महा सम्मेलन
प्रभु की प्रतिक्षा करना
अक्टूबर 2020 महा सम्मेलन


14:18

प्रभु की प्रतिक्षा करना

विश्वास का अर्थ है अच्छे और बुरे समय में परमेश्वर पर भरोसा करना, भले ही इसमें कुछ कष्ट शामिल हों जब तक कि हम जब तक कि हम देखते हैं कि हमारी ओर से उसकी भुजा प्रकट होते नहीं देखते हैं।

मेरे प्रिय भाई-बहनों, हम सब उत्सुक हैं—मुझसे ज्यादा कोई नहीं—हमारे प्यारे भविष्यवक्ता रसल एम. नेलसन की समापन टिप्पणियों को सुनने के लिए। यह एक अद्भुत सम्मेलन रहा है, लेकिन यह दूसरी बार है जब कोविड 19 महामारी ने हमारी पारंपरिक कार्यवाही को बदल दिया है। हम इस संक्रमण से इतना थक चुके हैं कि,हमें ऐसा लगता है कि हम अपने बालों को खींच दें। जाहिर है, मेरे कुछ भाइयों ने पहले ही उस कार्य की दिशा ले ली है। कृपया समझें कि जो किसी भी तरह से प्रभावित हुए हैं हम उनके लिए लगातार प्रार्थना करते हैं, विशेष रूप से उनके लिए जिन्होंने प्रियजनों को खोया है। सभी मानते हैं कि यह काफी लंबे समय तक चला है।

हमें कब तक कठिनाइयों से राहत पाने का इंतजार करना पड़ता है? उन व्यक्तिगत परीक्षाओं का क्या होता है जब हम लंबे समय तक प्रतिक्षा करते रहते हैं और सहायता मिलने की गति बहुत धीमी प्रतीत होती है? देर क्यों होती है जब कठिनाइयां हमारी सहन की क्षमता से अधिक प्रतीत होती हैं?

इस तरह के प्रश्न पूछते समय, यदि हम प्रयास करते हैं, तो हम दूसरे की पीड़ा की गूंज सुन सकते हैं, जो उस स्थान की सबसे सर्द सर्दियों में से एक के दौरान एक ठंडी, अंधकार भरी जेल की कोठरी से पंजीकृत स्थल से आती है।

“ओ परमेश्वर, आप कहां हैं?” लिबर्टी जेल की गहराइयों से आवाज आती है। “और कहां है ववह मंडप जो आपके छिपने के स्थान को ढकता है?” कब तक आपका हाथ रूका रहेगा?”1 कब तक, ओह प्रभु, कब तक?

इसलिए, हम पहले नहीं हैं और न ही हम ऐसे प्रश्न पूछने वाले अंतिम होंगे जब कष्ट हम पर दबाब डालते या हमारे हृदय में निरंतर असहनीय पीड़ा होती है। मैं अब महामारी या जेल की बात नहीं कर रहा हूं, लेकिन आप की, आपके परिवार, और आपके पड़ोसियों की जो कितनी भी प्रकार की ऐसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। मैं उन बहुत से लोगों के बारे में बात करता हूं जो विवाह करना चाहते है और नहीं कर पा रहे है या जो विवाहित हैं और इन सबंधों को थोड़ा अधिक सिलेस्टियल बनाना चाहते हैं। मैं उन लोगों की बात कर रहा हूं जिन्हें गंभीर रोग के कारण अनचाही परिस्थिति से निपटना पड़ता है—चाहे यह एक लाइलाज रोग हो—या कोई आनुवंशिक दोष जिसका सामना आजीवन करना पड़ता है जिसकी कोई दवा नहीं है। मैं भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों से निरंतर संघर्ष करने की बात कर रहा हूं जो इन से पीड़ित बहुत से लोगों की आत्माओं पर भारी बोझ डालते हैं, और उनके हृदयों पर जो उनसे प्रेम करते और और उनके साथ पीड़ित होते हैं। मैं गरीब लोगों की बात करता हूं, जिन्हें उद्धारकर्ता ने हमें कभी न भूलने के लिए कहा था, और मैं उनसे बात कर रहा हूं जो अपने उस बच्चे की वापसी की प्रतीक्षा कर रहे हैं, चाहे वे किसी भी आयु के हों, जिसने उससे अलग मार्ग चुना है जिसकी आपने उसके लिए प्रार्थना की थी कि वह चुनेगा या चुनेगी।

