“राजा बिन्यामीन,” मॉरमन की पुस्तक की कहानियां (2023)
राजा बिन्यामीन
लोगों और परमेश्वर की सेवा करना
राजा बिन्यामीन परमेश्वर का एक भविष्यवक्ता था जिसने जराहेमला देश पर शासन किया था। उसने अपने लोगों की सेवा करने और उन्हें परमेश्वर के बारे में सिखाने के लिए कड़ी मेहनत की। परमेश्वर के अन्य भविष्यवक्ताओं की मदद से, बिन्यामीन ने जराहेमला को रहने के लिए एक शांतिपूर्ण और सुरक्षित स्थान बनाया।
मॉरमन के वचन 1:17–18; मुसायाह 1:1–7
बिन्यामीन बूढ़ा हो गया। उसने अपने बेटे मुसायाह से लोगों को एक साथ लाने के लिए कहा। बिन्यामीन उन्हें बताना चाहता था कि मुसायाह उनका नया राजा होगा।
देश भर से बहुत से लोग आए। उन्होंने बिन्यामीन की बात सुनने के लिये मंदिर के निकट अपने तंबू लगाए।
बिन्यामीन ने एक मीनार के ऊपर से बातें कीं ताकि बहुत से लोग उसे सुन सकें। बिन्यामीन ने कहा कि परमेश्वर ने उनका नेतृत्व करने में उसकी मदद की। राजा के रूप में, उसने उन्हें परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना सिखाया। उसने न तो उनके पैसे लिये और न ही उनसे अपनी सेवा करवाई। इसके बजाय, उसने अपने लोगों और परमेश्वर की सेवा के लिए काम किया।
बिन्यामीन ने लोगों से कहा कि जब वे एक-दूसरे की सेवा करते हैं, तो वे परमेश्वर की भी सेवा कर रहे हैं। तब उसने उनसे कहा कि उनके पास जो कुछ भी है वह परमेश्वर की ओर से आया है। बदले में, परमेश्वर चाहता था कि वे उसकी आज्ञाओं का पालन करें। जब उन्होंने आज्ञा मानी तो परमेश्वर ने उन्हें और भी आशीषें दीं।
बिन्यामीन ने उन्हें बताया कि वह अब उनका राजा या शिक्षक नहीं रह सकता। उसका पुत्र मुसायाह उनका नया राजा होगा।
तब बिन्यामीन ने अपने लोगों से कहा, कि एक स्वर्गदूत उसे दर्शन देने आया। स्वर्गदूत ने कहा कि परमेश्वर का पुत्र, यीशु मसीह, पृथ्वी पर आएगा। वह चमत्कार करेगा और लोगों को चंगा करेगा। वह कष्ट सहेगा और सभी लोगों को बचाने के लिए मर जायेगा। बिन्यामीन ने सिखाया कि यीशु उन सभी को क्षमा कर देगा जिन्होंने उस पर विश्वास किया और पश्चाताप किया।
बिन्यामीन ने यीशु के बारे में जो भी सिखाया, लोगों ने उस पर विश्वास किया। वे जानते थे कि उन्हें पश्चाताप करने की आवश्यकता है। सभी लोगों ने प्रार्थना की और परमेश्वर से उन्हें क्षमा करने के लिए कहा। उनके प्रार्थना करने के बाद परमेश्वर की आत्मा उनके साथ थी। उन्हें खुशी महसूस हुई और उन्हें पता चला कि यीशु में उनके विश्वास के कारण परमेश्वर ने उन्हें क्षमा कर दिया है।
लोगों को अंदर से अलग और नया महसूस हुआ क्योंकि उन्हें यीशु पर विश्वास था। अब वे हर समय अच्छे काम करना चाहते थे। उन्होंने जीवन भर परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करने की प्रतिज्ञा की। क्योंकि उन्होंने यीशु पर विश्वास किया और यह प्रतिज्ञा की, वे यीशु के लोग कहलाए।