मसीह में उस दिन को सहना
यीशु मसीह हमारे लिए “उस दिन को सहना” संभव बनाता है।
यह स्पष्ट और प्रत्यक्ष दृष्टांतों, जटिल प्रश्नों और गहन सिद्धांतों से भरा दिन था। उन लोगों को कड़ी फटकार लगाने के बाद जो उन “चूना फिरी हुई कब्रों के समान थे जो ऊपर से तो सुन्दर दिखाई देती हैं, परन्तु भीतर मुर्दों की हड्डियों और सब प्रकार की मलिनता से भरी हुई होती हैं,”1 यीशु ने आत्मिक तैयारी और शिष्यत्व के बारे में तीन दृष्टांत सिखाए थे। इनमें से एक दस कुंवारियों का दृष्टान्त था।
“तब स्वर्ग का राज्य उन दस कुंवारियों के समान होगा जो अपनी मशालें लेकर दूल्हे से भेंट करने को निकलीं।
उनमें पांच मूर्ख और पांच समझदार थीं।
”मूर्खों ने अपनी मशालें तो लीं, लेकिन अपने साथ तेल नहीं लिया:
“परन्तु समझदारों ने अपनी मशालों के साथ अपनी कुप्पियों में तेल भी भर लिया।
“जब दूल्हे के आने में देर हुई, तो वे सब ऊंघने लगीं और सो गईं।
“आधी रात को धूम मची, कि देखो, दूल्हा आ रहा है, उस से भेंट करने के लिये चलो।
“तब वे सब कुंवारियां उठकर अपनी मशालें ठीक करने लगीं।
“और मूर्खों ने समझदारों से कहा, अपने तेल में से कुछ हमें भी दो, क्योंकि हमारी मशालें बुझी जाती हैं।
“परन्तु समझदारों ने उत्तर दिया कि कदाचित हमारे और तुम्हारे लिये पूरा न हो; भला तो यह है, कि तुम बेचने वालों के पास जाकर अपने लिये मोल ले लो।
“जब वे मोल लेने को जा रही थीं, तो दूल्हा आ पहुंचा, और जो तैयार थीं, वे उसके साथ ब्याह के घर में चलीं गई और द्वार बन्द किया गया।
“इसके बाद वे दूसरी कुंवारियां भी आकर कहने लगीं, हे स्वामी, हे स्वामी, हमारे लिये द्वार खोल दे।2
“उस ने उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच कहता हूं, मैं तुम्हें नहीं जानता।3
“इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम न उस दिन को जानते हो, न उस घड़ी को।”4
अध्यक्ष डैलिन एच. ओक्स ने दूल्हे के आगमन के संबंध में निम्नलिखित विचारशील प्रश्न पूछे थे:5 “क्या होगा यदि उसके आगमन का दिन कल हो? यदि हम जानते कि हम कल प्रभु से मिलेंगे—हमारी अकाल मृत्यु या उसके अप्रत्याशित आगमन के माध्यम से—तो हम आज क्या करेंगे?”6
मैंने व्यक्तिगत अनुभव से सीखा है कि प्रभु के आगमन के लिए आत्मिक तैयारी न केवल आवश्यक है बल्कि सच्ची शांति और खुशी पाने का एकमात्र तरीका है।
वह एक ठंडा पतझड़ का दिन था जब मैंने पहली बार ये शब्द सुने, “आपको कैंसर है।” मेरे और मेरे पति के होश उड गए! जब उस खबर पर विचार करते हुए हम चुपचाप घर जा रहे थे, तो मेरा ह्रदय हमारे तीन बेटों के बारे में सोचने लगा।
मैंने अपने मन में स्वर्गीय पिता से पूछा, “क्या मैं मरने वाली हूं?”
पवित्र आत्मा ने मेरे कान में धीरे से कहा, “सब कुछ ठीक हो जाएगा।”
फिर मैंने पूछा, “क्या मैं जीवित रहूंगी?”
पवित्र आत्मा ने मेरे कान में धीरे से कहा, “सब कुछ ठीक हो जाएगा।”
फिर जवाब आया, “सब ठीक हो जाएगा।” चाहे मैं जीवित रही या मर गई, लेकिन मुझे वही उत्तर क्यों मिला?
