2010–2019
छोटी और सरल चीजे
अप्रैल 2018


2:3

छोटी और सरल बातें

हमे याद कराने की जरुरत समय समय पर होती है की छोटी छोटी चीजो से बड़ी महत्वपूर्ण चीजे आती है |

I.

मेरे प्रिय भाइयो और बहनों . आपकी तरह में भी इस महान महत्वपूर्ण और मजबूत करने वाले सन्देश और संगीत से काफी प्रभावित और खुद को संगठन में महसूस कर रहा हु | में निसंदेह में बोल सकता हु और आभार प्रकट करता हु अपने भाइयो और बहनों का जिन्होंने प्रभु के हाथो का साधन बनकर हमे इस समय एक ताकत का असरदार एहसास कराया है |

ईस्टर रविवार को आपसे बाते करने का मैं आभारी हूं । आज हम अन्य मसीही समुदाय के साथ मिलकर प्रभु यीशु मसीह के पुनरूत्थान का समारोह मनाते हैं । यीशु मसीह के अंतिम-दिनों के गिरजे के सदस्यों के लिये, यीशु मसीह का वास्तविक पुनरूत्थान हमारे विश्वास का स्तंभ है ।

क्योंकि हम बाइबिल और मॉरमन की पुस्तक दोनों में यीशु मसीह के वास्तविक पुनरूत्थान की घटनाओं में विश्वास करते हैं, हम कई धर्मशास्त्रीय शिक्षाओं में भी विश्वास करते हैं कि इस प्रकार का पुनरुत्थान सभी नश्वर लोगों के लिये आएगा, जो कभी इस पृथ्वी पर रह हैं । यह पुनरुत्थान हमें उसे देता है जिसे प्रेरित पौलुस ने “जीवित आशा” कहा है ((1 पतरस 1:3) । यह जीवित आशा हमारा दृढ़ भरोसा है कि मृत्यु हमारी पहचान का अंत नहीं बल्कि हमारे स्वर्गीय पिता के बच्चों के लिये उसकी उद्धार की दयापूर्ण योजना है । इस योजना में नश्वरता से अमरत्व में परिवर्तन की जरूरत होती है । इस परिवर्तन में सबसे महत्वपूर्ण मृत्यु का सूर्यास्त और हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता के पुनरुत्थान के द्वारा यह महिमापूर्ण सुबह संभव हुई है जिसे हम इस ईस्टर रविवार को मनाते हैं ।

II.

एक बहुत बढ़िया स्तुतिगीत में जिसके शब्द एलिजा आर. स्नो द्वारा लिखे गए थे, हम गाते हैं:

कितनामहान, कितनाशानदार, कितनापूर्ण

मुक्ति की भव्य रचना,

जहां न्याय, प्रेम और दया मिलते हैं

दिव्यसद्भावनामें! !

उस दिव्य योजना और सद्भाव को प्रोत्साहन देने के लिये, हम सभाओं में एकत्रित होते हैं, जैसे यह सम्मेलन, एक दूसरे को सीखाने और प्रोत्साहित करने के लिये ।

आज सुबह अपने बेटे हिलामन को अलमा की शिक्षा को अपनी वार्ता के विषय के रूप में उपयोग करने के लिये मैं प्रेरित हुआ हूं जिसे मॉरमन की पुस्तक में लिखा गया है: “छोटी और साधारण बातों से बड़ी बातें होती है” (अलमा 37:6)।

यीशु मसीह के सुसमाचार में हमें कई छोटी और साधारण बातें सीखाई जाती हैं । हमें याद कराए जाने की जरूरत है कि समय के साथ-साथ ये छोटी लगने वाली बातों से बड़ी बातें उत्पन्न होती हैं । इस विषय पर जनरल अधिकारियों और अन्य गणमान्य मार्गदर्शकों द्वारा कई वार्ताएं दी गई हैं । यह विषय इतना महत्वपूर्ण है कि मैं इस पर फिर से बोलने के लिये प्रेरित हुआ हूं ।

