उभरती पीढ़ी में अनुबंधित लोगों की आवाज को संरक्षित करना
हमारी सबसे पवित्र जिम्मेदारियों में से एक है अपने बच्चों को गहराई से और विशेष रूप से यह जानने में मदद करना कि यीशु ही मसीह हैं।
मॉरमन की पुस्तक में सबसे बेहद छू लेने वाले क्षणों में से एक है पुनर्जीवित उद्धारकर्ता का बाउंटीफुल मंदिर में लोगों से मिलना है। दिन-भर की शिक्षा, चंगाई और विश्वास के कार्य के बाद, यीशु ने लोगों का ध्यान बढ़ती पीढ़ी की ओर आकर्षित किया: “उसने आज्ञा दी कि वे अपने छोटे बच्चों को लाएं।”1 उसने उनके लिए प्रार्थना की और एक-एक करके उन्हें आशीष दी। वह अनुभव इतना दिल को छूनेवाला था कि उद्धारकर्ता स्वयं कई बार रोया।
तब यीशु ने भीड़ से बात करते हुए कहा:
“अपने छोटें बच्चो को देखो।
“और जब उन्होंने देखना चाहा … तो उन्होंने स्वर्गों को खुलते हुए देखा, और उन्होंने स्वर्ग से स्वर्गदूतों को नीचे उतरते देखा,” उनके बच्चों को उपदेश देते हुए।2
मैंने अक्सर इस अनुभवों के बारे में सोचा है। इससे हर व्यक्ति का हृदय करुणा से भर गया होगा! उन्होंने उद्धारकर्ता को देखा। उन्होंने उसे महसूस किया। वे उसे जानते थे। उसने उन्हें सिखाया। उसने उन्हें आशीष दी। और वह उनसे प्रेम करता था। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि इस पवित्र घटना के बाद, ये बच्चे बड़े होकर शांति, समृद्धि और यीशु मसीह के समान प्रेम करने वाले समाज की स्थापना में मदद करने लगे जो पीढ़ियों तक कायम रहा।3
क्या यह अद्भुत नहीं होगा यदि हमारे बच्चों को यीशु मसीह के साथ वैसा ही अनुभव मिल सके—कुछ ऐसा जो उनके दिलों को उसके साथ बांध दे! वह हमें आमंत्रित करता है, जैसे उसने मॉरमन की पुस्तक में उन माता-पिता को आमंत्रित किया था, कि हम अपने छोटे बच्चों को उसके पास लाएं। हम उन्हें उनके उद्धारकर्ता और मुक्तिदाता को जानने में उसी तरह मदद कर सकते हैं जैसे इन बच्चों ने किया था। हम उन्हें दिखा सकते हैं कि पवित्र शास्त्रों में उद्धारकर्ता को कैसे खोजा जाए और उस पर अपनी नींव कैसे बनाई जाए।4
हाल ही में, एक अच्छे दोस्त ने मुझे उस बुद्धिमान व्यक्ति के दृष्टांत के बारे में कुछ सिखाया जिस पर मैंने पहले ध्यान नहीं दिया था जिसने चट्टान पर अपना घर बनाया था। लूका के अनुसार, जब बुद्धिमान व्यक्ति ने अपने घर की नींव रखी, तो उसने “गहराई से खुदाई की।”5 यह कोई अनौपचारिक या साधारण प्रयास नहीं था—इसके लिए कडा प्रयास करना पड़ा!
अपने उद्धारकर्ता, यीशु मसीह की चट्टान पर अपना जीवन बनाने के लिए, हमें गहराई तक खुदाई करने की आवश्यकता है। हम अपने जीवन से वह सब कुछ हटा देते हैं जो अनंत नहीं हें या अनावश्यक है। हम तब तक खोजते रहते हैं जब तक हमें वह नहीं मिल जाता। और हम अपने बच्चों को पवित्र विधियों और अनुबंधों के माध्यम से खुद को उसके साथ बांधना सिखाते हैं, ताकि जब विपरीत तूफान और बाढ़ आएं, और वे निश्चित रूप से आएंगे, तो उनका उन पर बहुत कम प्रभाव पड़ेगा उस “चट्टान के कारण जिस पर वे बने हैं”।”6