फिर अचानक मेरा रोम-रोम संपूर्ण शांति से भर गया, जब मुझे याद दिलाया गया: हमें जल्दी से घर जाकर अपने बच्चों को प्रार्थना करना सिखाने की जरूरत नहीं है। वे जानते थे कि प्रार्थना से उत्तर और दिलासा कैसे प्राप्त किया जाता है। हमें जल्दी से घर जाकर उन्हें पवित्र शास्त्रों या जीवित भविष्यवक्ताओं के शब्दों के बारे में सिखाने की जरूरत नहीं थी। वे शब्द पहले से ही शक्ति और समझ के परिचित स्रोत थे। हमें जल्दी से घर जाकर उन्हें पश्चाताप, पुनरुत्थान, पुन; स्थापित, उद्धार की योजना, अनंत परिवार या यीशु मसीह के सिद्धांत के बारे में सिखाने की जरूरत नहीं थी।
उस क्षण में प्रत्येक पारिवारिक घरेलु संध्या पर शाम का अध्याय, पवित्र शास्त्र अध्ययन, और विश्वास की प्रार्थना की गई, आशीषें दी गई, गवाही साझा की गई, अनुबंध बनाए और पालन किए गए, प्रभु के घर में गए, और सब्त के दिन का पालन किया—ओह, यह कितना जरुरी था! हमारे दीयों में तेल डालने में बहुत देर हो चुकी थी। हमें हर एक बूंद की जरूरत थी, और हमें इसकी अभी जरूरत थी!
यीशु मसीह और उसके पुन:स्थापित सुसमाचार के कारण, यदि मैं मर गई, तो मेरे परिवार को दिलासा, मजबूती मिलेगी, और एक दिन पुनःस्थापित किए जाएगा। यदि मैं जीवित रही, तो मेरी पहुंच इस धरती पर सहायता, सहारा और चंगाई देने की महानत्तम शक्ति तक होगी।। अंततः, यीशु मसीह के कारण सब कुछ ठीक हो सकता है।
हम सिद्धांत और अनुबंधों के सावधानीपूर्वक अध्ययन से सीखते हैं कि “ठीक होना” क्या होता है:
“और उस दिन, जो मैं अपनी महिमा में आऊंगा, वह दृष्टांत पूरा होगा जो मैंने दस कुंवारियों के संबंध में कहा था।
“क्योंकि वे जो बुद्धिमान हैं और सच्चाई को पाया है, और पवित्र आत्मा को अपने मार्गदर्शक होने के लिये पाया है, और धोखा नहीं खाया है—मैं तुम से सच कहता हूं, वे काटे और आग में नहीं डाले जाएंगे, लेकिन उस दिन को सह लेगें।”7
यीशु मसीह हमारे लिए “उस दिन को सहना” संभव बनाता है। उस दिन को सहने का मतलब अपने कामों की सूची को लगातार बढाना नहीं है। किसी छोटी वस्तु को बड़ा दिखाने वाले लेंस के बारे में सोचो। इसका एकमात्र उद्देश्य केवल वस्तुओं को बड़ा दिखाना नहीं है। यह प्रकाश को एकत्रित और केंद्रित कर अधिक शक्तिशाली भी बना सकता है। हमें, अपने प्रयासों को सरल बनाना, इस पर ध्यान केंद्रित रहना और यीशु मसीह के प्रकाश को इकट्ठा करने वाले बनना है। हमें अधिक पवित्र और प्रकटीकरण अनुभवों की आवश्यकता है।
उत्तर-पश्चिमी इस्राएल में स्थित, एक खूबसूरत पर्वत श्रृंखला है जिसे अक्सर “सदाबहार पर्वत” कहा जाता है। कर्म्मेल पर्वत8 पूरे वर्ष भर हरा रहता है, ठंडक और ओस की अधिक मात्रा होने के कारण। पोषण दिन प्रतिदिन होता है। कर्म्मेल की ओस के समान,9 जब हम अपनी आत्माओं को “धार्मिकता से संबंधित बातों से,”10 “छोटी और सरल बातों से” पोषित करना चाहते हैं,”11 तो हमारी और हमारे बच्चों की गवाहियां जीवित रहेगी!