मुझे समय के साथ-साथ इन छोटी और सरल बातों की शक्ति को उसके द्वारा याद दिलाया गया जिसे मैंने एक सुबह अपनी सैर पर देखा था । यह उसका चित्र है । मोटा और मजबूत कंकरीट फुटपाथ चटक रहा है । क्या यह इसके नीचे किसी विशाल और शक्तिशाली दबाव के कारण हुआ है ? नहीं, यह चटकना आस-पास के पेड़ से निकलने वाली जड़ों के धीमे, सुक्ष्म रूप से बढ़ने के कारण हुआ । यह वैसा ही अन्य उदाहरण है जो मैंने एक और सड़क पर देखा था ।

फुटपाथ पर चटक
एक और चटक फुटपाथ पर

यह थकेलने वाली शक्ति जिसके कारण भारी कंकरीट फुटपाथ चटक गया था दैनिकरूप से या मासिकरूप से नापने के आधार बहुत ही सुक्ष्म था, लेकिन समय के साथ-साथ इसका प्रभाव अत्याधिक शक्तिशाली हो गया ।

इसी प्रकार धर्मशास्त्रों में और जीवित भविष्यवक्ताओं द्वारा सीखाई गई छोटी और साधारण बातों का प्रभाव समय के साथ-साथ बहुत प्रभावशाली होता है । विचार करें,हमारे प्रतिदिन के जीवन में शामिल करने के लिये हमें सीखाए गए धर्मशास्त्र अध्ययन पर । या विचार करें,व्यक्तिगत प्रार्थनाओं और घुटने के बल झुककर की पारिवारिक प्रार्थनाओं पर जो विश्वासी अंतिम-दिनों के संतों की नियमित साधना है । युवा के लिये विद्यालय या वयस्क के लिये संस्थान कक्षाओं में उपस्थिति पर विचार करें । ये प्रत्येक कार्य छोटे और सरल दिखाई देते हैं, लेकिन समय के साथ-साथ वे शक्तिशाली आत्मिक उन्नति और विकास में बदल जाते हैं । ऐसा इसलिये होता है क्योंकि ये छोटी और सरल बातें पवित्र आत्मा, उस साक्षी की संगति को आमंत्रित करती हैं जो हमें ज्ञान देती है और सच्चाई की ओर हमारा मार्गदर्शन करती है । जेसा की आध्यक्ष इयरिंग ने व्याख्याना दी है |

आत्मिक उन्नति और विकास का अन्य स्रोत निरंतर पश्चाताप करने की प्रक्रिया है, बेशक बहुत छोटे लगने वाले अपराध क्यों न हों । हमारे स्वयं के प्रेरित आत्म-आंकलन, हमें यह जांचने में मदद कर सकते हैं कि हमने कहां गलती की और हम कैसे बेहतर कर सकते हैं । इस प्रकार के पश्चाताप हमारे साप्ताहिकरूप से प्रभु-भोज में भाग लेने से पहले होने चाहिए । इस प्रक्रिया में विचार करने के लिये कुछ अच्छे या सेवा के कार्य का सुझाव स्तुतिगीत “Have I Done Any Good?”में दिया गया है ।

क्या मैंने आज दुनिया में कोई अच्छा काम किया ?

क्या मेने किसी की मदद की ?

क्या मैंने दुखी को खुश किया और किसी को खुशी महसूस कराई ?

यदि नहीं, तो मह नाकामयाब रहा

क्या किसी का बोझ आज हल्का किया गया है

क्योंकि मैं बांटने के लिए तैयार था ?

क्या बीमार और थके हुओं को उनके मार्ग पर मदद मिली ?

जब उन्हें मेरी मदद की ज़रूरत थी तो क्या मैं वहां था ?

निश्चितरूपसेये छोटी बातें हैं, लेकिन अवश्य ही वे अच्छे उदाहरण हैं जिसे अलमा ने अपने बेटे हिलामन को सीखाया था: “और प्रभु परमेश्वर अपने महान और अनंत उद्देश्यों की पूर्ति के लिये किसी न किसी के माध्यम से कार्य करता है;और छोटे-छोटे माध्यमों से … आत्माओं के लिए उद्धार लाता है” (अलमा 37:7)

