उस पुरूष को देखो !
जो उस पुरूष को वास्तव में देखने का मार्ग पा जाते हैं वे जीवन की महानत्तम खुशियों के मार्ग और जीवन की अत्याधिक निराशाओं में बाम को प्राप्त कर लेते हैं ।
मेरे प्रिय भाइयों और बहनों, प्रिय मित्रों, में आभारी हु की इस शानदार महा सम्मेलन में आपके साथ हूं । हैरियट और मैं, एल्डर गोंग और एल्डर सोअरेस और अन्य भाइयों और बहनों जिन्हें नई महत्वपूर्ण न्युक्ति मिली हैं उनको समर्थन करते हैं ।
यद्यपि मैं अपने प्रिय मित्र अध्यक्ष थॉमस एस. मॉनसन की कमी को महसूस करता हु , मैं हमारे भविष्यवक्ता और अध्यक्ष, रसल एम. नेलसन और उनके महान सलाहकारों, को प्रेम से , समर्थन और सहारा देता हूं ।
मैं एक बार फिर से बारह प्रेरितों की परिषद के अपने प्रिय भाइयों के साथ मिलकर कार्य करने का आभारी और सम्मान महसूस करता हूं ।
सबसे अधिक, मैं अंतिम-दिनों के संतों के यीशु मसीह के गिरजे का सदस्य होने से अति विनम्र और बहुत खुश हूं, जहां लाखों, पुरूष, स्त्री और बच्चे अपने-अपने स्थानों पर परिश्रम करते हैं--अपनी क्षमता या नियुक्ति के अनुसार --- अपने संपूर्ण हृदय से परमेश्वर और उनके बच्चों की सेवा करने का प्रयास और परमेश्वर के राज्य का निर्माण करते हैं ।
आज पवित्र दिन है । यह ईस्टर रविवार है, जब हम उस महिमापूर्ण सुबह को मनाते हैं जब हमारे उद्धारकर्ता ने मृत्यु के बंधनों को तोड़ा 1 और विजयी होकर कब्र से निकला था ।
इतिहास में महानत्तम दिन
हाल ही में मैंने इंटरनेट पर पूछा था, “कौनसा दिन ने इतिहास को सबसे अधिक बदला था ?”
जवाब में, आश्चर्यजनक और अद्भुत से लेकर ज्ञानवर्धक और विचार शील बातें थी । उनमें, एक वह दिन था जब एक विशाल उल्कापिंड मैक्सिको में पृथ्वी से टकाराई थी; या जब 1440 में जब जोहानस गुटेनबर्ग ने अपनी छपाई मशीन पूरी की थी; और अवश्य ही 1903 में वह दिन भी जब राईट बंधुओं ने दिखाया कि मनुष्य वास्तव में उड़ सकता है ।
यदि आप से यही प्रश्न पूछा जाता तो आप क्या कहते ?
मेरे मन में जवाब स्पष्ट है ।
इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण दिन जानने के लिये हमें 2000 वर्ष पहले की उस शाम गतस्मनी के बाग में जाना होगा जब यीशु मसीह ने घुटने के बल झुककर प्रार्थना की और स्वयं को हमारे पापों के लिये सौंप दिया था । शरीर और आत्मा की इस महान और असीमित बलिदान की घोर पीड़ा के दौरान जिसमें यीशु मसीह, अर्थात परमेश्वर के रोम-रोम से लहू बहा था । परिपूर्ण प्रेम के कारणवश, उसने अपना सबकुछ दे दिया ताकि हम सबकुछ प्राप्त कर सकें । उसके दिव्य बलिदान को, समझना कठिन है, इसे केवल हमारे हृदय और मन से महसूस किया जा सकता है, यह हमें याद दिलाता है कि हमें मसीह का उसके दिव्य उपहार का कितना आभारी होना चाहिए ।
बाद में उस रात, यीशु को धार्मिक और राजनीतिक अधिकारियों के सामने लाया गया उसका मजाक उड़ाया, उसे पीटा, और उसे शर्मनाक मृत्युदंड दिया । वह पीड़ा में क्रूस पर लटका रहा, जबतक अंतत:, “यह पूरा हुआ ।” उसका बेजान शरीर को किराये की कब्र में रखा गया । और फिर तीसरे दिन उस सुबह, यीशु मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर का पुत्र, कब्र से महिमापूर्ण, पुनर्जीवित तेजस्वी, ज्योतिमय, और राजसी व्यक्ति के रूप में निकला ।
हां, संपूर्ण इतिहास में बहुत सी घटनाएं हैं जिन्होंने राष्ट्रों और लोगों की नियति को बहुत प्रभावित किया था । लेकिन इस सबों घटनाओं को एकसाथ मिलाने पर भी, वे सबका उस महत्व का मुकाबला नहीं कर सकती जो उस प्रथम ईस्टर की सुबह हुआ था ।
क्या है जो यीशु मसीह के असीमित बलिदान और पुनरुत्थान को इतिहास की अति महत्वपूर्ण घटना --- विश्य के युद्धों, विनाशकारी आपदाओं, और जीवन-शैली बदलने वाली विज्ञान की खोजों से अधिक प्रभावशाली बनाता है ?
