महा सम्मेलन
हमारे जीवन में यीशु मसीह का अधिक दिखाई देना
अक्टूबर 2022 महा सम्मेलन


10:16

हमारे जीवन में यीशु मसीह का अधिक दिखाई देना

उद्धारकर्ता हमें अपने जीवन में उसके माध्यम से अपने जीवन को देखने के लिए आमंत्रित करता है, ताकि हमारे जीवन में उसकी अधिक आशीष देखी जा सके।

भाइयों और बहनों, आज सुबह आपके सामने खड़े होने पर मैं बहुत विनम्र हूं। परमेश्वर के राज्य में भविष्यवक्ताओं, प्रेरितों, संतों, प्रकटीकर्ताओं और मार्गदर्शकों के संदेश सुनने के लिए, दुनिया भर में जहां भी आप लोग हो, इकट्ठा होने के लिए कृतज्ञता में मैं आपके साथ अपना हृदय जोड़ती हूं। हम एक प्रकार से राजा बिन्यामीन के समय के लोगों की तरह बन जाते हैं, अपने तंबू लगाते हैं और अपने द्वार खुले रखते हैं और पृथ्वी पर परमेश्वर के भविष्यवक्ता,1 अध्यक्ष रसल एम. नेलसन को सुनते हैं।

जहां तक मुझे याद है मेरी दृष्टि खराब हो गई थी और हमेशा अपनी दृष्टि को सही करने के लिए मुझे प्रिस्क्रिप्शन लेंस की आवश्यकता होती है। जब मैं हर सुबह अपनी आंखें खोलती हूं, तो दुनिया बहुत अस्पष्ट सी दिखाई देती है। सब कुछ फोकस से बाहर होता है, धुंधला और विकृत है। यहां तक कि मुझे अपने प्रिय पति भी बहुत विचित्र दिखाई देते हैं जबकि उनकी आकृति प्यार करने और दिलासा देने वाली है! अपने दिन की शुरुआत की करने से पहले मुझे अपने चश्मे तक पहुंचना होता है ताकि मुझे अपने वातावरण को समझने में मदद मिल सके और अधिक जोशपूर्ण अनुभव का आनंद लिया जा सके जब वे मुझे अपने पूरे दिन कार्य करने में मदद करते हैं।

इन वर्षों में, मुझे यह पता चला है कि यह व्यवहार दो बातों पर मेरी दैनिक निर्भरता को दर्शाता है: पहला, एक उपकरण जो मुझे अपने आस-पास की दुनिया को स्पष्ट करने, ध्यान केंद्रित करने और समझने में मदद करता है; और दूसरा, मुझे लगातार सही दिशा में ले जाने के लिए ठोस मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। यह सरल, नियमित अभ्यास मेरे लिए हमारे उद्धारकर्ता, यीशु मसीह के साथ हमारे संबंधों के बारे में एक महत्वपूर्ण विचार को प्रदर्शित करता है।

हमारा जीवन जो कि अक्सर प्रश्नों, चिंताओं, दबावों और अवसरों से भरा होता हैं, व्यक्तिगत रूप से और उसकी अनुबंध के बच्चों के रूप में हमारे उद्धारकर्ता का प्रेम, उसकी शिक्षाएं और नियम, दैनिक उपलब्ध संसाधन हैं जिन पर हम निर्भर हो सकते हैं “प्रकाश जो चमकता है, … [हमारी] आंखों को प्रबुद्ध करें [और] [हमारी] समझ को तेज करें।2 जब हम अपने जीवन में आत्मा की आशीषों की खोज करते हैं, तो हम देखने में सक्षम होंगे, जैसा याकूब ने सिखाया था, आत्मा “बातों के विषय में वैसे ही बोलती है जैसी वे आज हैं, और जैसे वे भविष्य में होंगी।3