इसके अलावा, मैं स्वीकार करता हूं कि बेशक उन बातों की सूची लंबी है जिसके लिए हम व्यक्तिगत रूप से प्रतिक्षा कर सकते हैं इसमें वे विशाल आर्थिक, राजनीतिक, और सामाजिक बातें शामिल नहीं हैं जिनका सामना हम सामूहिक रूप से करते हैं। स्वर्ग में हमारे पिता स्पष्ट रूप से हमें इन तनावपूर्ण सार्वजनिक मुद्दों के साथ-साथ व्यक्तिगत बातों को संबोधित करने की आशा रखता है, लेकिन हमारे जीवन में कई बार ऐसा होगा जब हमारे सर्वोत्तम आत्मिक प्रयास और गंभीर प्रार्थनाओं का परिणाम वैसा नहीं होता है जैसी हम आशा करते हैं, चाहे वह बड़े वैश्विक मुद्दों या छोटे व्यक्तिगत मुद्दों के बारे में हो। तो जब तक हम काम करते और हमारी कुछ प्रार्थनाओं में से कुछ के जवाब के लिए मिलकर प्रतिक्षा करते हैं, मैं आपसे अपनी प्रेरित प्रतिज्ञा करता हूं कि इन्हें सुना जाता है और इनका जवाब दिया जाता है, लेकिन शायद उस समय या वैसे नहीं जिस तरह से हम चाहते हैं। लेकिन इनका जवाब हमेशा उस समय और उस तरह से दिया जाता है जिस तरह से एक सर्वज्ञानी और अनंत दयालु माता पिता को इनका जवाब देना चाहिए। मेरे प्रिय भाइयों और बहनों, कृपया जान लें कि जो कभी न ऊंगता और न सोता है 2 वह अपने बच्चों की खुशी और अंतिम उत्कर्ष की चिंता सब बातों से अधिक करता है। वह शुद्ध प्रेम है, महाप्रतापी व्यक्ति है, और उसका नाम दयालु पिता है।

“यदि ऐसा है,” आप कह सकते हैं, “तो क्या उसकी प्रेम और दया हमारे व्यक्तिगत लाल सागरों को दो हिस्सों में नहीं बांट सकती ताकि हमें अपनी कठिनाइयों से पार जाने के लिए सूखी जमीन मिल जाए? क्या उसे 21वीं सदी के सामुद्री पक्षियों को नहीं भेजना चाहिए जो कहीं से उड़कर आएं और हमारी 21वीं सदी की कीड़े-मकोड़े रूपी समस्याओं को तुरंत निगल लें?”

इस तरह के प्रश्नों का उत्तर है “हां, परमेश्वर तुरंत चमत्कार प्रदान कर सकता है, लेकिन जल्दी या देर से हम सीखते है कि हमारी नश्वर यात्रा के प्रत्येक क्षण केवल उसके और उसके द्वारा ही निर्देशित होते हैं।” परमेश्वर प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में घटनाओं और क्षणों को अलग-अलग तरह निर्देशित करता है। प्रत्येक अशक्त व्यक्ति तुरंत चंगा होता है जब वह बेतहसदा के कुंड में प्रवेश करने की प्रतिक्षा करता है, 3किसी अन्य व्यक्ति को प्रतिज्ञा के प्रदेश में प्रवेश करने के लिए 40 साल रेगिस्तान में बिताने होंगे। 4 प्रत्येक नफी और लेही के लिए जिन्हें अपने विश्वास के कारण धधकती आग से दिव्यरूप से बचाया गया था, 5हमारे पास एक अबिनादी है जिसे उसके विश्वास के कारण दहकती आग से जला दिया गया था।6 और हमें याद है कि वही एलिय्याह जिसने एक क्षण में बाल के याजकों के विरूद्ध गवाही देने के लिए स्वर्ग से आग को नीचे बुलाया था 7यह वही एलिय्याह है जिसने एक ऐसी अवधि को सहा था जब वर्षों से कोई बारिश नहीं हुई थी और उसने, कुछ समय के लिए, केवल बहुत थोड़ा भोजन खाया था जितना किसी कौवे के पंजे में लाया जा सकता था। 8 मेरे अनुमान से, जो उसने खाया था उसमें ऐसा कुछ नहीं था जिसे हम “खुशहाल भोजन” कह सकें।

मुद्दा क्या है? मुद्दा यह है कि विश्वास का अर्थ है अच्छे और बुरे समय में परमेश्वर पर भरोसा करना, भले ही इसमें कुछ कष्ट शामिल हों जब तक कि हम उसकी भुजा(शक्ति) को हमारे लिए प्रकट होते हुए नहीं देख लेते हैं।9 हमारे आधुनिक संसार में कठिन यह हो सकता है जब बहुत से लोगों को विश्वास हो कि जीवन में सबसे अच्छी बात सभी तरह के कष्टों से बचना है, यानि किसी को कभी भी किसी तरह का दुख नहीं होना चाहिए।10 लेकिन यह भरोसा हमें कभी भी “मसीह की परिपूर्णता के कद के माप” की ओर नहीं ले जाएगी।”11

