2010–2019
मन के विनम्र और दीन
अप्रैल 2018


2:3

मन के विनम्र और दीन

विनम्रता मुक्तिदाता का मुख्य गुण है और धार्मिक जवाबदेही, सहर्ष समर्पण, और मजबूत आत्म-संयम द्वारा प्रदर्शित होता है ।

मुझे हमारे गिरजे के मार्गदर्शकों का सर्मथन करने के पवित्र मौके में आनंद मिलता है । और मैं संपूर्ण हृदय से एल्डर गोंग और एल्डर सोअरेस का बारह प्रेरितों की परिषद में स्वागत करता हूं । उन विश्वसनीय आदमियों की सेवकाई विश्वभर में व्यक्तियों और परिवारों को आशीषित करेगी, और मैं उनके आपके साथ सेवा करने और उनसे सीखने के लिये उत्साहित हूं ।

मैं प्रार्थना करता हूं पवित्र आत्मा हमें सीखाएगी और ज्ञान देगी जब हम मिलकर उद्धारकर्ता का दिव्य स्वभाव के महत्वपूर्ण पहलू के बारे में सीखते हैं 1 जिसका हम में प्रत्येक को अनुकरण करने का प्रयास करना चाहिए ।

अपने संदेश में विशेष गुणों को पहचानने से पहले मैं बहुत से उदाहरणों को प्रस्तुत करूंगा जो इस मसीहसमान गुण पर जोर डालते हैं । कृपया ध्यान से प्रत्येक उदाहण को सुनें और मेरे साथ उन प्रश्नों के संभावित उत्तरों पर विचार करें जो मैं रखूंगा ।

उदाहरण संख्या 1 । अमीर युवक और अमूलेक

नये नियम में, हम एक अमीर युवक के बारे में पढ़ते हैं जिसने यीशु से पूछा था, “स्वामी, मैं कौन सा भला काम करूं, कि अनंत जीवन पाऊं ?” उद्धारकर्ता ने पहले उसे आज्ञाओं का पालन करने का उपदेश दिया । स्वामी ने बाद में उस युवक को उसकी जरूरतों और परिस्थितियों के अनुसार एक अतिरिक्त सलाह दी ।

“यीशु ने उससे कहा, यदि तू सिद्ध होना चाहता है; तो जा, अपना माल बेचकर कंगालों को दो; और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा; और आकर मेरे पीछे हो ले ।

“लेकिन वह युवक यह बात सुनकर उदास होकर चला गया, क्योंकि वह बहुत धनी था ।”

इस अमीर युवक के जवाब की तुलना अमूलेक के अनुभव से करें, जैसे मॉरमन की पुस्तक में बताया गया है । अमूलेक कई रिश्तेदारों और मित्रों वाला परिश्रमी और धनवान व्यक्ति था । वह अपने आप की व्याख्या उस पुरूष के समान करता था जिसे कई बार पुकारा गया था लेकिन जिसने सुना नहीं; एक ऐसा व्यक्ति जो परमेश्वर की बातें जानता लेकिन जानना नहीं चाहता था । मूलत: अमूलेक एक अच्छा व्यक्ति था लेकिन वह संसार की चिंताओं के द्वारा व्याकुल रहता था ठीक उसी प्रकार जैसे नये नियम में अमीर युवक को बताया गया है ।

यद्यपि उसने पहले अपना हृदय कठोर किया था, अमूलेक ने एक स्वर्गदूत की वाणी का पालन किया, भविष्यवक्ता अलमा को अपने घर बुलाया, और उसे भोजन दिया । वह अलमा की भेंट के दौरान आत्मिकरूप से जागा और उसे सुसमाचार प्रचार करने के लिये चुना गया । तब अमूलेक ने “परमेश्वर के वचन के लिए …. अपने पूरे सोने और चांदी और अपनी मूल्यवान चीजों का परित्याग कर दिया, वह उन लोगों के द्वारा अस्वीकार किया गया जो कभी उसके मित्र थे और अपने पिता और अपने रिश्तेदारों द्वारा भी अस्वीकार किया गया ।”

आपके विचार से अमीर युवक और अमूलेक के जवाबों में भिन्नता का कारण क्या है ?