अध्यक्ष स्टीवन सी. वीलराईट ने बिग्रम यंग विश्वविद्यालय -- हवाई में दर्शकों से अलमा की शिक्षा की यह प्रेरणादायक व्याख्या की थी: “अलमा अपने बेटे को पुष्टि करता है कि प्रभु निश्चितरूप से इस नमूने का अनुसरण करता है जब हम उसमें विश्वास करते और छोटी और सरल बातों में उसकी सलाह का पालन करते हैं, तो वह हमें प्रतिदिन छोटे चमत्कारों, और समय बीतने पर, अद्भुत कामों से आशीषित करता है ।”3

आध्यक्ष हॉवर्ड डब्ल्यू. हंटर ने सीखाया था कि “अक्सर ये प्रतिदिन के कार्य होते हैं … जो दूसरों के जीवनों में विशाल सकारात्मक प्रभाव डालते हैं, उन बातों की तुलना में जिसे संसार महानता से जोड़ता है ।”

इसी सिद्धांत की प्रेरणादायक धर्मनिरपेक्ष शिक्षा इंडियाना के पूर्व सिनेटर डान कोट्स से मिलती है, जिन्होंने लिखा था: “उस अति महत्वपूर्ण निर्णय की एकमात्र तैयारी, जो किसी जीवन, या राष्ट्र को भी बदल सकती है, वे हैं जो सैकड़ों और हजारों के, अवचेतन अवस्था में, आत्म-निर्धारण के तौर पर, निजीरूप से लिये गए निरर्थक लगने वाले निर्णय हैं ।”

वे “निरर्थक लगने वाले” निजी निर्णयों में शामिल है हम अपने समय का कैसे उपयोग करते हैं, हम टीवी और इटरनेट पर क्या देखते हैं, हम क्या पढ़ते हैं, हमारे कार्य-क्षेत्र और घर में कला और संगीत जो हमारे आस-पास रहता कैसा है, हम मनोरंजन के लिये क्या चुनते हैं, और ईमानदार और सच्चे होने के लिये हम अपने निश्चय को कैसे लागू करते हैं । अन्य छोटी और सरल लगने वाली बातों में हमारी व्यक्तिगत बातचीत में शिष्टचार और उल्लासित होना है ।

इन वांछित छोटी और सरल बातों में से कोई भी हमें महान उन्नति की ओर नहीं ले जाएंगी जबतक ये लगातार और निरंतर नहीं की जाती हैं । अध्यक्ष बिग्रम यंग को इसे कहते हुए सुना गया था: “हमारे जीवन छोटे, सरल परिस्थितियों से बनाये जाते हैं, जो एकसाथ मिलकर बहुत महत्वपूर्ण हो जाते हैं, और पुरूष या स्त्री के संपूर्ण जीवन का निर्माण करते हैं ।”

हम मीडिया के प्रभावों और सांस्कृतिकगिरावट से घिरे हैं जो हमें हमारे आदर्शों को कम करने की ओर ले जाएगा यदि हम निरंतर इनका विरोध न करें । अपने अनंत लक्ष्य की ओर ऊपर बढ़ने के लिये, हमें निरंतर चप्पू चलाते रहना चाहिए । यदि हम उस टीम का हिस्सा हैं जो मिलकर चप्पू चला रहे हैं, जेसे की जोश में नाव चलाने वाली टीम । इस उदाहरण को आगे बढ़ाते हैं, लहरें इतनी सशक्त हैं कि यदि हम चप्पू चलाना रोक दें, तो हम लहरों के साथ नीचे की ओर ले जाए जाएंगे जहां हम नहीं जाना चाहते हैं लेकिन ऐसा करना कठिन हो सकता है यदि हम निरंतर आगे बढ़ने का प्रयास न करें ।

एक छोटी लगने वाली घटना का जिक्र करने के बाद, जिसके महत्वपूर्ण परिणाम हुए थे, नफी ने लिखा, “और इस प्रकार हम देखते हैं कि थोड़े से साधन के द्वारा प्रभु महान कार्य कर सकता है” (1 नफी 16:29) । पुराना नियम इसमें एक यादगार उदाहरण शामिल करता है । इसमें हम पढ़ते हैं किस प्रकार इस्राएली तेज विषवाले सांप द्वारा पीड़ित हुए थे । बहुत से लोग उनके डसने से मर गए थे (देखें गिनती 21:6) । जब मूसा ने राहत के लिये प्रार्थना की, और वह “पीतल का सांप बनाने और खंभे पर लटकाने के लिए” प्रेरित हुआ । फिर, “जब सांप का डसा हुआ उस पीतल के सांप को देख लेता तो वह जीवित बच जाता” (verse 9). । इतनी छोटी बात के इतने चमत्कारी परिणाम ! फिर भी, जैसा नफी समझाता है जब वह यह उदाहरण उन्हें सीखाता है जिन्होंने प्रभु के विरूद्ध विद्रोह किया था, जबकि प्रभु ने सरल तरीका तैयार किया था जिससे वे चंग हो सकते थे, “इस मार्ग की सहजता के कारण, या इसकी सरलता के कारण, बहुत से थे जो नष्ट हो गए” (1 नफी 17:41) ।

