महा सम्मेलन
क्रूस पर उठाया गया
अक्टूबर 2022 महा सम्मेलन


13:6

क्रूस पर उठाया गया

यीशु मसीह का अनुयायी होने के लिए कभी-कभी बोझ उठाना पड़ता है और वहां जाना पड़ता है जहां बलिदान की आवश्यकता होती है और पीड़ा अनिवार्य है।

सालों पहले, अमेरिकी धार्मिक इतिहास पर स्कूल में चर्चा के बाद, एक साथी छात्र ने मुझसे पूछा, “अंतिम-दिनों के संतों ने उस क्रूस को क्यों नहीं अपनाया है जिसे अन्य ईसाई अपने विश्वास के प्रतीक के रूप में उपयोग करते हैं?

क्रूस के बारे में इस तरह के प्रश्न अक्सर मसीह के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के बारे में किए जाते हैं, मैंने उसे बताया कि अंतिम-दिनों के संतों यीशु मसीह का गिरजा यीशु मसीह के प्रायश्चित बलिदान को प्रमुख कार्य, महत्वपूर्ण आधार, मुख्य सिद्धांत और अपने बच्चों के उद्धार के लिए परमेश्वर की भव्य योजना में दिव्य प्रेम की अभिव्यक्ति मानता है।1 मैंने समझाया कि उस कार्य से प्राप्त अनुग्रह आदम और हव्वा से दुनिया के अंत तक संपूर्ण मानव परिवार के लिए जरूरी था और सभी को उपहार के रूप में दिया गया था।2 मैंने भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ को उद्धृत किया, जिन्होंने कहा, “सभी … जो बातें हमारे धर्म से संबंधित हैं, वे यीशु मसीह के प्रायश्चित से जुड़ी हैं।”3

फिर मैंने उसे पढ़ा जिसे नफी ने यीशु के जन्म से 600 साल पहले लिखा था: “और उस स्वर्गदूत ने मुझ से फिर कहा: नजरें उठाओ! और मैंने नजरें उठाई और परमेश्वर के मेमने को देखा, … [जो] क्रूस पर उठाया गया था और दुनिया के पापों के लिए मारा गया था।4

“प्यार, साझा और आमंत्रित” करने के अत्यधिक उत्साह के साथ, मैं पढ़ता रहा! नई दुनिया में नफाइयों से पुन:जीवित मसीह ने कहा था, “मेरे पिता ने मुझे इसलिए भेजा कि मैं क्रूस पर उठाया जाऊं; … मैं सारे लोगों को अपने पास ला सकूं, … और इसी कार्य के लिए मुझे उठाया गया था।”5

मैं प्रेरित पौलुस को उद्धृत करने वाला था जब मैंने देखा कि मेरा साथी मेरी बातों में दिलचस्पी नहीं ले रहा था। अपनी घड़ी देखकर उसे तुरंत याद आया कि उसे—कहीं किसी कार्य से जाना था—और वह बहाना बना कर जल्दी से वहां से चला गया। इस तरह हमारी बातचीत खत्म हो गई।

आज सुबह, लगभग 50 साल बाद, मैं उस बातचीत को पूरा करने के लिए दृढ़ हूं-—भले ही आप में से प्रत्येक चुपचाप अपनी घड़ियों को देखना शुरू कर दे। जब मैं यह समझाने का प्रयास करता हूं कि हम आम तौर पर क्रूस की छवि का उपयोग क्यों नहीं करते हैं, तो मैं उन लोगों के विश्वास से भरी प्रेरणाओं और समर्पित जीवन के प्रति हमारे गहरे सम्मान और गहन प्रशंसा को बहुतायत से स्पष्ट करना चाहता हूं।

एक कारण है कि हम क्रूस को प्रतीक के रूप में महत्व नहीं देते हैं क्योंकि हमारी शिक्षा बाइबिल से आती है। क्योंकि क्रूस पर चढ़ाया जाना रोमन साम्राज्य का मृत्युदंड देने के सबसे पीड़ादायक रूपों में से एक था, यीशु के कई आरंभिक अनुयायियों ने पीड़ा के उस क्रूर साधन को महत्व नहीं देना चुना था। मसीह की मृत्यु का अर्थ निश्चित रूप से उनके विश्वास के लिए प्रमुख था, लेकिन कुछ 300 वर्षों तक वे आम तौर पर अन्य साधनों के माध्यम से अपनी सुसमाचार पहचान को व्यक्त करना चाहते थे।6