परमेश्वर की अनुबंध सन्तान होने के नाते, हमें अपनी आत्मिक दृष्टि को सुधारने के लिए परमेश्वर द्वारा नियुक्त उपकरणों की समृद्ध आपूर्ति के साथ विशिष्ट रूप से आशीषित किया गया है। यीशु मसीह के वचन और शिक्षाएं जैसा कि धर्मशास्त्र में लिखी हैं और उसके चुने हुए भविष्यवक्ताओं के संदेश, और उसकी आत्मा, दैनिक प्रार्थना, नियमित मंदिर उपस्थिति, और प्रभुभोज की साप्ताहिक विधि से प्राप्त होती है, शांति पुन:स्थापित करने और विवेक का आवश्यक उपहार प्रदान करने में मदद कर सकती हैं जो मसीह के प्रकाश और उसकी समझ से हमारे निजी या गुप्त विचार या कार्य दूर करती हैं जो हमारे विश्वास या आत्मिक प्रकाश को अवरुद्ध करने के लिए संदेह का कारण बन सकते हैं। उद्धारकर्ता हमारा कम्पास और हमारा पायलट भी हो सकता है जब हम जीवन के शांत और अशांत दोनों प्रकार के समयों का सामना करते हैं। वह सही मार्ग दिखा सकता है जो हमें हमारे अनंतकाल की ओर ले जाता है। तो वह हमें क्या दिखाना और कहां ले जाना चाहता है,?

हमारे प्यारे भविष्यवक्ता ने सिखाया है कि “हमारा ध्यान उद्धारकर्ता और उसके सुसमाचार पर केंद्रित होना चाहिए” और हमें प्रत्येक विचार में उसकी ओर देखने का प्रयास करना चाहिए।4 अध्यक्ष नेलसन ने यह भी वादा किया है कि “यीशु मसीह पर अपना ध्यान केंद्रित करने से अधिक आत्मा को कुछ भी आमंत्रित नहीं करता है। … यदि आप अपने जीवन—में हर दिन उसके लिए समय निकालेंगे तो वह आपके व्यक्तिगत जीवन में आपका नेतृत्व और मार्गदर्शन करेगा।5 मित्रों, यीशु मसीह हमारे जीवन का उद्देश्य है, और इसलिए हम उस पर ध्यान केंद्रित करते हैं। हमें स्थिर रहने और सही दिशा में आगे बढ़ने में मदद करने के लिए, उद्धारकर्ता हमें अपने जीवन में उसके माध्यम से अपने जीवन को देखने के लिए आमंत्रित करता है, ताकि हमारे जीवन में उसकी अधिक आशीष देखी जा सके। मैंने पुराने नियम के अपने अध्ययन के माध्यम से इस विशिष्ट निमंत्रण के बारे में अधिक सीखा है।

मूसा की व्यवस्था प्रारंभिक इस्राएलियों को एक प्रारंभिक सुसमाचार के रूप में दी गई थी, जिसे यीशु मसीह के माध्यम से परमेश्वर के साथ उच्च अनुबंध संबंध बनाने के लिए लोगों को तैयार करने के लिए बनाया गया था।6 प्रतीकवाद से समृद्ध व्यवस्था, जो विश्वासियों को यीशु मसीह के “आने की प्रतीक्षा करने” और उसके प्रायश्चित की ओर इशारा करती है,7 इस्राएल के लोगों को उद्धारकर्ता पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करने के लिए थी, उस में विश्वास, उसके बलिदान, और अपने जीवन में उसके नियमों और आज्ञाओं का पालन करके8—उन्हें अपने मुक्तिदाता की अधिक समझ में लाने का इरादा रखते हुए।

जैसे आज हमें किया जाता है, परमेश्वर के प्राचीन लोगों को अपने जीवन को उसके माध्यम से उनके जीवन में उसकी अधिक आशीष को देखने के लिए आमंत्रित किया गया था। परन्तु उद्धारकर्ता की सेवकाई के समय तक, इस्राएलियों ने अपने रीति-रिवाजों में मसीह से ध्यान हटा दिया और उसे एक तरफ रख दिया और व्यवस्था में गलत प्रथाओं को जोड़ा दिया था, जिसमें उनके उद्धार और मुक्ति के सच्चे और एकमात्र स्रोत—यीशु मसीह की ओर मार्गदर्शन करने के लिए कोई प्रतीक नहीं था।9

