महा सम्मेलन
मसीह के साथ अनुबंध संबंध में चलना
अक्टूबर 2023 महा सम्मेलन


10:24

मसीह के साथ अनुबंध संबंध में चलना

जो हमारे लिए घायल और तोड़ा गया था वह नश्वरता में हमें उसके कार्य को करना संभव बनाएगा, वह हमें अकेले उन चुनौतियों का सामना करने के लिए नहीं कहता है।

मेरे अच्छे दोस्त इलान ने मुझे इस्राएल में एक पगडंडी में बारे में बताया था। “इसे यीशु की पगडंडी कहा जाता है,” उसने कहा, “क्योंकि यह नासरत से कफरनहूम तक का वह मार्ग है जिस पर कई लोग विश्वास करते हैं कि यीशु चला था। मैंने उसी क्षण फैसला किया था कि मैं उस मार्ग पर चलना चाहती हूं, इसलिए मैंने इस्राएल की यात्रा की योजना बनाना शुरू कर दिया था।

यात्रा से छह हफ्ते पहले, मेरा टखना टूट गया था। मेरे पति चोट को लेकर चिंतित थे; मेरी सबसे बड़ी चिंता यह थी कि मैं एक महीने बाद “यीशु पगडंडी” पर कैसे चल पााऊंगी। मैं स्वभाव से जिद्दी हूं, इसलिए मैंने हवाई के टिकट रद्द नहीं किए।

मुझे जून की उस खूबसूरत सुबह को हमारे इस्राएली गाइड से मिलना याद है। मैं वैन से बाहर निकली और फिर बैसाखी और एक घुटने का स्कूटर निकाला। माया, हमारी गाइड, ने मेरे पैर पर चढ़े प्लास्टर देखा और कहा, “उह, मुझे नहीं लगता कि आप इस स्थिति में इस पगडंडी पर चल सकती हैं।

“शायद नहीं,” मैंने जवाब दिया। “लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है जो मुझे कोशिश करने से रोकता हो।” उसने सिर हिलाया, और हम चलने लगे। मुझे उसकी बात अच्छी लगी, जब उसने विश्वास किया कि मैं टूटे पैर के साथ पगडंडी पर चल सकती हूं।

कुछ समय के लिए मैं खड़ी चढ़ाई और पत्थरों पर स्वयं चली थी। फिर, मेरी हिम्मत से प्रेरित होकर, माया ने एक पतली रस्सी निकाली, इसे मेरे स्कूटर के हैंडल से बांधकर खींचने लगी। वह मुझे पहाड़ियों पर, नींबू के बागों के बीच, और गलील सागर के किनारे इस तरह खींचकर ले गई थी। यात्रा के अंत में, मैंने गाइड को आभार व्यक्त किया, जिसने मुझे कुछ ऐसा करने में मदद की थी जो मैं अपने दम पर कभी नहीं कर सकती थी।

जब प्रभु ने हनोक को देश की यात्रा करने और उसकी गवाही देने के लिए नियुक्त किया, तो हनोक हिचकिचाया था।1 वह मात्र एक लड़का था, बोलने में धीमा। वह ऐसी दशा में उस मार्ग पर कैसे चल सकता था? अपनी भीतर की कमी के कारण वह अंधा हो गया था। प्रभु कहा कि उसे किस बात ने रोक था: “मेरे साथ चलो।”2 हनोक की तरह, हमें याद रखना चाहिए कि जो हमारे लिए घायल और तोड़ा गया था,3 वह नश्वरता में हमें उसके कार्य को करना संभव बनाएगा, लेकिन वह हमें अकेले उन चुनौतियों का सामना करने के लिए नहीं कहता है।4 चाहे हमारा बोझ कितना भारी क्यों न हो, या मार्ग कितना कठिन क्यों न हो, वह हमें अपने साथ चलने के लिए आमंत्रित करेगा।5

उस युवक के बारे में सोचो जो मुसीबत में था और जो निर्जन प्रदेश में प्रभु से मिला था। याकूब घर से बहुत दूर गया था। रात के अंधेरे में, उसने एक सपना देखा जिसमें न केवल एक सीढ़ी थी, बल्कि महत्वपूर्ण अनुबंध प्रतिज्ञाएं भी थी, जिसे मैं पांच-उंगली प्रतिज्ञाएं कहूंगी।6 उस रात प्रभु याकूब के निकट खड़ा हुआ, उसने स्वयं को याकूब के पिता का परमेश्वर बताया, और फिर प्रतिज्ञा की:

  • मैं तेरे संग रहूंगा।

  • मैं तेरी रक्षा करूंगा।

  • तुझे इस देश में दुबारा ले आऊंगा।

  • मैं तुझे अकेला नहीं छोडूंगा।

  • मैं अपनी प्रतिज्ञा का पालन करूंगा।7

याकूब को चुनना था। वह अपने जीवन को अपने पिता के परमेश्वर से मात्र परिचित होकर जीना चुन सकता था, या वह उसके साथ निष्ठावान अनुबंध बनाकर जीवन जीना चुन सकता था। सालों बाद याकूब ने उन अनुबंध प्रतिज्ञाओं के अनुसार जीवन जीने की गवाही दी थी: “परमेश्वर ने संकट के दिन मेरी सुन ली, और जिस मार्ग से मैं चलता था, उसमें मेरे संग रहा।”8 जैसा वह याकूब के साथ रहा था, वैसे ही प्रभु संकट के हमारे दिन में हम में से प्रत्येक के साथ रहेगा यदि हम अपने जीवन को उसके साथ जोड़ते हैं। उसने मार्ग में हमारे साथ रहने की प्रतिज्ञा की है।

हम इसे अनुबंध मार्ग पर चलना कहते हैं—एक ऐसा मार्ग जो बपतिस्मा के अनुबंध से आरंभ होता है और मंदिर में हमारे द्वारा बनाए गए गहन अनुबंधों की ओर ले जाता है। शायद आप उन शब्दों को सुनते हैं और चेकबॉक्स के बारे में सोचते हैं। शायद आप जो कुछ भी देखते हैं वह मार्ग की आवश्यक बातें हैं। निकट से देखने पर कुछ अधिक आवश्यक नजर देता है। अनुबंध मात्र कोई समझौता नहीं है, हालांकि यह महत्वपूर्ण है। यह एक संबंध है। अध्यक्ष रसल एम. नेल्सन ने सिखाया था, “अनुबंध मार्ग परमेश्वर के साथ हमारा संबंध है।”9

वैवाहिक अनुबंध पर विचार करें। विवाह की तारीख महत्वपूर्ण है, लेकिन उतना ही महत्वपूर्ण इसके बाद जीवन में एक साथ रहते हुए बनाया गया संबंध है। यही बात परमेश्वर के साथ अनुबंध संबंध पर भी लागू होती है। परिस्थितियां निर्धारित की जाती हैं और आगे चलकर आशाएं भी होंगी। वह हम में से प्रत्येक को आमंत्रित करता है कि हम, संपूर्ण हृदय से, और उसके निकट रहते हुए “आगे बढ़ते रहें”,”10 भरोसा करते हुए कि उसकी प्रतिज्ञा की गई आशीषें मिलेंगी। पवित्र शास्त्र हमें याद दिलाता है कि अक्सर वे आशीषें उसके अपने समय में और उसके तरीके से मिलती हैं: 38 वर्षों में,11 12 वर्षों में,12 या तुरंत।13 जब तुम्हारी पगडंडी की मांग होगी, वैसे ही उसकी सहायता होगी।14

उनका मिशन संवेदना का मिशन है। यीशु मसीह, जिस परिस्थिति में हम हैं, हमसे वहीं मिलेगा। इसलिए बगीचे, सलीब और कब्र है। उद्धारकर्ता को हमें विजयी होने में मदद के लिए भेजा गया था।15 लेकिन हम जहां हैं, वहीं रहने से वह मुक्ति नहीं मिलेगी जो हम चाहते हैं। जैसे उसने याकूब को अकेले नहीं छोड़ा, वैसे ही प्रभु हममें से किसी को भी हमारी परिस्थिति में अकेला नहीं छोड़ना चाहता है।

उसका मिशन बेहतर परिस्थिति में पहुंचाना भी है। वह हमारे भीतर बेहतर कार्य करेगा ताकि हम उस स्थान तक पहुंच सकें जहां16 वह है और इस प्रक्रिया में, हमें अपने समान बनने में सक्षम बनाएगा। यीशु मसीह हमें ऊंचे पर चढ़ाने आया था।17 वह हमें बेहतर बनने में मदद करना चाहता है। इसलिए मंदिर दिया गया है।