चौथी और पांचवीं शताब्दी तक, क्रूस को साधारण ईसाई धर्म के प्रतीक के रूप में पेश किया जा रहा था, लेकिन हमारा “साधारण ईसाई धर्म” नहीं है। न तो कैथोलिक और न ही प्रोटेस्टेंट होने के नाते, हम, बल्कि, एक पुन:स्थापित गिरजा, पुन:स्थापित नए नियम का गिरजा हैं। इस प्रकार, हमारी उत्पत्ति और हमारे अधिकार परिषदों, पंथों और छवि-चित्रण के समय से आगे तक जाती है।7 इस अर्थ में, किसी प्रतीक का न होना जोकि यीशु मसीह की मृत्यु के बाद कई वर्षों तक उपयोग नहीं किया गया था, इस बात का सबूत है कि अंतिम-दिनों के संतों के यीशु मसीह का गिरजा सच्चे ईसाई धर्म के आरंभ होने की पुन:स्थापना है।

प्रतीकी क्रूसों का उपयोग न करने का एक अन्य कारण मसीह के मिशन के संपूर्ण चमत्कार—उसका महिमापूर्ण पुनरुत्थान और उसकी बलिदान पीड़ा और मृत्यु पर हमारा जोर देना है। उस संबंध को समझाने के लिए, मैं दो पेंटिग8 पर ध्यान दिलाना चाहता हूं जो साल्ट लेक सिटी में प्रत्येक गूरुवार को पवित्र साप्ताहिक मंदिर सभा में प्रथम अध्यक्षता और बारह प्रेरितों की परिषद के लिए पृष्ठभूमि के रूप में कार्य करती हैं। ये पेंटिग हमें उस मूल्य का निरंतर स्मरण कराती हैं जिसका भुगतान किया गया था और उस विजय का जो उसके द्वारा प्राप्त हुई थी जिसके सेवक हम हैं।

स्वर्गारोहण, हैरी एंडरसन द्वारा
पुनरुत्थान, हैरी एंडरसन द्वारा

मसीह की दो-हिस्सों में प्राप्त विजय का हमारा सार्वजनिक प्रदर्शन पुनर्जीवित मसीह की इसकी छोटी थोरवाल्डसेन द्वारा कृत छवि का उपयोग है जिसमें मसीह कब्र से महिमा में बाहर आ रहा है और उसके क्रूस पर चढ़ाए जाने के घाव अभी भी स्पष्ट हैं।9

गिरजे का लोगो

अंत में, हम स्वयं को याद दिलाते हैं कि अध्यक्ष गॉर्डन बी. हिंकली ने एक बार सिखाया था, “हमारे लोगों का जीवन हमारे [विश्वास] का प्रतीक होना चाहिए।”10 ये विचार—विशेष रूप से बाद वाले—मुझे उस बात की ओर ले जाते हैं जो क्रूस के सभी पवित्रशास्त्रों के संदर्भों में सबसे महत्वपूर्ण हो सकती है। इसका पेंडेंट या गहने, मिनार या साइनपोस्ट से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बजाय, यह अत्यधिक मजबूत अखंडता और कठोर नैतिक दृढ़ संकल्प है जिसे ईसाई लोगों को उस जिम्मेदारी में प्रकट करना चाहिए जो यीशु ने अपने प्रत्येक शिष्य को दी है। हर देश और युग में, उसने हम सभी से कहा है, “यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आपका इंकार करे और अपना क्रूस उठाए, और मेरे पीछे हो ले।”11

यह उन क्रूसों की बात करता है जिन्हें हम उठाते हैं, बजाय जिन्हें हम पहनते हैं। यीशु मसीह, का अनुयायी होने के लिए कभी-कभी बोझ उठाना पड़ता है—अपना या किसी अन्य का—और वहां जाना पड़ता है जहां बलिदान की आवश्यकता होती है और पीड़ा अनिवार्य है। कोई सच्चा ईसाई व्यक्ति केवल उन्हीं बातों में स्वामी का अनुसरण नहीं कर सकता है जिन से वह सहमत है। नहीं। हम हर जगह उसका अनुसरण करते हैं, यदि आवश्यक हो, तो आंसू और परेशानी से भरे स्थानों में भी, जहां कभी-कभी हम बहुत अकेला महसूस कर सकते हैं।