उदाहरण संख्या 2. फिरौन

मॉरमन की पुस्तक में व्याख्या की गई भंयकर युद्ध के दौरान, मोरोनी, नफाइयों की सेना के सेनापति, और फिरौन, प्रदेश के मुख्य न्यायधीश और गवर्नर के बीच पत्र-व्यवहार हुआ था । मोरोनी, जिसकी सेना, सरकार की अपर्याप्त सहायता के कारण कठिनाई में थी, ने फिरोन को “निंदा करते हुए लिखा” और उसे और उसके मार्गदर्शकों को विचारहीन, आलसी, लपरवाह, और देशद्रोही भी कहा था ।

फिरौन आसानी से मोरोनी और उसके गलत आरोपों के लिये क्रोध कर सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया । उसने सहानभूति से जवाब दिया और सरकार के खिलाफ विद्रोह के बारे में बताया जिसका पता मोरोनी को नहीं था । और फिरौन ने कहा,

“देखो, मोरोनी, मैं तुम से कहता हूं, कि मुझे तुम्हारे कष्टों से प्रसन्नता नहीं होती है, हां, इससे मेरी आत्मा दुखी है । …

“तुमने अपने पत्र में मुझ पर आरोप लगाए हैं, लेकिन इससे मुझ फर्क नहीं पड़ता; मैं क्रोधित नहीं हूं, लेकिन तुम्हारे हृदय की महानता से खुश हूं ।”

आप क्या सोचते हैं मोरोनी के आरोपों के प्रति फिरौन के धैर्य का कारण क्या था ?

उदाहरण संख्या 3. अध्यक्ष रसल एम. नेलसन और अध्यक्ष हेनरी बी. आएरिंग

छह महिने पहले महा सम्मेलन में, अध्यक्ष रसल एम. नेलसन ने मॉरमन की पुस्तक में शामिल सच्चाइयों का अध्ययन करने, मनन करने, और पालन करने के अध्यक्ष थॉमस एस. मॉनसन के निमंत्रण के जवाब में व्याख्या करते हुए कहा था, “मैंने उनकी सलाह का पालन करने का प्रयास किया है । अन्य बातों के अलावा, मैंने सूचियां बनाई हैं मॉरमन की पुस्तक क्या है, क्या साबित करती है, क्या विरोध करती है, क्या परिपूर्ण करती है, क्या स्पष्ट करती है, और क्या प्रकट करती है । मॉरमन की पुस्तक को इन लेंसों के द्वारा देखना ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक अनुभव रहा है ‍! मैं इसकी सलाह आप सबों को देता हूं ।”

अध्यक्ष हेनरी बी. आएरिंग ने इसी प्रकार अपने जीवन में अध्यक्ष मॉनसन के अनुरोध के महत्व पर जोर दिया था । उन्होंने कहा था,

“मैंने 50 वर्षों से अधिक प्रतिदिन मॉरमन की पुस्तक को पढ़ा है । इसलिये शायद मैं स्पष्टरूप से सोच सकता हूं कि अध्यक्ष मॉनसन के शब्द मेरे अलावा अन्य लोगों के लिये भी थे । फिर भी, आप में बहुतों के समान, मैंने भविष्यवक्ता के उत्साह और एक महान प्रयास करने के लिये उनकी प्रतिज्ञा को महसूस किया था । …

“मेरे लिये, और आप में बहुतों के लिये खुशी का परिणाम रहा, जैसा भविष्यवक्ता ने वादा किया है ।”

अध्यक्ष मॉनसन के निमंत्रण के प्रति गिरजे के इन दो मार्गदर्शकों के तुरंत और निष्ठापूर्ण जवाब आपके विचार से क्या व्याख्या करते हैं ?