यीशु मसीह के कारण, हम फिर से जीवित हो सकते हैं
इसका जवाब दो महान, अपराजित चुनौतियों में पाया जाता है जिसका सामना हम में से प्रत्येक करते हैं ।
पहला, हम सब मरेंगे । चाहे आप कितने जवान, सुंदर, स्वस्थ, या सतर्क हों, एक दिन आपका शरीर बेजान हो जाएगा । मित्र और परिवार आपके लिये शोक करेंगे । लेकिन वे आपको वापस नहीं ला सकते ।
फिर भी, यीशु मसीह के कारण, आपकी मृत्यु कुछ समय के लिये होगी । आपकी आत्मा एकदिन आपके शरीर से दुबारा मिलेगी । इस पुनर्जीवित शरीर की मृत्यु नहीं होगी, और आप अनंतकाल के लिये जीवित रहोगे, पीड़ा और शारीरिक कष्ट से स्वतंत्र ।
यीशु मसीह के कारण यह होगा, जिसने अपना स्वयं का जीवन सौंप दिया था और फिर इसे वापस ले लिया था ।
उसने यह सब उन सबों के लिये किया जो उसमें विश्वास करते हैं ।
उसने यह सब उन सबों के लिये किया जो उसमें विश्वास नहीं करते हैं ।
उसने उन सबों के लिये भी किया जो उसका मजाक उड़ाते, गाली देते, और उसके नाम को श्राप देते हैं ।
यीशु मसीह के कारण, हम परमेश्वर के साथ रह सकते हैं
दूसरा, हम सबों ने पाप किया है । हमारे पाप हमें जीवित परमेश्वर से हमेशा के दूर रखेंगे , क्योंकि “कोई अशुद्ध वस्तु उसके राज्य में प्रवेश नहीं कर सकती है ।”
इसके परिणामस्वरूप, प्रत्येक पुरूष, स्त्री, और बच्चे को उसकी उपस्थिति से अलग कर दिया गया था -- अर्थात, जबतक यीशु मसीह, निष्कलंक मेमना, अपना जीवन हमारे पापों के बदले बलि न कि क्योंकि यीशु ने कोई पाप नहीं किया था, वह हमारे बदले मूल्य चुकाकर प्रत्येक आत्मा के न्याय की मांग कर सकता था । और इसमें आप और मैं भी शामिल हैं । या जाए ।
यीशु मसीह ने हमारे पापों का मूल्य चुकाया था
सब के ।
इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण दिन, यीशु मसीह ने मृत्यु के फाटक खोल दिये थे और उन बाधाओं को हटाया जो हमें पवित्र और प्रतिष्ठित अनंतकाल के जीवन में जाने से रोकती थी । हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता के कारण, आपको और मुझे अनमोल और बहुमूल्य उपहार दिया गया है --- चाहे हमारा पिछला जीवन कैसा भी रहा हो, हम पश्चाताप कर सकते हैं और उस मार्ग पर चल सकते हैं जो सिलेस्टियल ज्योति और महिमा में ले जाता है, स्वर्गीय पिता के विश्वासी बच्चों के साथ ।
हम क्यों आनंदित हैं
इसे हम ईस्टर रविवार को मनाते हैं --- जीवन का समारोह मनाते हैं !