मैं गिरजे के अंदर और बाहर ऐसे लोगों को जानता हूं, जो मसीह का विश्वसनीयता से अनुसरण कर रहे हैं। मैं गंभीर रूप से शारीरिक विकलांग बच्चों को और उनके माता-पिता को जानता हूं जो उनकी देखभाल करते हैं। मैं सभी को कभी-कभी अत्यधिक परिश्रम करते हुए देखता हूं, शक्ति, सुरक्षा और खुशी के उन कुछ क्षणों को खोज करते हुए जो किसी अन्य तरीके से नहीं मिलते हैं। मैं कई अविवाहित वयस्कों को जानता हूं जो किसी प्यार करने वाले साथी, एक शानदार विवाह और अपने स्वयं के बच्चों से भरे घर के लिए तरसते हैं और वे इसके योग्य हैं। कोई भी इच्छा इतनी अधिक उपयुक्त नहीं हो सकती है, लेकिन साल-दर-साल बाद भी उन्हें यह सौभाग्य नहीं मिलता है। मैं उन लोगों को जानता हूं जो कई प्रकार की मानसिक बीमारी से लड़ रहे हैं, जो भावनात्मक स्थिरता की प्रतिज्ञा की गई भूमि के लिए प्रार्थना और सहायता की याचना करते हैं। मैं उन लोगों को जानता हूं जो अत्यधिक गरीबी में रहते हैं, लेकिन निराशा का सामना करते हुए, केवल अपने प्रियजनों और आस-पास के अन्य जरूरतमंदों के लिए बेहतर जीवन बनाने का अवसर मांगते हैं। मैं कई लोगों को जानता हूं जो पहचान, लिंग और कामुकता से जूझ रहे हैं। मैं उनके लिए दुखी होता हूं, और मैं उनके साथ दुखी होता हूं, यह जानकर कि उनकी पसंद के परिणाम अति महत्वपूर्ण होंगे।

ये जीवन में हमारे सामने आने वाली कई कठिन परिस्थितियों में से कुछ हैं, जो याद दिलाती हैं कि शिष्यत्व की कीमत चुकानी पड़ती है। अरौना से, जिसने उसे होमबलि के लिए मुफ्त बैल और लकड़ी देने का प्रयास किया, राजा दाऊद ने कहा था, “ऐसा नहीं; मैं ये वस्तुएं अवश्य दाम देकर तुझ से लूंगा: … [क्योंकि मैं] अपने प्रभु परमेश्वर को [बिना मूल्य चुकाए] होमबलि नहीं चढ़ाने का।12 तो ऐसा ही हम सभी कहते हैं।

जब हम अपने क्रूस उठाते और उसका अनुसरण करते हैं, तो यह वास्तव में दुखद होगा यदि हमारी चुनौतियों का भार हमें दूसरों द्वारा उठाए जा रहे बोझ के प्रति अधिक संवेदनशील और अधिक चौकस नहीं बनाता है। यह क्रूस के सबसे शक्तिशाली विरोधाभासों में से एक है कि उद्धारकर्ता की बाहों को फैलाया गया और फिर उन पर कीलें ठोकी गई थी, अनजाने में लेकिन सटीक रूप से चित्रित किया गया था कि संपूर्ण मानव परिवार में प्रत्येक पुरुष, महिला और बच्चे का न केवल स्वागत है, बल्कि उसकी मुक्ति दिलाने वाले, उत्कर्ष आलिंगन में भी आमंत्रित किया गया है।13

जैसा पीड़ादायक क्रूस पर चढ़ाए जाने के पश्चात महिमापूर्ण पुनरुत्थान हुआ था, इसलिए हर तरह की आशीषें उन लोगों पर उंडेल दी जाती हैं जो पाना चाहते हैं, जैसा मॉरमन की पुस्तक का भविष्यवक्ता याकूब कहता है, “मसीह में विश्वास करें, और उसकी मृत्यु पर विचार करें, और उसके क्रूस को कष्ट उठाएं। कभी-कभी यह आशीषें तुरंत आती हैं और कभी-कभी देर से आती हैं, लेकिन डोलोरोसा (कष्टपूर्ण कठिन मार्ग)14 पर चलते हुए हमारा व्यक्तिगत अद्भुत निष्कर्ष स्वयं स्वामी से मिली प्रतिज्ञा है कि वे आती हैं। ऐसी आशीषें प्राप्त करने के लिए, हम उसका अनुसरण करेंगे—हमेशा, कभी न लड़खड़ाएंगे और न ही पीछे हटेंगे, कभी भी नहीं घबराएंगे, न तो तब, जब हमारे क्रूस भारी लग सकते हैं और न ही तब, जब कुछ समय के लिए निराशा घेर लेती है। आपकी ताकत, आपकी ईमानदारी और आपके प्यार के लिए, मैं अपनी तरफ से धन्यवाद देता हूं। इस दिन मैं उसकी प्रेरितिक गवाही देता हूं जिसे “उठाया” गया था”15 और अनन्त आशीषों की जो वह अपने साथ “उठाए गए ” लोगों को देता है, यहां तक कि प्रभु यीशु मसीह, आमीन।

विवरण

  1. देखें जेफरी आर. हॉलैंड, Encyclopedia of Mormonism (1992), “Atonement of Jesus Christ,” 1:83.