मैं यह सुझाव नहीं दे रहा कि अमूलेक, फिरौन, अध्यक्ष नेलसन और अध्यक्ष आएरिंग के आत्मिकरूप से मजबूत जवाबों की व्याख्या केवल एक मसीहसमान गुण के द्वारा की जाती है । निश्चितरूप से, परस्पर आपसी गुणों और अनुभवों के कारण आत्मिक परिपक्वता इन प्रभावशाली सेवकों के जीवनों में दिखाई देती है । लेकिन उद्धारकर्ता और उसके भविष्यवक्ताओं ने एक आवश्यक गुण पर जोर दिया था जिसे हम सबों को बहुत अच्छी तरह से समझना और अपने जीवनों में शामिल करने का प्रयास करना है ।

विनम्रता

कृपया ध्यान दें कि प्रभु ने अपनी स्वयं की व्याख्या करने के लिये इन धर्मशास्त्रों का उपयोग किया था: “मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे ।”

सभी गुणों और सदगुणों जिन्हें वह चुन सकता था उनमें से हमें सीखाने के लिये उद्धारकर्ता ने विनम्रता को चुना ।

इस प्रकार की शिक्षा भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ को 1829 में मिले प्रकटीकरण में भी है । प्रभु ने कहा था, “मेरे विषय में सीखो, और मेरे वचनों को सुनो; मेरी आत्मा की विनम्रता में चलो, और तुम मुझे में शांति प्राप्त करोगे ।”

विनम्रता मुक्तिदाता का मुख्य गुण है और धार्मिक जवाबदेही, सहर्ष समर्पण, और मजबूत आत्म-संयम द्वारा प्रदर्शित होता है । यह गुण हमें अमूलेक, फिरौन, अध्यक्ष नेलसन, और अध्यक्ष आएरिंग की प्रत्येक प्रतिक्रियाओं को अच्छी तरह से समझने में मदद करता है ।

उदाहरण के लिये, अध्यक्ष नेलसन और अध्यक्ष आएरिंग ने धार्मिकता से और शीघ्रता से मॉरमन की पुस्तक को पढ़ने और अध्ययन करने के लिये अध्यक्ष मॉनसन की प्रेरणा जवाब दिया था । यद्यपि ये दोनों गिरजे के महत्वपूर्ण और प्रत्यक्ष पदों पर सेवा कर रहे थे और दशकों से व्यापकरूप से धर्मशास्त्रों का अध्ययन किया था, फिर भी, उन्होंने अपने जवाबों के माध्यम से किसी प्रकार हिचकिचाहट या अहंकार को प्रकट नहीं किया ।

अमूलेक ने सहर्षरूप से परमेश्वर की इच्छा के प्रति समर्पित हो हुए, सुसमाचार का प्रचार करना स्वीकार किया, और अपनी आरामदायक परिस्थितियों और परिवार के सदस्यों और मित्रों का त्याग दिया । और फिरौन को बुद्धि और मजबूत आत्म-सयंम से आशिषित किया गया काम करने न क्रोदित होने के लिए जब उन्होंने मोरोनी को बताया था शासन के खिलाफ विद्रोह के कारण पैदा हुई कठिन परिस्थितियों के बारे में।

हमारे आधुनिक समाज में मसीहसमान गुण विनम्रता को अक्सर गलत समझा जाता है । विनम्रता मजबूत है, कमजोर नहीं; सक्रिय है, निष्क्रिय नहीं; साहसी है, डरपोक नहीं; संयमी है, असंयमी नहीं; शालीन है, निर्लज्ज नहीं; संवेदनशील है, असंवेदनशील नहीं । विनम्र व्यक्ति आसानी से उत्तजित नहीं होता, अभिमानी, या घमंडी, नहीं होता और बिना संकोच दूसरों की उपलब्धियों को स्वीकार करता है ।