यीशु मसीह के कारण, हम मृत्यु की निराशा से उठ खड़े होंगे और उन्हें अपनी बाहों में ले लेंगे जिन से हम प्रेम करते हैं, अत्याधिक खुशी के आंसू बहाते और आभार से भरे हुए । यीशु मसीह के कारण हम अविनाशी व्यक्तियों के तौर पर, अनंतकाल की दुनिया में रहेंगे ।
यीशु मसीह के कारण, हमारे पाप न केवल मिटाया जा सकते हैं; उन्हें भूलाया भी जा सकता है ।
हम शुद्ध और उत्कर्ष प्राप्त कर सकते हैं ।
पवित्र
हमारे प्रिय उद्धारकर्ता के कारण, हम हमेशा के लिये उस झरने से पी सकते हैं जो अनंतकाल के जीवन से निकलता है । हम अपने अनंत राजा के महलों में हमेशा के लिये निवास कर सकते हैं, अकल्पनीय महिमा और परिपूर्ण आनंद में ।
क्या हम “उस पुरूष को देखते हैं” ?
जब मैं इसके बारे में विचार करता हूं, मैं उद्धारकर्ता को यहूदा के रोमन महापौर पिलातुस के समक्ष खड़ा हुआ देखता हूं, मसीह कि मृत्यु से कुछ घंटे पहले ।
पिलातुस ने यीशु को सीमित संसारिक दृष्टि से देखा था । पिलातुस एक दायित्व था, और इसमें दो मुख्य कार्य थे: रोम के लिये कर वसूली करना और शांति बनाए रखना । अब यहूदी महायाजक उसे उस व्यक्ति को उसके सामने लाए जिसे वे दोनों के लिये बाधा होने का दावा करते थे ।
अपने कैदी से पूछताछ करने के बाद, पिलातुस ने कहा, “मुझे इसमें कोई भी दोष नहीं मिला है ।” लेकिन उसे लगा कि उसे यीशु पर आरोप लगाने वालों को संतुष्ट करना था, इसलिये पिलातुस ने स्थानीय प्रथा का जिक्र किया जिसके अनुसार फसह के पर्व के दौरान वह एक कैदी को छोड़ सकता है । क्या वे चाहते हैं कि वह उनके लिये कुख्यात लूटेरे और हत्यारे बरअब्बा के स्थान पर यीशु को छोड़े दे ?
लेकिन चिल्लाती हुई भीड़ ने पिलातुस से मांग की बरअब्बा को छोड़ दे और यीशु को सलीब दे दो ।
“क्यों ?” पिलातुस ने पूछा । “उसने क्या बुरा किया है ?”
लेकिन भीड़ अधिक जोर से चिल्लाई । “उसे सलीब दो !”
भीड़ को संतुष्ट करने के लिये एक अंतिम प्रयास करते हुए, पिलातुस ने अपने सिपाहियों को यीशु को कोड़े मारने का आदेश दिया । उन्होंने उसे कोड़े मारे, उसके शरीर को लहूलूहान और घायल कर दिया था । उसका मजाक उड़ाया, उसके सिर पर कांटों का ताज पहनाया, और उसे बैंगनी वस्त्र पहनाया ।
शायद पिलातुस ने सोचा होगा कि इससे भीड़ की लहू की इच्छा पूरी हो जाएगी । शायद वे उस पर दया दिखाएंगे । “देखो, मैं उसे तुम्हारे पास फिर बाहर लाता हूं; ताकि तुम जानो कि मैं उसमें कुछ भी दोष नहीं पाता । … देखो, यह पुरूष !”
परमेश्वर का पुत्र स्वयं शरीर में यरूशलेम के लोगों के समक्ष खड़ा था ।
वे यीशु को देख सकते थे, लेकिन वे वाकई में उसे नहीं देख पाए थे ।
उनके पास देखने के लिये आंखें नहीं थी ।
औपचारिक तौर पर, हमें भी “उस पुरूष को देखने” का निंमत्रण दिया जाता है । उसके विषय में संसार में विभिन्न मान्यताएं हैं । प्राचीन और वर्तमान भविष्यवक्ता प्रमाणित करते हैं कि वह परमेश्वर का पुत्र है । मैं भी यह करता हूँ । यह महत्वपूर्ण और जरूरी है कि हम में से प्रत्येक स्वयं समझे । इसलिये, जब आप यीशु मसीह के जीवन और सेवकाई पर मनन करते हैं, तो आप क्या देखते हैं ?