हमें याद रखना चाहिए, यह केवल मार्ग नहीं है जो हमें ऊंचे पर चढ़ाएगा, यह हमारा साथी–उद्धारकर्ता है। और इसलिए यह अनुबंध संबंध है।

जब मैं इस्राएल में थी, तो मैं पश्चिमी दीवार गई थी। यहूदियों के लिए, यह इस्राएल में सबसे पवित्र स्थान है। यह सब उनके मंदिर के अवशेष हैं। अधिकांश लोग जब इस पवित्र स्थान पर जाते हैं तो वे अपने बेहतरीन कपड़े पहनते हैं; उनके कपड़ों का चयन परमेश्वर के साथ उनके संबंध के प्रति उनकी निष्ठा का प्रतीक होता है। वे पवित्र शास्त्र पढ़ने, उपासना करने और अपनी प्रार्थना करने के लिए दीवार पर जाते हैं। उनका हर दिन, उनकी हर प्रार्थना, अपने बीच में मंदिर के लिए याचना, अनुबंध के घर की चाहत में बीतता है। मैं उनकी भक्ति की प्रशंसा करती हूं।

जब मैं इस्राएल से घर लौटी, तो मैंने अनुबंधों के बारे में अपने आस-पास की बातचीत को अधिक ध्यान से सुना। मैंने देखा कि लोग पूछते हैं, ”मुझे अनुबंध मार्ग पर क्यों चलना चाहिए? अनुबंध बनाने के लिए मुझे भवन में प्रवेश करने की आवश्यकता क्यों है? मैं पवित्र पोशाक क्यों पहनता हूं? मुझे प्रभु के साथ अनुबंध संबंध में क्यों समय लगाना चाहिए? इन अच्छे और महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर सरल है: यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप यीशु मसीह के साथ किस सीमा तक संबंध बनाना चाहते हैं।18 हम में से प्रत्येक को उन गहन व्यक्तिगत प्रश्नों के लिए अपनी प्रतिक्रिया की खोज करनी होगी।

यह मेरा है: मैं इस मार्ग पर “स्वर्गीय माता-पिता कीप्यारी बेटी” के रूप में चलती हूं, ”19 जिन्हें मैं दिव्यरूप से जानतीहूं20 और गहराई से भरोसा करती हूं21 अनुबंध की सन्तान होने के रूप, मैं प्रतिज्ञाकी गई22 आशीषों को प्राप्त करने के योग्य हूं। मैंने प्रभु के साथ चलने का चुनाव23 किया है। मुझे प्रभु का गवाह बनने के लिए नियुक्त24 किया गया है। जब मार्ग में चुनौतियां आती हैं, तो मैं सक्षम अनुग्रह से मजबूतकी जाती हूं।25 हर बार जब मैं उसके भवन में प्रवेश करती हूं, तो मैं उसके साथ गहरे अनुबंध संबंध बनाती हूं। मैं उसकी आत्मा से पवित्रहुई हूं,26 उसकी शक्ति से वृत्तिदानप्राप्त करती हूं,27 और उसके राज्य का निर्माण करने के लिए नियुक्त28 की गई हूं। दैनिक पश्चाताप और प्रभु-भोज में साप्ताहिक रूप से भाग लेने की प्रक्रिया के द्वारा, मैं सुदृढ़होना29 और बेहतरकरना सीख रही हूं।30 मैं यीशु मसीह के साथ इस मार्ग पर चलती हूं, उस प्रतिज्ञा के दिन की प्रतीक्षा करती हुई जब वह फिर आएगा। तब मुझे पर उसकी31 मुहर लगादी जाएगी और मुझे परमेश्वर की पवित्र32 पुत्री के रूप में ऊंचे पर चढ़ाया जाएगा।

इसलिए मैं अनुबंध मार्ग पर चलती हूं।

इसलिए मैं अनुबंध प्रतिज्ञा पर अटल रहती हूं।

इसलिए मैं उसकी अनुबंध भवन में प्रवेश करती हूं।

इसलिए मैं पवित्र पोशाक को निरंतर याद दिलाने के लिए में पहनती हूं।

क्योंकि मैं उसके साथ निष्ठापूर्ण अनुबंध संबंध में जीना चाहती हूं।

शायद आप भी ऐसा करते हैं। जिस भी परिस्थिति आप हैं वहीं से आरंभ करें।33 अपनी परिस्थिति को इसमें बाधा न बनने दें। याद रखें, मार्ग पर गति या स्थिति प्रगति के लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं।.34 किसी ऐसे व्यक्ति से पूछो जिस पर आप भरोसा करते हो, जो अनुबंध मार्ग पर चलता है, कि वह आपको उस उद्धारकर्ता से मिलवाए जिसे वे जानते हैं। उसके बारे में अधिक जानें। उसके साथ अनुबंध संबंध बनाएं। इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि आपकी आयु या आपकी परिस्थिति क्या है। आप उसके साथ चल सकते हैं।