जबकि दीनता समान्यता परमेश्वर पर निर्भरता को दिखाती है और उसके मार्गदर्शन और सहारे की निरंतर आवश्यकता होती है, पवित्र आत्मा और उन लोगों से सीखने विनम्रता की विलक्षणता विशेष आत्मिक ग्रहणशीलता है जो शायद कम सक्षम, कम अनुभवी, या कम पढ़े-लिखते लगते हैं, जो शायद महत्वपूर्ण पदों पर नहीं होते, या जिसके पास शायद अन्य किसी तरह से योगदान करने के लिये अधिक नहीं होता है । याद करें कैसे नामान, सीरिया के राजा के सेनापति ने, अपने घमंड पर काबू किया और विनम्रता से भविष्यवक्ता ऐलिशा की आज्ञा पालन करके यरदन नदी में सात बार डुबकी लगाने के लिये अपने सेवकों की सलाह को स्वीकार किया था । विनम्रता अहंकारी अंधपन से मुख्य सुरक्षा प्रदान करता है जो अक्सर प्रसिद्धि, पद, शक्ति, धन, और प्रशंसा से उत्पन्न होती है ।

विनम्रता --- मसीहसमान गुण और आत्मिक उपहार

विनम्रता इच्छा द्वारा विकसित किया गया गुण, धार्मिकता उपयोग में लाने की नैतिक स्वतंत्रता, और हमारे पापों की क्षमा को हमेशा कायम रखना है । यह एक आत्मिक उपहार भी है जिसकी चाहत करना उचित है । हालांकि, हमें उन उद्देश्यों को याद रखना चाहिए, जिनके लिये आशीष दी जाती है, अर्थात परमेश्वर के बच्चों के लाभ और सेवा के लिये ।

जब हम उद्धारकर्ता के पास आते और उसका अनुसरण करते हैं, तो हम लगातार और धीरे-धीरे उसके समान बनने के योग्य होते जाते हैं । हम अनुशासित आत्म-सयंम और स्थिरता और शांत व्यवहार से युक्त आत्मा द्वारा सशक्त होते हैं । इस प्रकार, स्वामी के शिष्य होना वास्तव में विनम्र होना है, और विनम्र होने का मात्र दिखावा करना नहीं है ।

“मूसा को मिस्रियों की सारी विद्या पढ़ाई गई थी, और वह बातों और कामों में सामर्थी था ।” फिर भी, वह “पृथ्वी भर के रहने वाले मनुष्यों से बहुत अधिक नम्र स्वभाव का था ।” उसका ज्ञान और योग्यता उसे घमंडी बना सकता था । इसके विपरीत, विनम्रता के गुण और आत्मिक उपहार जिससे वह आशिषित था ने उसके जीवन में अहंकार को कम किया और परमेश्वर के कार्यों को पूरा करने के लिये मूसा की योग्यता को बढ़ाया था ।

स्वामी विनम्रता के एक उदाहरण के रूप में

विनम्रता के सबसे भव्य और अर्थपूर्ण उदाहरण स्वयं उद्धारकर्ता के जीवन में पाए जाते हैं ।

महान मुक्तिदाता, जो “सब बातों में नीचे उतरा” और सहा, लहू बहाया, और मर गया “हमें सब अधर्म से शुद्ध करने के लिये,” कोमलता से अपने शिष्यों के धूल भरे पैरों को धोया इस प्रकार की विनम्रता सेवक और मार्गदर्शक के रूप में प्रभु का विशेष गुण है ।

यीशु धार्मिक जवाबदेही और स्वैच्छिक समर्पण का सर्वोत्तम उदाहरण उपलब्ध करता जब उसने गतसमनी में अत्यंत यातना सही थी ।

“उस जगह पहुंचकर उसने उनसे कहा; प्रार्थना करो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो ।

“और वह … घुटने टेककर प्रार्थना करने लगा,

“कि हे पिता यदि आप चाहें तो इस कटोरे को मेरे पास से हटा लें, तौभी मेरी नहीं परंतु आपकी ही इच्छा पूरी हो ।”

इस सदा आवश्यक और अत्यंत पीड़ादायक अनुभव के दौरान उद्धारकर्ता की विनम्रता हम में से प्रत्येक को परमेश्वर की इच्छा को अपनी स्वयं की इच्छा से अधिक महत्व देना प्रदर्शित करती है ।