यह उदाहरण और यह शिक्षा हमें याद दिलाते हैं कि किसी आज्ञा को पूरा करने की सहजता या सरलता का अर्थ यह नहीं है कि हमारा धार्मिक इच्छा को प्राप्त करना महत्वहीन है ।

इसी प्रकार, अवज्ञाकारिता के छोटे कार्य या धार्मिक कार्यों का अनुसरण करने में छोटी असफलताएं हमें नीचे की ओर उस नतीजे की ओर ले जाती हैं जिससे बचने की हमें चेतावनी दी गई है । ज्ञान के शब्द इसका उदाहरण उपलब्ध कराते हैं । शायद एक सिगरेट या एक मादक पेय या अन्य नशीले पदार्थ की एक खुराफ को नापा नहीं जा सकता है । लेकिन समय के साथ, इसका प्रभाव शक्तिशाली हो जाता है और शायद इसे बदला नहीं जा सकता है । याद करें धीरे-धीरे वृक्ष की जड़ों के फैलने से फुटपाथ का चटकना । एक बात निश्चित है, कि किसी भी नशे को लेने की लत के परिणाम भयानक होते हैं, जैसे नशीले द्रव्य जो हमारे शरीर पर आक्रमण करते हैं या अशलील समाग्री जो हमारे विचारों का स्तर गिराते हैं, इन से बचना बिलकुल संभव है यदि हम इन्हें कभी भी न लें, न पहली बार --- यहां तक की एक बार भी नहीं ।

कई वर्ष पूर्व, आध्यक्ष एम. रसल बलार्ड ने महा सम्मेलन के दर्शकों को बताया था “कैसे किसी व्यक्ति के उद्धार के लिये छोटी और सरल बातें नकारात्मक और विनाशकारी हो सकती हैं ।” उन्होंने सीखाया: “कमजोर तंतुओं से धागा बनता, फिर धागे से रेशा, और अंत में रेशे से रस्सी, ये कमजोर तंतु मिलकर इतनी मजबूत रस्सी बनाते हैं जिसे तोड़ना कठिन होता है । हमें हमेशा उन छोटी और सरल बातों की शक्ति का ज्ञान होना चाहिए जो आत्मिकता का निर्माण कर सकती हैं” ।उन्होंने कहा “ऐसे ही, हमें यह ज्ञान भी होना चाहिए कि हमें पीड़ा और कष्ट में धकेलने के लिये शैतान छोटी और सरल बातों का उपयोग करता है ।”

अध्यक्ष वीलराईट ने इसी तरह की चेतावनी अपने बीवाईयू - हवाई के दर्शकों को दी थी: “छोटी और सरल बातों को करने में असफल रहने कारण विश्वास डगमगाता है, चमत्कार बंद हो जाते हैं, और प्रभु और उसके राज्य की ओर उन्नति रूक जाती है और फिर परमेश्वर के राज्य को पाने की चाहत बदल कर नश्वर और संसारिक महत्वाकांशाओं का रूप लेना आरंभ कर देती है ।”

संयुक्त नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षित रहने के लिये जो हमारी आत्मिक विकास का विनाश करती है, हमें छोटी और सरल बातों का आत्मिक नमूने का अनुसरण करने की जरुरत है । एल्डर डेविड ए. बेडनार ने इस सिधांत की बी वाई यू के महिला सम्मेलन में व्याख्या की थी: “हम आत्मिक नमूने की प्रकृति और महत्व के बारे में … बहुत धीरे मिट्टी पर बूंद बूंद कर टपकते पानी की तकनीक से सीख सकते हैं, इसके विपरीत पानी को वहां अधिक मात्रा में बहाने या छिड़कने का कोई लाभ नहीं जहां इसकी आवश्यकता नहीं है ।