यीशु की पगडंडी पर चलने के बाद, माया ने अपनी रस्सी वापस नहीं ली थी। उसने इसे स्कूटर से बांधा छोड़ दिया था। अगले कुछ दिनों तक मेरे छोटे भतीजे और उनके दोस्त मुझे यरूशलेम की सड़कों पर खींचते रहे थे।35 उन्होंने सुनिश्चित किया कि मैं यीशु की कहानियों को भूल न जाऊं। मुझे उभरती पीढ़ी की ताकत की याद आ गई। हम आपसे सीख सकते हैं। आपके मन में गाइड, यीशु मसीह को जानने की वास्तविक इच्छा है। आप उस रस्सी की ताकत पर भरोसा करते हो जो हमें उससे जोड़ती है। आप दूसरों को उसके पास लाने में असामान्य रूप से प्रतिभाशाली हैं।36

शुक्र है, हम इस रास्ते पर एक साथ चल रहे हैं और रास्ते में प्रोत्साहन भी दे रहे हैं।37 जब हम मसीह के साथ अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा करते हैं, तब हम व्यक्तिगत निष्ठा को मजबूत करेंगे। इसकी मैं यीशु मसीह के नाम में गवाही देती हूं, आमीन।

विवरण

  1. हनोक के लोग भटक गए थे, उन्होंने मसीह को अस्वीकार कर दिया था, उन्होंने अंधेरे में अपनी सलाह मांगी थी (देखें मूसा 6:27–28)। ऐसे समय में जब उसने मानवता में विश्वास खो दिया था, हनोक मार्गदर्शन के लिए प्रभु की ओर मुड़ा था। हनोक के लिए यह कार्य वही कार्य है जो प्रभु हम सभी को देता है:(मूसा 6:34; मत्ती 11:28 भी देखें)। लेकिन हो सकता है, हनोक के समान, आप अनिश्चित हों कि क्या आप अपनी परिस्थिति में इस मार्ग पर चल सकते हैं। हो सकता है कि आप किसी तरह की बाधा महसूस करें। शायद अनुबंध मार्ग पर चलने की आवश्यकता का कारण हमारी परिस्थिति हो, क्योंकि हम किसी न किसी प्रकार से बाधित होते हैं और हमें उसकी सहायता की आवश्यकता होती है।

  2. देखें मूसा 6:23-34

  3. देखें “Jesus of Nazareth, Savior and King,” Hymns, no. 181.।

  4. देखें ईथर 12:27

  5. देखें मत्ती 11:28-30

  6. मेरी लड़कियां हर सुबह अपने बच्चों (मेरे नाती पोतों) को पांच उंगलियों की प्रतिज्ञाएं सुनाना चाहती हैं- स्वर्ग में पिता की याद दिलाता है जो अपने प्रत्येक बच्चे के बारे में दिव्य रूप से जानता है।

  7. देखें उत्पत्ति 28:10-22। इब्राहीमिक अनुबंध भी उस रात का एक महत्वपूर्ण विषय था। इब्राहीमिक अनुबंध के ये तत्व हमारे जीवन में और यीशु मसीह के सुसमाचार में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं: (1.) एक अनन्त विरासत की प्रतिज्ञा (पद 13);(2.) अनन्त भावी पीढ़ी (पद 14);और (3.) पृथ्वी के सभी राष्ट्रों को आशीष देने के लिए आशीष और जिम्मेदारी (पद 14)।

  8. उत्पत्ति 35:3; महत्व जोड़ा गया है। याकूब के माता-पिता ने उसे एसाव से दूरी बनाने के लिए घर छोड़ने का निर्देश दिया, जिसने उसे मारने की धमकी दी थी, और किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने का अवसर मिला जिससे वह अनुबंध में विवाह कर सके (देखें उत्पत्ति 27:41–45; 28:1–2, 5)।

