को सीखाने के लिए उसके मार्गदर्शकों को प्रेरित किया था, उन में कुछ हमारे आरंभिक प्रचारक हुए थे, “याद रखो, आपको अन्य राष्ट्रों में नहीं जाना है, जब तक आप अपना वृतिदान प्राप्त न कर लें ।”4
ऐसा लगता है कि प्रभु की धीरे-धीरे सीखाने की योजना में कम से कम दो कारणों से कर्टलैंड मंदिर बहुत महत्वपूर्ण था: पहला, मूसा ने इस्राएल को एकत्रित करने की कुंजियों को पुनास्थापित करने के लिए मंदिर के पूरे होने की प्रतिक्षा की थी । और दूसरा, अध्यक्ष जोसफ फिल्डींग स्मिथ ने सीखाया था कि “प्रभु ने संतो को मंदिर [कर्टलैंड] निर्माण करने की आज्ञा दी थी जिसमें वह अधिकार की कुंजियों को दे सके और जहां प्रेरितों को वृतिदान दिये जाने और अंतिम बार प्रचार कार्य करने के लिए तैयार किया जा सके ।”5 यद्यपि भविष्यवाणी का परिपूर्ण होने के रूप में, मंदिर वृतिदान जैसा कि हम आज जानते हैं कर्टलैंड मंदिर में नहीं दिया गया था, फिर भी आरंभिक मंदिर विधियां का दिया जाना वहां शुरू हो गया था, इसके साथ में बहुत से आत्मिक दर्शन हुए थे जिसने मिशन पर जाने वालों को “स्वर्ग से शक्ति प्रदान किए” जाने वाले प्रतिज्ञा किए गए वृतिदान के लिए तैयार किया था जिससे प्रचारक सेवा द्वारा विशाल एकत्रित किया जाना हुआ था ।6
इस्राएल को एकत्रित किए जाने की कुंजियां जोसफ को सौंपे जाने के बाद, प्रभु ने भविष्यवक्ता को बारह के सदस्यों को मिशन पर भेजे जाने की प्रेरणा दी थी । जब मैंने अध्ययन किया, तो मुझे स्पष्ट हो गया था कि प्रभु ने बारह को विदेश में मिशन पर जाने के लिए विस्तार से तैयारी की थी जिसमें लोगों विश्वास करने और उनका समर्थन किए जाने के लिए तैयार किया गया था । कुछ समय बाद, हजारों लोगों को, उनके द्वारा, प्रभु के पुनास्थापित गिरजे में लाया जाना था ।
हमारे रिकार्ड के अनुसार, यह अनुमान है कि 7500 और 8000 के बीच लोगों को ब्रिटिश द्वीप समूह में बारह के दो मिशनों के दौरान बपतिस्मा दिया गया था । इसने यूरोप प्रचारक कार्य की नींव रखी थी । 19वीं शताब्दी के अंत तक कुछ 90000 अमेरिका में एकत्रित हो चुके थे इनमें अधिकतर ब्रिटिश द्वीप समूह और स्कैंडेनेविया के आए थे ।7 प्रभु ने जोसफ और उन विश्वासी प्रचारकों को प्रेरणा दी थी वे ऐसा कार्य करने के लिए निकले थे जो, उस समय, उनकी क्षमता से अधिक था । लेकिन प्रभु, अपने परिपूर्ण ज्ञान और तैयारी के साथ इस संभव किया था ।
आप को सिद्धांत और अनुबंध के खंड 110 की सरल और काव्य रूपी भाषा याद होगी:
“देखो, समय परिपूर्णता से आ चुका है, जिसके विषय में मलाकी के द्वारा बोला गया था—गवाही देते हुए कि उसे [एलिय्याह को] भेजा जाएगा, प्रभु के आने के महान और भयानक दिन से पहले—
“पूर्वजों के हृदयों को उनकी संतानों की ओर, और संतानों के हृदयों को उनके पूर्वजों की ओर फेरेगा; ऐसा न हो कि संपूर्ण पृथ्वी श्राप से नष्ट हो—
“इसलिये, इस प्रबंध की कुंजियां तुम्हारे हाथों में सौंपी जाती हैं; और इसके द्वारा तुम जानो की प्रभु का महान और भयानक दिन निकट है, बिलकुल द्वार पर है ।”8
मैं गवाही देता हूं कि प्रभु ने भविष्य में दूर तक देखा था और वह हमें अंतिम दिनों में अपने उद्देश्यों को पूरा करने में मदद करने के लिए मार्गदर्शन करेगा ।
कई साल पहले जब मैं अधीक्षक धर्माध्यक्षता में सेवा कर रहा था, मुझे उस योजना और विकास समूह की देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी गई थी जिसने फैमलीसर्च बनाया था । मैं सावधानी से कहता हूं कि मैंने इसको बनाने का “संचालन” किया था न कि मैंने इसका “निर्देशन” किया था । बहुत से प्रतिभाशाली लोगों ने कैरियर छोड़ दिए थे और उसका निर्माण करने में जुट गए थे जो प्रभु चाहता था ।
प्रथम अध्यक्षता ने विधियों के दोहराए जाने को रोकने का लक्ष्य रखा था । उनकी मुख्य चिंता यह पता लगाने में असमर्थ होना था कि किसी व्यक्ति की विधियों को पहले किया जा चुका था । सालों तक—या फिर जो सालों लगते थे—प्रथम अध्यक्षता मुझ से पूछते रहते थे, “आप कब तक इसका समाधन कर लोगे ?”