  2. अमूलेक मसीह के प्रायश्चित को “महान और अंतिम बलिदान” के रूप में बोलता है, जो “अनंत और अनन्त” है।(अलमा 34:10)। हां, सभी पतित और खोए हुए लोग हैं, और सबका विनाश निश्चित है सिवाय उस प्रायश्चित के अलावा जो कि आवश्यक है और जिसे होना ही होगा” (अलमा 34:9; यह भी देखे पद 8–12)। अध्यक्ष जॉन टेलर आगे कहते हैं: “हमारे लिए यह समझ से बाहर है, की [यीशु] ने पूरे संसार के पापों का भार उठाया; न केवल आदम के लिए, वरन उसके वंश के लिए भी; और ऐसा करने से, न केवल सभी विश्वासियों और परमेश्वर के कानून का पालन करने वाले सभी लोगों के लिए स्वर्ग का राज्य खोला गया, बल्कि मानव परिवार के आधे से अधिक लोगों के लिए, जो परिपक्वता के वर्षों में आने से पहले मर जाते हैं, साथ ही साथ [वे] जो नियम जाने बिना मर गए, उसकी मध्यस्थता के माध्यम से, नियम के अंतर्गत पुनर्जीवित होंगे, और उनका नियम के बिना न्याय किया जाएगा, और इस में इस तरह भाग लेंगे … उसके प्रायश्चित की आशीषों में” (An Examination into and an Elucidation of the Great Principle of the Mediation and Atonement of Our Lord and Savior Jesus Christ [1892], 148–49; Teachings of Presidents of the Church: John Taylor [2001], 52–53)।

  3. Teachings of Presidents of the Church: Joseph Smith (2007), 49.

  4. 1 नफी 11:32 -33

  5. 3 नफी 27:14-15

  6. बेशक, पौलुस की शिक्षाओं में क्रूस के उदारहरण हैं, 1 कुरिन्थियों 1:17–18;गलातियों 6:14; फिलिप्पियों 3:18), जो ये दो लकड़ी के बड़े बीम की तुलना में बहुत अधिक बात करते हैं या इस तरह का कोई ऐसा प्रतीक। इसलिए जब पौलुस क्रूस की बात करता है, तो वह प्रायश्चित की महिमा के बारे में बात करने के लिए सैद्धान्तिक तरीके का उपयोग कर रहा है, एक ऐसा क्षेत्र जहां अंतिम-दिनों के संत आसानी से उसके साथ जुड़ते हैं और उसके बारे में बात करते हैं।

  7. मार्टिन लूथर के सहयोगी एंड्रियास कार्लस्टेड (1486-1541) जैसे प्रारंभिक और पारंपरिक ईसाई आंकड़े देर से मध्य युग तक बहस कर रहे थे कि “क्रूस [अपने आप] केवल मसीह की मानवीय पीड़ा को दर्शाता है और अपने पुनरुत्थान और मोचन [शक्तियों] को प्रदर्शित करने के लिए उपेक्षित है” (जॉन हिल्टन III में, Considering the Cross: How Calvary Connects Us with Christ [2021], 17)।

  8. हैरी एंडरसन, The Crucifixion; Harry Anderson, Mary and the Resurrected Lord.

  9. देखें रसल एम. नेलसन, “Opening the Heavens for Help,” Liahona, मई 2020, 72–74.

  10. गॉर्डन बी. हिंकली, “The Symbol of Christ,” Ensign, मई 1975, 92.

  11. मत्ती 16:24

  12. 2 शमूएल 24:24

  13. “उसका हाथ उन सभी लोगों के लिए बढ़ाया गया है जो पश्चाताप करेंगे और उसके नाम पर विश्वास करेंगे” (अलमा 19:36; यह भी देखें 2 नफी 26:33; अलमा 5:33)।

  14. Via dolorosa एक लैटिन वाक्या जिसका अर्थ है “एक दर्दनाक कठिन मार्ग, रास्ता, या कई अनुभव” (Merriam-Webster.com Dictionary, “via dolorosa”). यह अक्सर पीलातुस के हाथों उसकी निंदा से लेकर कलवारी पर उसके क्रूस पर चढ़ाए जाने तक यीशु के अंतिम दौर से जुड़ा है।

  15. देखें 3 नफी 27:14-15