  9. Russell M. Nelson, “The Everlasting Covenant,” Liahona, Oct. 2022, 11.

  10. 2 नफी 31:20

  11. देखें यूहन्ना 5:5, बेतहसदा की झील की कहानी

  12. देखें मरकुस 5:25, उस स्त्री की कहानी जिसने मसीह के वस्त्र को छुआ था।

  13. देखें मत्ती 14:31, पतरस के पानी पर चलने की कहानी।

  14. देखें “How Firm a Foundation,” Hymns,no. 85।

  15. देखें 1 नफी 11:16-33

  16. देखें फिलिप्पियों 1:6; 2:13; मॉरनम के वचन 1:7

  17. देखें यूहन्ना 12:32.

  18. किसी मार्ग को अक्सर प्रमुख विशेषताओं जैसे गाइड पोस्ट या मील पत्थरों द्वारा दिखाया जाता है। यह सुनिश्चित करने का एक तरीका है कि आप सही मार्ग पर हैं या सही दिशा में प्रगति कर रहे हैं। एक संबंध को प्रमुख विशेषताओं द्वारा भी परिभाषित किया जा सकता है। इनमें से कुछ में अपेक्षा शामिल है (देखें यिर्मयाह 29:11; सिद्धांत और अनुबंध 132:7); विनम्रता (देखें मुसायाह 3:19; अलमा 7:23; 13:28; ); विनम्रता, आज्ञाकारिता, धैर्य, समर्पण, विश्वास (देखें नीतिवचन 3:5); और प्रेम (देखें रोमियों 8:31–39)

  19. युवा महिला थीम,” गॉस्पेल लाइब्रेरी, महत्व डाला गया है; बोनी एच. कॉर्डन, “प्यारी बेटिया,” लियाहोना,नवंबर 2019, 67, भी देखें।

  20. देखें यूहन्ना 4:1–29, कुएं पर महिला की कहानी।

  21. देखें अलमा 38:1-3

  22. देखें गिनती 6:23-27

  23. देखें यहोशू 24:22.

  24. देखें सिद्धांत और अनुबंध 25:3; एम्मा स्मिथ की कहानी

  25. देखें 1 नफी 15:9-10

  26. देखें 2 इतिहास 20:2–17, विशेषकर पद 14

  27. देखें सिद्धांत और अनुबंध 109:1-46

  28. देखें 1 शमूएल 16:11-13

  29. देखें एस्तेर 4:16, एस्तेर की कहानी।

  30. देखें प्रेरितों के काम 10:38

  31. देखें यशायाह 43:1-5

  32. देंखें व्यवस्थाविवरण:1-9

  33. एक अच्छे दोस्त ने मुझे याद दिलाया कि किसी भी संबंध में कार्य करना महत्वपूर्ण है।

  34. क्रिस्टन ऑलसेन के साथ बातचीत, सितंबर 2023।

  35. मैक ओसवाल्ड, कैमडेन ओसवाल्ड, एश्टन मैथेनी और जैक बटलर को, मुझे अपने साथ लाने के लिए धन्यवाद।

  36. आपको याद होगा कि मैं अंतिम-दिनों के संतों के यीशु मसीह के गिरजे के युवाओं को वर्तमान में पृथ्वी पर सबसे बड़े अभियान—इस्राएल को एकत्रित करना, में भाग लेने के लिये प्रभु के युवा समूह में शामिल होने का निमंत्रण दिया है। मैंने हमारे युवाओं को यह निमंत्रण दिया था क्योंकि उनके पास दूसरों तक पहुंचने और जो वे विश्वास करते हैं उसे दृढ़ता से बांटने का अद्वितीय उपहार है।(रसेल एम. नेल्सन, “Witnesses, Aaronic Priesthood Quorums, and Young Women,” लियाहोना, नवंबर 2019, 39).

  37. “परमेश्वर का राज्य… एक घिरे हुए शहर की तरह है जो चारों तरफ से मौत से घिरा हुआ है। प्रत्येक व्यक्ति के पास बचाव के लिए दीवार पर अपनी जगह है और कोई भी वहां खड़ा नहीं हो सकता जहां दूसरा खड़ा है, लेकिन ‘हमें एक-दूसरे को प्रोत्साहन देने से कोई नहीं रोकता है’’’ (मार्टिन लूथर, लुईस विलियम स्पिट्ज, The Renaissance and Reformation Movements [1987], 335) ।