इस तरह की शक्ति को ऐसे ही नहीं हासिल किया जा सकता है। इसे आत्मिक विरासत की तरह अगली पीढ़ी तक नहीं दिया जा सकता। चट्टान को खोजने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को गहरी खुदाई करनी होगी।
हम यह उपदेश मॉरमन की पुस्तक के एक अन्य घटना से सीखते हैं। जब राजा बिन्यामीन ने अपने लोगों को अपना अंतिम संबोधन दिया, तो वे उनके शब्दों को सुनने के लिए परिवारों के साथ एकत्र हुए थे।7 राजा बिन्यामीन ने यीशु मसीह की शक्तिशाली गवाही दी और लोग उसकी गवाही से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने घोषणा की:
“आत्मा… ने हममें, या हमारे हृदयों में एक महान परिवर्तन किया है। …
और हम अपने परमेश्वर के साथ एक अनुबंध में प्रवेश करने के लिए तैयार हैं ताकि हम … अपने शेष जीवन भर उसकी इच्छा पूरी कर सकें”।8
कोई आशा कर सकता है कि ऐसे गहराई से परिवर्तित माता-पिता के छोटे बच्चे अंततः परिवर्तित हो जाएंगे और स्वयं अनुबंध बनाएंगे। और फिर भी, किसी कारण से जिसे उस घटना में नहीं बताया गया है, माता-पिता द्वारा बनाये गए अनुबंध उनके कुछ बच्चों पर असर नहीं डालते। कई साल बाद, “बहुत-सी उभरती पीढ़ियां हुई थी जो राजा बिन्यामीन की बातों को समझ नहीं पाई थीं, क्योंकि जब उसने अपने लोगों से बातें की थीं तब वे छोटे बच्चे थे; और वे अपने पूर्वजों की परंपराओं पर विश्वास नहीं करते थे।
“वे, न तो उस पर विश्वास करते थे जो मृतक के पुनरुत्थान के संबंध कहा गया था, न ही वे मसीह के आने के संबंध में विश्वास करते थे ।
और वे न तो बपतिस्मा लेना चाहते थे; न ही वे गिरजे में शामिल होंगे। और वे अपने विश्वास के अनुसार अलग लोग थे।”9
क्या गंभीर विचार है! बढ़ती पीढ़ी के लिए, यीशु मसीह में विश्वास के लिए “उनके पूर्वजों की परंपरा” का होना ही पर्याप्त नहीं है। उन्हें अपने लिए मसीह में विश्वास रखने की आवश्यकता है। परमेश्वर के अनुबंधित लोगों के रूप में, हम अपने बच्चों के दिलों में उसके साथ अनुबंध बनाने और निभाने की इच्छा कैसे पैदा कर सकते हैं?
हम नफी के उदाहरण के साथ शुरुआत कर सकते हैं: “हम मसीह के विषय में बात करते हैं, हम मसीह में आनंदित होते हैं, हम मसीह का प्रचार करते हैं, हम मसीह की भविष्यवाणी करते हैं, और हम अपनी भविष्यवाणियों के अनुसार लिखते हैं कि हमारी संतान जान सके कि वे अपने पापों की क्षमा के लिए किसके पास जाएं।”10 नफी के शब्द हमारे बच्चों को मसीह के बारे में सिखाने के निरंतर प्रयास का संकेत देते हैं। हमें यह सुनिश्चित करना हैं कि उभरती पीढ़ी के कानों में अनुबंधित लोगों की आवाज खामोश न हो और यीशु केवल रविवार का विषय न रहे।11
अनुबंधित लोगों की आवाज हमारी गवाही के शब्दों में पाई जाती है। यह जीवित भविष्यवक्ताओं के शब्दों में पाई जाती है। और यह पवित्र शास्त्रों में ही शक्तिशाली रूप से संरक्षित है। वहां हमारे बच्चे यीशु को जानेंगे और अपने सवालों के जवाब पाएंगे। वहां वे स्वयं से मसीह का सिद्धांत सीखेंगे। वहां उन्हें आशा मिलेगी। यह उन्हें जीवन भर सच्चाई की खोज करने और अनुबंध मार्ग पर जीने के लिए तैयार करेगा।
मुझे अध्यक्ष रसल एम. नेल्सन की यह सलाह बहुत पसंद है:
हम कहां उसे सुनने जा सकते हैं?