प्रार्थना, परिश्रम और महान योग्यता वाले लोगों के व्यक्तिगत बलिदान से, इस कार्य को पूरा किया गया था । इसे धीरे-धीरे प्राप्त किया था । पहला कार्य फैमलीसर्च को उन लोगों के लिए सरल बनाया जाना था जो कंप्यूटर नहीं जानते थे । बहुत से बदलाव हुए, और मैं जानता हूं वे आगे भी होते रहेंगे, क्योंकि जब हम किसी प्रेरित समस्या का समाधान करना आरंभ करते हैं, तो हम विकास करने के लिए भविष्य में प्रकटीकरण पाने के द्वार खोलते हैं जिन्हें अभी तक देखा नहीं गया है । आज भी, फैमलीसर्च वैसा बन रहा है जैसा प्रभु को उसकी पुनास्थापना की भूमिका निभाने में आवश्यकता है—न केवल विधियों के दोहराए जाने को रोकने के लिए ।
लोगों को अपनेपन की भावनाओं को प्राप्त करने और उनके पूर्वजों के प्रति प्रेम करने और उनकी मंदिर विधियों को पूरा करने में सहायता के लिए प्रभु हमें सुधार करने देता है । जैसा प्रभु निश्चित रूप से जानता था कि ऐसा होगा, अब युवा लोग अपने माता पिता और वार्ड के सदस्यों के लिए कंप्यूटर उस्ताद होते जा रहे हैं । सभी को इस सेवा में बहुत आनंद मिला है ।
एलिय्याह की आत्मा युवाओं और वृद्धों, बच्चों और माता-पिता, नाती-पोते और दादा-दादी के हृदयों को बदल रही है । मंदिर बहुत जल्दी फिर से सफलतापूर्वक बपतिस्मा के अवसरों और अन्य पवित्र विधियों को करने लगेंगे । हमारे पूर्वजों की सेवा करने की इच्छा और माता-पिता और बच्चों के बीच आपसी बंधन बढ़ रहे हैं ।
प्रभु ने इसे पूरा होते हुए देख लिया था । उसने इसकी योजना बनाई थी, धीरे-धीरे करके, जैसा उसने अपने गिरजे में अन्य बदलावों के साथ किया है । उसने इस विशिष्ट कार्य को करने के लिए ऐसे विश्वासी लोगों को तैयार किया है जो कठिन कार्यों को सरलता से कर सकते हैं । हमें सीखने में मदद करने के लिए उसने हमेशा धैर्य रखते हुए “नियम पर नियम, आज्ञा पर आज्ञा, थोड़ा यहां, थोड़ा वहां करके” सीखाया है ।9 वह अपने उद्देश्यों के समय और क्रम में दृढ़ है, फिर भी वह सुनिश्चित करता है कि बलिदान से ऐसी निरंतर आशीषें मिलें जिसकी हमने आशा नहीं की थी ।
प्रभु के प्रति अपने आभार को प्रकट करते हुए मैं समाप्त करता हूं—जिसने अध्यक्ष नेलसन को इस सम्मेलन की तैयारी के लिए मुझे बलिदान करने के लिए आमंत्रित करने के लिए प्रेरित किया था । अपनी तैयारी के दौरान प्रत्येक घंटा और प्रत्येक प्रार्थना मेरी लिए आशीष लाई थी ।
मैं उन सभी को जो इस संदेश को सुनते या इन शब्दों पढ़ते हैं विश्वास रखने का निमंत्रण देता हूं कि प्रभु अपने सुसमाचार और अपने गिरजे की पुनास्थपाना का मार्गदर्शन कर रहा है । वह हमारे आगे आगे चलता है । वह भविष्य को अच्छी तरह से जानता है । वह इस कार्य के लिए आपको निमंत्रण देता है । वह इसमें आपके साथ शामिल होता है । उसके पास आपकी सेवा के लिए एक योजना है । और जब आप बलिदान करते हैं, तो आप आनंद महसूस करेंगे जब आप दूसरों को उसके आगमन के लिए तैयार होने में मदद करते हैं ।
मैं गवाही देता हूं कि परमेश्वर पिता जीवित है । यीशु ही मसीह है । यह उसका गिरजा है । वह आपको जानता और आपसे प्रेम करता है । वह आपका मार्गदर्शन करता है । उसने आपके लिए मार्ग तैयार किया है । यीशु मसीह के पवित्र नाम में, आमीन ।