जो उस पुरूष को वास्तव में देखने का मार्ग पा जाते हैं वे जीवन की महानत्तम खुशियों के मार्ग और जीवन की अत्याधिक निराशाओं में बाम को प्राप्त कर लेते हैं ।
इसलिये, जब आप दुखों और पीड़ाओं से घिरे होते हो, तो उस पुरूष को देखो ।
जब आप खोया हुआ या भूला हुआ महसूस करते हो, उस पुरूष को देखो ।
जब आप निराश, एकांत, संदेह, घायल, या पराजित होते हो, तो उस पुरूष को देखो ।
वह आपको दिलासा देगा ।
वह आपको चंगा करेगा और आपकी यात्रा को उद्देश्य देगा । वह अपनी आत्मा उंडेल देगा और आपके हृदय को अत्याधिक आनंद से भर देगा ।
वह “थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ देता है ।”
ब हम वास्तव में उस पुरूष को देखते हैं, हम उसके विषय में सीखते हैं और अपने जीवनों को उसके साथ मिलाते हैं । हम पश्चाताप करते और अपनी आदतों को सुधारने का प्रयास करते हैं और प्रतिदिन उसके निकट आते हैं । हम उस पर भरोसा करते हैं । उसकी आज्ञाओं का पालन करके और हमारे पवित्र अनुबंधों को निभाते हुए हम उसके प्रति अपने प्रेम को दिखाते हैं ।
अन्य शब्दों में, हम उसके शिष्य बन जाते हैं ।
उसकी शुद्ध करने वाली ज्योति हमारी आत्मा को पूर्णरूप से भरती है । उसका अनुग्रह हमें ऊंचा उठाता है । हमारे बोझ हल्के हो जाते हैं, हमारी शांति गहरी हो जाती है । जब हम वास्तव में उस पुरूष को देखते हैं, तो हमारे पास आशीषित भविष्य की प्रतिज्ञा होती है जो हमें जीवन के उतार-चढ़ाव में प्रेरणा और सहारा देती है । पीछे देखने पर, हम जानेंगे कि एक दिव्य मार्ग था, जो कुछ हुआ उसका वास्तव में एक उद्देश्य था ।
जब आप उसके बलिदान को स्वीकार करते, उसके शिष्य बनते, और अंत: अपने पृथ्वी के जीवन की यात्रा के अंत में पहुंचते हैं, तो उन दुखों का क्या होगा जो आपने इस जीवन में सहे हैं ?
वे चले जाएंगे ।
निराशाएं, धोखे, अत्याचार जिन्हें आपने सहा है ?
चले जाएंगे ।
कष्ट, हृदय की पीड़ा, अपराध, निंदा, और वेदना जिससे आप गुजरे हो ?
चले जाएंगे ।
भूला दिये जाएंगे ।
क्या इसमें कोई आश्चर्य है कि “हम मसीह के विषय में बात करते हैं, हम मसीह में आनंदित होते हैं, हम मसीह का प्रचार करते हैं, हम मसीह की भविष्यवाणी करते हैं … कि हमारी संतान जान सके कि वे अपने पापों की क्षमा के लिए किसके पास जाएं” ?
क्या इसमें कोई आश्चर्य है कि हम अपने संपूर्ण हृदयों से वास्तव में उस पुरूष को देखने का प्रयास करते हैं ?
मेरे प्रिय भाइयों और बहनों, मैं गवाही देता हूं मानवता के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण दिन वह था जब यीशु मसीह, परमेश्वर के जीवित पुत्र ने, मृत्यु और परमेश्वर के सभी बच्चों के पाप पर विजय प्राप्त की थी । और आपके जीवन और मेरे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण वह है जब हम “उस पुरूष को देखो” को समझते हैं; जब हम देखते हैं कि वह वास्तव में कौन है; जब अपने संपूर्ण हृदय और मन से उसकी प्रायश्चित की शक्ति में भाग लेते हैं; नवीन जोश और ताकत से, हम उसका पीछे चलने का दृढ़ निश्चय लेते हैं । मैं आशा करता हूं वह दिन हमारे जीवनों में बार-बार आए ।
मैं अपनी गवाही और आशीष देता हूं कि जब हम “उस पुरूष को देखते हैं,” तो हम इस नश्वर जीवन में और आने वाले संसार के अनंतकाल के जीवन में लक्ष्य, खुशी, और शांति प्राप्त करेंगे । यीशु मसीह के पवित्र नाम में, आमीन ।