उन्होंने बताया : “पानी की निरंतर टपकती बूंदें भूमि में गहराई तक जाती हैं और मिट्टी को अधिक नमी उपलब्ध कराती हैं जिसमें पौधे अच्छी तरह बढ़ते हैं । इसी प्रकार, यदि आप और मैं आत्मिक पोषण की बूदों को पाने में केंद्रित और निरंतर बने रहते हैं, तो सुसमाचार की जड़ें हमारी आत्मा में गहरी बैठ जाती हैं, और दृढ़ता से स्थापित और कायम हो जाती हैं, और फिर ये असाधारण और स्वदिष्ट फल पैदा कर सकती हैं ।

लगातार उन्होंने कहा , “महान कार्यों को पूरा करने के लिये छोटी और सरल बातों का आत्मिक नमूना प्रभु यीशु मसीह के प्रति दृढ़ता और स्थिरता, गहन समर्पण, और अधिक पूर्ण परिवर्तन उत्पन्न करता है ।”

भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ ने इस नियम को जिन शब्दों में सीखाया थे वे अब सिद्धांत और अनुबंध में शामिल है: “कोई इन्हें तुच्छ बातें न समझे; क्योंकि बहुत कुछ है जो भविष्य में गर्भ में है, संतों के संबंध में, जो इन बातों पर निर्भर करता है” (सिऔरअ 123:15)।

मिसूरी में गिरजा स्थापित करने के आरंभिक कोशिशों के संबंध में प्रभु ने धैर्य रखने की सलाह दी थी क्योंकि “सब बातें अपने समय में अवश्य पूरी होंगी” (सिऔरअ 64:32)। फिर उन्होंने यह शिक्षा दी थी: “इसलिये, भलाईकरनेमेंथकोमत, क्योंकि तुम एक महान कार्य की नींव रख रहे हो ।और छोटी छोटी बातों से उसकी प्राप्ति होती है जो महान है” (सिऔरअ 64:32)।

मैं विश्वास करता हूं हम सब “अनुबंधित मार्ग में” आगे बढ़ते रहने के लिये अध्यक्ष रसल एम. नेलसन की चुनौती का अनुसरण करने की इच्छा करते हैं । ऐसा करने की हमारी कटिबद्धता को निरंतर “छोटी बातों” का अनुसरण करने से मजबूती मिलती है जो हमें यीशु मसीह के सुसमाचार और उसके गिरजे के मार्गदर्शकों के द्वारा सीखाया जाती हैं । मैं उसकी गवाही देता हूं और उसकी आशीषों उन लोगों पर हों जो उसके अनुबंधित मार्ग में बने रहना चाहते हैं, यीशु मसीह के नाम में, आमीन ।

विवरण

  1. “How Great the Wisdom and the Love,” Hymns, no. 195.

  2. “Have I Done Any Good?” Hymns, no. 223.

  3. Steven C. Wheelwright, “The Power of Small and Simple Things” (Brigham Young University–Hawaii devotional, Aug. 31, 2007), 2, devotional.byuh.edu.

  4. Teachings of Presidents of the Church: Howard W. Hunter (2015), 165.

  5. Dan Coats, “America’s Youth: A Crisis of Character,” Imprimis, vol. 20, no. 9 (Sept. 1991), 4; see also Elder Wilford Andersen in his column in the Mesa Tribune, May 1996.

  6. Brigham Young, discourse in Ogden Tabernacle, July 19, 1877, as reported in “Discourse,” Deseret News, Oct. 17, 1877, 578.

  7. एम् . रसाल बल्लार्ड , “ छोटी और सरल वस्तुए ensign , मई 1990 7,8.

  8. स्टीवन सी व्हीलराईट “ छोटी और सरल चीजो की ताकत ”3.

  9. David A. Bednar, “By Small and Simple Things Are Great Things Brought to Pass” (Brigham Young University Women’s Conference, Apr. 29, 2011), womensconference.byu.edu.

  10. Russell M. Nelson, “As We Go Forward Together,” Liahona, Apr. 2018, 7.