प्रभु का स्वैच्छिक समर्पण और मजबूत आत्म-सयंम हम सबों के लिये प्रभावशाली और शिक्षाप्रद दोनों हैं । जब मंदिर संतरी की हथियारबंद टुकड़ी और रोम सैनिक गतसमनी में यीशु को कब्जे में और गिरफ्तार करने पहुंचे, तो पतरस ने अपनी तलवार निकाली और महयाजक के सेवक का दांया कान काट दिया । तब उद्धारकर्ता ने सेवक के कान को छुआ और उसे ठीक कर दिया । कृपया ध्यान दें कि वह आगे बढ़ा और अपने पकड़ने वाले को उसी स्वर्गीय शक्ति से आशीषित किया जिससे वह अपने पकड़े जाने और सलीब पर चढ़ाए जाने को रोक सकता था ।

यह भी विचार करें कैसे सलीब दिये जाने के लिये स्वामी पर पीलातुस के सामने आरोप लगाए और निंदा की गई । यीशु ने अपने विश्वासघात के दौरान कहा था “क्या तू नहीं समझता, कि मैं अपने पिता से विनती कर सकता हूं, और वह स्वर्गदूतों की बारह पलटन से अधिक मेरे पास अभी उपस्थित कर देगा ?” फिर भी, “जीवित और मृत लोगों के अनंत न्यायी” का विरोधाभासी ढंग से अस्थाई राजनीतिक पद पर नियुक्त व्यक्ति द्वारा न्याय किया गया । “और [यीशु ने] उसको एक बात का भी उत्तर नहीं दिया, यहां तक कि न्यायी को बड़ा आश्चर्य हुआ ।” उद्धारकर्ता की विनम्रता उसकी अनुशासित प्रतिक्रिया, मजबूत सयंम, और अपने व्यक्तिगत लाभ के लिये अपनी अनंत शक्ति उपयोग न करना में दिखाई देती है ।

प्रतिज्ञा और गवाही

मॉरमन ने विनम्रता की उस आधार के रूप में पहचान की है जिससे सभी आत्मिक क्षमताएं और उपहार उत्पन्न होते हैं ।

“इसलिए, यदि किसी मनुष्य के पास विश्वास है तो उसके पास आशा भी होनी चाहिए; क्योंकि बिना विश्वास के आशा प्राप्त नहीं की जा सकती है ।

“और फिर से, देखो मैं तुमसे कहता हूं कि वह जो हृदय से दीन और नम्र नहीं होगा, वह विश्वास और आशा प्राप्त नहीं कर सकता है ।

“यदि ऐसा है, तो उसका विश्वास और आशा व्यर्थ है, क्योंकि हृदय से दीन और नम्र के अलावा, परमेश्वर के सामने और कोई भी स्वीकार्य नहीं है; और यदि कोई मनुष्य हृदय से दीन और नम्र है, और पवित्र आत्मा के सामर्थ्य द्वारा अंगीकार करता है कि यीशु ही मसीह है, तो उसमें उदारता होनी चाहिए; क्योंकि यदि उसके पास उदारता नहीं है तो वह कुछ भी नहीं है; इसलिए उसके पास उदारता होनी चाहिए ।”

उद्धारकर्ता ने कहा था, “धन्य हैं वे, जो विनम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे ।” विनम्रता दिव्य प्रकृति का आवश्यक पहलू है और उद्धारकर्ता के प्रायश्चित के कारण और द्वारा इसे हमारे जीवनों में प्राप्त और विकसित किया जा सकता है ।

मैं गवाही देता हूं कि मसीह हमारा पुनर्जीवित और जीवित मुक्तिदाता है । और प्रतिज्ञा करता हूं कि वह हमारा मार्गदर्शन, सुरक्षा और मजबूती देगा जब हम उसकी आत्मा की विनम्रता में चलते हैं । मैं इन सच्चाइयों और प्रतिज्ञाओं की अपनी दृढ़ गवाही देता यीशु मसीह के पवित्र नाम में, आमीन ।