इस्राएलियों का प्रतिदिन का जीवन भटका हुआ और अस्पष्ट हो गया था। इस्राएल की संतान ने, इस परिस्थिति में, विश्वास किया कि व्यवस्था की प्रथाएं और रीति-रिवाज व्यक्तिगत उद्धार का मार्ग थे और कुछ हद तक मूसा की व्यवस्था को सीमित कर के नागरिक जीवन पर शासन करने के लिए लागू कर दिया था।10 इसके लिए उद्धारकर्ता को उसके सुसमाचार पर ध्यान केंद्रित करने और स्पष्टता को पुन:स्थापित करने की आवश्यकता थी।

अंतत: इस्राएलियों के एक बड़े हिस्से ने उसके संदेश को अस्वीकार कर दिया, यहां तक कि उद्धारकर्ता पर दोष लगाने के लिए भी —-जिसने व्यवस्था दी और घोषणा की कि वह “व्यवस्था और प्रकाश”11—इसे तोड़ने का। फिर भी यीशु ने पहाड़ी उपदेश में मूसा की व्यवस्था पर बोलते हुए घोषणा की थी, “यह मत सोचो कि मैं व्यवस्था, या भविष्यवक्ताओं को लोप करने आया हूं: मैं लोप करने नहीं आया हूं, बल्कि पूरा करने आया हूं।12 तब उद्धारकर्ता ने अपने अनंत प्रायश्चित के माध्यम से, उस समय इस्राएल के लोगों द्वारा पालन की जा रही प्रथाओं, नियमों और रीति-रिवाजों को समाप्त कर दिया था। उसका अंतिम बलिदान होमबलि की भेंट देने के बजाए हमें “टूटा हुआ हृदय और पश्चातापी आत्मा” समर्पण करने की ओर ले गया था,13 बलिदान के विधि से प्रभुभोज के विधि तक।

अध्यक्ष एम. रसल बलार्ड, ने इस विषय पर सीखाते हुए, कहा था, “एक प्रकार से, बलिदान की भेंट से ध्यान हटकर भेंट देने वाले पर केंद्रित हो गया।14 जब हम उद्धारकर्ता के लिए अपनी भेंट लाते हैं, तो हमें अपने जीवन में यीशु मसीह को अधिक देखने के लिए आमंत्रित किया जाता है, जब हम विनम्रतापूर्वक पिता की इच्छा के प्रति उसकी परिपूर्ण अधीनता की पहचान और समझ में अपनी इच्छा को उसको समर्पित करते हैं। जब हम यीशु मसीह पर अपनी दृष्टि को केंद्रित करते हैं, तो हम पहचानते और हम समझते हैं कि वह क्षमा और मुक्ति प्राप्त करने का एकमात्र स्रोत और तरीका है, यहां तक कि अनंत जीवन और उत्कर्ष के लिए भी।

सुसमाचार के आरंभिक अनुयायी के रूप में, मुझे ऐसे बहुत से लोगों का सामना करना पड़ा था जिन्होंने गिरजे में शामिल होने के बाद मेरे व्यवहार, प्रथाओं और चुनावों में परिवर्तनों को देखा और ध्यान दिया था। वे जो देख रहे थे, उसके “क्यों” के बारे में जानना चाहते थे—मैंने बपतिस्मा लेने और विश्वासियों की इस मंडली अर्थात अंतिम-दिनों के यीशु मसीह के गिरजे में शामिल होने का चुनाव क्यों किया: मैं सब्त के दिन कुछ बातों से क्यों दूर रहती हूं: मैं ज्ञान के शब्द का पालन करने में विश्वासी क्यों हूं: मैं मॉरमन की पुस्तक क्यों पढ़ती हूं: मैं वर्तमान भविष्यवक्ताओं और प्रेरितों की शिक्षाओं में विश्वास और उन्हें अपने जीवन में शामिल क्यों करती हूं: मैं साप्ताहिक गिरजा सभाओं में क्यों भाग लेती हूं: क्यों मैं दूसरों को “आने और देखने, आने और मदद करने,आने और रहने,”15 और “आने और संबंधित होने” के लिए आमंत्रित करती हूं।”16

