“यीशु बच्चों को आशीष देता है,” मॉरमन की पुस्तक की कहानियां (2023)
यीशु बच्चों को आशीष देता है
उनके लिए अपना प्यार दिखाते हुए
यीशु मसीह ने लोगों को बहुत सी बातें सिखाई थी। उसने देखा कि उन्होंने जो सीखा था उसके बारे में सोचने के लिए उन्हें समय चाहिए। उसने उनसे घर जाने और स्वर्गीय पिता से प्रार्थना करने के लिए कहा कि उसने जो उन्हें सिखाया है उसे समझें। उस समय यीशु ने प्रतिज्ञा की कि वह अगले दिन फिर उनसे मिलने आएगा।
लोग रोए क्योंकि वे चाहते थे कि यीशु लंबे समय तक उनके साथ रहे। यीशु लोगों से प्रेम करता था। वह देख सकता था कि उनका विश्वास बहुत मजबूत था। उसने उनसे कहा कि वे किसी ऐसे व्यक्ति को अपने पास लाएं जो बीमार या उसे किसी भी तरह की चोट लगी हो। वह उनमें से प्रत्येक को चंगाई देना चाहता था।
लोग उनके परिवार के बीमार सदस्यों और मित्रों के साथ उसके पास आए। यीशु ने उनमें से हर एक को चंगाई दी। वे बहुत खुश थे। वे घुटनों के बल झुके और उसके पैर चूमे।
यीशु ने उनसे कहा कि वे अपने बच्चों को उसके पास ले आएं। लोग अपने बच्चों को लाए और उन्हें यीशु के चारों ओर जमीन पर खड़ा किया।
जब सभी बच्चे उसके साथ थे, तो यीशु ने लोगों से जमीन पर घुटनों के बल झुकने के लिए कहा। वह भी घुटनों के बल झुकता है। फिर उसने स्वर्गीय पिता से प्रार्थना की। उसने ऐसी अद्भुत बातें कहीं कि उसके शब्दों को लिखा नहीं जा सका। लोग खुशी से भर गए।
यीशु ने लोगों से कहा कि वे उसमें विश्वास करने के कारण आशीषित हुए हैं। यीशु ने इतना अधिक आनन्द महसूस किया कि वह रोने लगा।
तब यीशु ने एक-एक करके हर बच्चे को आशीष दी। उसने उनमें से प्रत्येक के लिए स्वर्गीय पिता से प्रार्थना की। फिर उसने लोगों से कहा कि वे अपने बच्चों को देखें।
स्वर्गदूत आकाश से आए और बच्चों के चारों ओर इकट्ठा हो गए। जब स्वर्गदूतों ने बच्चों को आशीष दी, तो स्वर्गीय प्रकाश ने उन्हें घेर लिया। किसी अन्य दिन, यीशु ने बच्चों से मुलाकात कर उन्हें दुबारा आशीष दी। उसने बच्चों को बात करने में सक्षम होने की आशीष भी दी। यहां तक कि छोटे बच्चे ने भी बात की। बच्चों ने अपने माता-पिता को अद्भुत बातें सिखाई।