एल्डर नील ए. मैक्सवेल से उनकी बात को संशोधित और विस्तार से कहने का साहस करने के लिए क्षमा के साथ मैं भी यह सुझाव देता हूं कि “किसी का भी जीवन … विश्वास से भरा और तनाव मुक्त दोनों नहीं हो सकता है।” यह इस तरह काम नहीं करेगा कि “कोई अपना जीवन आराम से गुजारे,”और नींबू पानी का मजा लेते हुए कहे: “प्रभु, मुझे अपने सभी सबसे अच्छे गुण दे दो, लेकिन ध्यान रहे मुझे न कोई कष्ट, न ही दुख, न ही दर्द, और न ही कोई विरोध देना। कृपया कोई मुझ से नफरत न करे या मुझे धोखा दे, और सबसे जरूरी, मुझे कभी भी महसूस न होने दें कि उसने या जिनसे मैं प्रेम करता हूं उन्होंने मेरा परित्याग कर दिया है। असल में, प्रभु, मुझे उन सभी अनुभवों से दूर रखने के लिए ख्याल रखना जिसने आपको दिव्य बनाया था। और फिऱ,जब दूसरों द्वारा ऊबड़-खाबड़ और कठिन मार्ग पर यात्रा समाप्त हो जाए, तो कृपया मुझे आने देना और अपने साथ रखना, जहां मैं गर्व से कह सकूं कि हमारी ताकत और हमारे चरित्र कितने समान हैं जैसे मैं आराम से मसीहियत के बादलों में आनंदपूर्वक तैरता रहूं।12

मेरे प्रिय भाइयों और बहनों, मसीहियत दिलासा देती है, लेकिन अक्सर यह आरामदायक नहीं होती है। पवित्रता और सुख के मार्ग यहां और यहां के बाद एक लंबा और कई बार पत्थरीला मार्ग होता है। इसे चलने में समय और दृढ़ता लगती है। लेकिन, जाहिर है, ऐसा करने का इनाम भी महत्वपूर्ण और बड़ा होता है। यह सच्चाई मॉरमन की पुस्तक में अलमा के 32 वें अध्याय में स्पष्ट रूप एंव जोर देकर सीखाई गई है। इसमें यह महान उच्च याजक सिखाता है कि यदि परमेश्वर के वचन को मात्र एक बीज के रूप में हमारे हृदयों में रोपित किया जाता है, और यदि हम जल, खरपतवार, पोषण, और इसे प्रोत्साहित करने के लिए पर्याप्त देखभाल करते हैं, तो यह भविष्य में फल उत्पन्न करेगा “जो सबसे मूल्यवान … जो सभी मीठी वस्तुओं से अधिक मीठा,” होगा, जिसको खाने से किसी को न तो भूख लगेगी और न ही प्यास। 13

{इस उल्लेखनीय अध्याय में कई सबक सिखाए जाते हैं, लेकिन उन सब के केंद्र में एक प्रत्यक्ष नियम है कि बीज को पोषित किया जाना है और हमें इसके परिपक्व होने का इंतजार करना चाहिए, “उसके फल के लिए विश्वास की आंख के साथ आशा करनी चाहिए।” 14 हमारी उपज, अलमा कहता है, “धीरे-धीरे” पकती है।15 इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि वह हमारे हृदयों में परमेश्वर के वचन को पोषित करने में निष्ठा और धैर्य को तीन बार बोल कर अपने उल्लेखनीय निर्देश को समाप्त करता है, “लंबे समय तक के उत्पीड़न” के साथ “ प्रतिक्षा ” करते हुए जैसा कि वह कहता है, “पेड़ तुम्हारे लिए और फल लाएगा।” 16

कोविड और कैंसर, संदेह और निराशा, वित्तीय चिंता और पारीवारिक परेशानियां। इन बोझों कब उठाया जाएगा? जवाब है “धीरे-धीरे।”17 और चाहे यह अवधि छोटी या लंबी इसे हमेशा हम निर्धारित नहीं करते हैं, लेकिन परमेश्वर की कृपा से, आशीषें उन्हें मिलेंगी जो यीशु मसीह के सुसमाचार पर कायम रहते हैं। यह मुद्दा बहुत पहले गत्समनी के बाग में और यरूशलेम में गुलगता की पहाड़ी पर निर्धारित किया गया था।

अब जब हम अपने प्रिय भविष्यवक्ता को इस सम्मेलन की समाप्ति पर सुनते हैं, तो हम याद कर सकते हैं, जैसा कि रसल नेलसन ने अपने संपूर्ण जीवन में प्रदर्शित किया है, कि जो लोग “ प्रभु की बाट जोहते हैं , वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे [और] वे उकाबों की नाई उड़ेंगे; वे दौड़ेंगे, और श्रमित न होंगे; … चलेंगे और थकित न होंगे।”18 मैं प्रार्थना करता हूं कि “धीरे-धीरे”—जल्दी या देर से—वे आशीषें आप में से प्रत्येक को मिलेंगी जो अपने दुखों और कष्टों से मुक्ति पाना चाहते हैं। मैं परमेश्वर के प्रेम और उसके गौरवशाली सुसमाचार की पुन:स्थापना का गवाह हूं, जो हर एक उस विषय का उत्तर है जिसका हम सामना करते हैं। यीशु मसीह के मुक्तिदायक नाम में, आमीन।