उस समय, उन सवालों से परेशानी महसूस होती थी और लगता था कि मैंने कुछ गलत किया था। लेकिन जब मैं लोगों की जांच-पड़ताल का सामना कर रही थी, तो मुझे एहसास हुआ कि उनकी जांच वास्तव में, सुसमाचार प्रथाओं और मानकों के प्रति मेरी निष्ठा को प्रेरित, स्पष्ट, केंद्रित करने और मजबूत करने के लिए आत्मिक चश्मा उठाने और पहनने का मेरा पहला निमंत्रण था। मेरी गवाही का स्रोत क्या था? क्या मैं परमेश्वर के नियमों से जुड़ी उन प्रथाओं को “मसीह में [अपने] विश्वास को मजबूत करने” की अनुमति दिए बिना केवल “बाहरी प्रदर्शन” कर रही था,17 या यह समझ प्रदर्शित कर रही थी कि यीशु मसीह मेरी निष्ठा को सामर्थ्य देने का एकमात्र स्रोत है?

मेरे प्रत्येक विचार और कार्य में यीशु मसीह को देखने और उसके लिए कठोर प्रयास के माध्यम से, मेरी आंखें खुल गई, और मेरी समझ ने यह पहचान लिया कि यीशु मसीह मुझे “उसके पास आने” के लिए बुला रहा था।18 अपनी युवावस्था में शिष्यता के इस शुरुआती समय से, मैं प्रचारकों द्वारा मुझे दिए गए निमंत्रण को याद कर सकती हूं क्योंकि उन्होंने मेरी उम्र की युवतियों के एक समूह को सुसमाचार सिखाया था। जब हम एक शाम, इन युवतियों में से एक के परिवार के घर में बैठे थे, यह प्रश्न “मैं क्यों विश्वास करती हूं” मेरे दिल को छू गया था, और मुझे अपनी शिष्यता की आत्मिक प्रेरणाओं के बारे में प्रभु की दृष्टि की गहरी समझ के साथ उन्हें गवाही देने की अनुमति दी, और आगे बढ़ने के लिए मेरी गवाही को परिष्कृत किया है।

मैंने तब सीखा था, जैसा कि मैं अब जानती हूं, कि हमारा उद्धारकर्ता, यीशु मसीह, हमारे पैरों को प्रत्येक सप्ताह उसके प्रभुभोज में भाग लेने के लिए गिरजे ले जाता है, उसके साथ अनुबंध बनाने के लिए मंदिर ले जाता है, उसके वचनों को सीखने के लिए धर्मशास्त्रों और भविष्यवक्ताओं की शिक्षाओं की ओर निर्देशित करता है। वह हमारे मुंह को उसकी गवाही देने के लिए, हमारे हाथों को मदद देने और सेवा करने के लिए प्रेरित करता है जैसा वह मदद और सेवा करता है, हमारी आंखें दुनिया और एक-दूसरे को उस तरह देखने के लिए जैसे वह देखता है- “जैसे कि वे आज हैं, और जैसे वे भविष्य में होंगे।19 और जब हम उसे सभी बातों में हमें निर्देशित करने की अनुमति देते हैं, तो हम गवाही प्राप्त करते हैं कि “सभी चीजें सूचित करती हैं कि परमेश्वर है,”20 क्योंकि जहां हम उसे खोजते हैं, हम उसे वहां पाएंगे21—हर दिन। मैं इसकी गवाही यीशु मसीह के पवित्र नाम में देती हूं, आमीन।