अब, आप सोच रहे होंगे, “लेकिन बहन राइट, आप मेरे परिवार को नहीं जानती हैं। हम वास्तव में संघर्ष कर रहे हैं और कुछ भी ऐसा नहीं हो रहा है।” आप सही हैं। मैं आपके परिवार को नहीं जानती हूं। लेकिन अनंत प्रेम, दया, शक्ति, ज्ञान और महिमा वाला परमेश्वर आपको जानता है।
जो प्रश्न आप पूछ रहे हैं वे हृदय के प्रश्न हैं जो आपकी आत्मा की गहराई में दर्द करते हैं। इसी तरह के प्रश्न पवित्र शास्त्रों में पाए जाते हैं:
“हे गुरु, क्या तुझे चिन्ता नहीं कि [मेरा परिवार] नाश हुआ जाता है?”12
“अब मेरी आशा कहां है?”13
“[मैं] क्या करूं, कि हमारे ऊपर से अंधकार का यह बादल हट जाए?”14
“बुद्धि कहा मिलेगी? और समझ का स्थान कहां है?”15
और अब, मेरे भाइयों, यह कैसे संभव है कि [मैं] हर अच्छी चीज पर टिके रहूं?”16
“प्रभु तू मुझसे क्या करवाना चाहता है?”17
और फिर बहुत मधुर उत्तर आते हैं:
“उद्धार के लिए क्या [आप] मसीह की शक्ति में विश्वास करते हो?”18
“देखो, क्या प्रभु ने किसी को आज्ञा दी है कि उन्हें उसकी भलाई में भाग नहीं लेना चाहिए?”19
आपको “विश्वास है कि [वह] ऐसा करने में सक्षम है?”20
“क्या [आप] भविष्यवक्ताओं पर विश्वास करते हो?”21
“क्या [आप] उसकी मुक्ति में विश्वास करते हो जिसने आपको बनाया है?”22
“क्या सारी पृथ्वी का न्यायी न्याय न करे?”23
मेरे प्यारे दोस्तों, हम अपना तेल साझा नहीं कर सकते, लेकिन हम उसका प्रकाश साझा कर सकते हैं। हमारे दीये में तेल न केवल हमें “उस दिन को सहने” में मदद करेगा, बल्कि उस मार्ग को रोशन करने का साधन भी हो सकता है जो लोगों को उद्धारकर्ता तक ले जाता है, जो उन्हें “स्वीकार करने के लिए खुली बांहों के साथ” तैयार है।24
“प्रभु यों कहता है; रोने–पीटने और आंसू बहाने से रुक जा; क्योंकि तेरे परिश्रम का फल मिलनेवाला है, और वे शत्रुओं के देश से लौट आएंगे।
“और अन्त में [आपकी] आशा पूरी होगी, प्रभु की यह वाणी है, [आपके] वंश के लोग अपने देश में लौट आएंगे।”25
यीशु मसीह में आपकी “आशा अन्त में पूरी होगी”। हमने ऐसा कुछ भी किया है या नहीं किया है, जो उसके अनंत बलिदान की पहुंच से परे हो। यही कारण है कि हमारी कहानी का कभी अंत नहीं है।26 इसलिए, आपको “मसीह में दृढ़ता से विश्वास करते हुए, आशा की परिपूर्ण चमक, और परमेश्वर व सभी मनुष्यों के प्रति प्रेम रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए। इसलिए, यदि तुम, मसीह के वचन का प्याला पीते हुए, और अंत तक सहनशील बने रहते हुए, आगे बढ़ते रहोगे, तो देखो, पिता इस प्रकार कहता है: [हमें] अनंत जीवन मिलेगा।”27
अनंत जीवन अनंत आनंद है। इस जीवन में खुशी, आज—हमारे दिन की चुनौतियों के बावजूद नहीं बल्कि प्रभु की मदद से उनसे कैसे उबरना है यह सीखने के कारण आती है—और यह खुशी आने वाले जीवन में भी आयेगी। आंसू सूख जाएंगे, टूटे हुए दिल जुड़ जाएगे, जो खो गया है वह मिल जाएगा, चिंताओं का समाधान हो जाएगा, परिवार एक साथ हो जाएंगे, और वह सब जो पिता का है हमारा होगा।28
मेरी पवित्र गवाही यह है यीशु मसीह की ओर देखो और जियो29 “जो [हमारी] आत्माओं का चरवाह और अध्यक्ष है,”30 यीशु मसीह के पवित्र नाम में आमीन।