हम पवित्र शास्त्रों में पढ़ सकते हैं। ये हमें यीशु मसीह और उसके सुसमाचार, उसके प्रायश्चित की विशालता, हमारे स्वर्गीय पिता की प्रसन्नता और मुक्ति की महान योजना के विषय में सीखाते हैं । परमेश्वर के वचन को प्रतिदिन अध्यायन करना हमारे आत्मिक अस्तित्व के लिए बहुत आवश्यक है, विशेषकर इस बढ़ते उथल-पुथल के समय में । जब हम प्रतिदिन मसीह के वचनों में आनंदित होते हैं, तो मसीह के वचन हमें बताएंगे कि उन कठिनाइयों में हम क्या कर सकते हैं जिनकी हमने कभी कल्पना नहीं की थी”।12
तो मसीह के वचनों का आनंद लेना और उसे सुनना कैसा लगता है? ऐसा लगता है जो भी आपके लिए अच्छा हो काम करेगा! हो सकता है आपके परिवार के साथ उन बात के बारे में बात करना जो पवित्र आत्मा ने आपको आपके पवित्र शास्त्र अध्ययन में आओ, मेरा अनुसरण करो का उपयोग करके सिखाई थी। आप हर दिन अपने बच्चों के साथ इकट्ठा होकर पवित्र शास्त्रों से कुछ पद पढ़ें और फिर एक साथ समय बिताकर आपने जो सीखा है उस पर चर्चा करने का प्रयास करे। बस यह खोजें कि आपके और आपके परिवार के लिए क्या सही है और फिर हर दिन थोड़ा और बेहतर करने का प्रयास करें।
इस पर विचार करें उद्धारकर्ता की तरह सिखाना: “अलग-अलग तौर पर, केवल एक घरेलु संध्या, धर्मशास्त्र अध्ययन सत्र, या सुसमाचार चर्चा से हो सकता ऐसा नहीं लगे कि इससे बहुत कुछ हासिल कर रहा है। लेकिन समय बीतने के साथ निंरतर किए गए छोटे एंव सरल प्रयासों का संचय, किसी भी सामयिक स्मारकीय क्षण या ऐतिहासिक सबक की तुलना में अधिक शक्तिशाली और मजबूत हो सकता है। … तो हार मत मानो, और हर बार कुछ सर्वश्रेष्ठ हासिल करने की चिंता मत करो। बस अपने उचित प्रयासों को निरंतर करते रहें।”13
हमारी सबसे पवित्र जिम्मेदारियों में से एक है अपने बच्चों को गहराई से और विशेष रूप से यह जानने में मदद करना कि यीशु ही मसीह है, जीवित परमेश्वर का पुत्र, उनका व्यक्तिगत उद्धारकर्ता और मुक्तिदाता, जो उनके गिरजे का प्रमुख हैं! जब उसकी बात आती है तो हम अपनी अनुबंधित आवाज को मंद या शांत नहीं होने दे सकते।
आप इस भूमिका में थोड़ा अपर्याप्त महसूस कर सकते हैं, लेकिन आपको कभी भी अकेला महसूस नहीं करना चाहिए। उदाहरण के लिए, वार्ड परिषदें अभिभावकों के लिए शिक्षक परिषद सभाएं आयोजित करने के लिए अधिकृत हैं। इन तिमाही सभाओं में, माता-पिता एक-दूसरे के अनुभवों से सीखने के लिए एकत्रित हो सकते हैं, चर्चा कर सकते हैं कि वे अपने परिवारों को कैसे मजबूत कर सकते हैं, और मसीह जैसी शिक्षा के प्रमुख सिद्धांतों को सीख भी सकते हैं। यह सभा गिरजे के दूसरे घंटे होनी चाहिए।14 इसका नेतृत्व धर्माध्यक्ष द्वारा चुने गए किसी वार्ड सदस्य द्वारा किया जाता है और प्राथमिक साधन के रूप में उद्धारकर्ता की तरह सिखाना का उपयोग करते हुए नियमित शिक्षक परिषद की बैठकों के प्रारूप का पालन किया जाता है।15 धर्माध्यक्ष, यदि आपका वार्ड वर्तमान में माता-पिता के लिए शिक्षक परिषद की बैठकें आयोजित नहीं कर रहा है, तो खुद को व्यवस्थित करने के लिए अपने रविवार विद्यालय अध्यक्ष और वार्ड परिषद के साथ इसको आयोजित करें।16
मसीह में मेरे प्रिय मित्रों, आप जितना सोचते हैं उससे कहीं बेहतर कर रहे हैं। बस इस काम को करते रहो। आपके बच्चे देख रहे हैं, सुन रहे हैं और सीख रहे हैं। जब आप उन्हें सिखाएंगे, तो आपको परमेश्वर के प्यारे बेटे और बेटियों के रूप में उनके वास्तविक स्वरूप का पता चलेगा। वे कुछ समय के लिए उद्धारकर्ता को भूल सकते हैं, लेकिन मैं आपसे वादा करता हू, वह उन्हें कभी नहीं भूलेगा! वे क्षण जब पवित्र आत्मा उनसे बात करती है वे उनके दिल और दिमाग में बने रहेंगे। और एक दिन आपके बच्चे इनोस की गवाही दोहराएंगे: “मैं, जानते हुए कि मेरे माता पिता धार्मिक थे” क्योंकि उन्होंने मुझे अपनी भाषा में शिक्षा दी, और प्रभु की दया और चेतावनी में भी—और इसके लिए मेरे परमेश्वर का नाम आशीषित हो।”17
आइए हम उद्धारकर्ता के निमंत्रण को स्वीकार करें और अपने बच्चों को उसके पास लाए। जब हम ऐसा करेंगे, तो वे उसे देखेंगे। वे उसे महसूस करेंगे। वे उसे जान लेंगे। वह उन्हें शिक्षा देगा। वह उन्हें आशीषित करेगा। और हां, वह उनसे कितना प्रेम करेगा। ओह, मैं उसे बहुत प्यार करता हूं। यीशु मसीह के पवित्र नाम में, आमीन।