हे सिय्योन, अपना बल धारण कर
हम में से प्रत्येक को अपनी पार्थिव और आत्मिक प्राथमिकताओं का ईमानदारी से और प्रार्थनापूर्वक मूल्यांकन करना चाहिए।
दृष्टांतों के द्वारा प्रभु यीशु मसीह की शिक्षा को बहुत अच्छी तरह समझा जा सकता है। भली-भांति समझाए गए, उद्धारकर्ता के दृष्टांत संसारिक बातों और नश्वर अनुभवों के साथ आत्मिक सच्चाइयों की तुलना करने के लिए उपयोग की जाने वाली कहानियां हैं। उदाहरण के लिए, नए नियम के सुसमाचार शिक्षाओं से भरे हुए हैं जिनमें स्वर्ग के राज्य की तुलना राई के दाने से,1 बहुमूल्य मोती से,2 एक गृहस्थ और उसके दाख की बारी में मजदूरों से,3 दस कुंवारियों से,4 और कई अन्य बातों से की गई है। प्रभु की गलीली सेवकाई के दौरान, धर्मशास्त्र बताते हैं कि वह “बिना दृष्टांत कहे उन से कुछ भी नहीं कहता था।”5
दृष्टांत का अभिप्राय या संदेश आमतौर पर स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं किया जाता है। इसके बजाय, इसकी कहानी सुनने वाले को परमेश्वर में उसके विश्वास, व्यक्तिगत आत्मिक तैयारी और सीखने की इच्छा के अनुपात में दिव्य सच्चाई बताती है। इस प्रकार, व्यक्ति को नैतिक स्वतंत्रता का उपयोग करना चाहिए और दृष्टांत में छिपी सच्चाइयों की खोज करने के लिए सक्रिय रूप से “मांगना, ढूंढना और खटखटाना”6 चाहिए
मैं ईमानदारी से प्रार्थना करता हूं कि पवित्र आत्मा हम में से प्रत्येक को समझ देगी जब हम शाही विवाह भोज के दृष्टांत के महत्व पर विचार करते हैं।
शाही विवाह का भोज
“इस पर यीशु फिर उन से दृष्टान्तों में कहने लगा,
“स्वर्ग का राज्य उस राजा के समान है, जिस ने अपने पुत्र का विवाह किया।
और उस ने अपने दासों को भेजा, कि मेहमानों को विवाह के भोज में बुलाएं; परन्तु उन्होंने आना न चाहा।
“फिर उस ने और दासों को यह कहकर भेजा, कि मेहमानों से कहो, देखो; मैं भोज तैयार कर चुका हूं, और मेरे बैल और पले हुए पशु मारे गए हैं: और सब कुछ तैयार है; विवाह के भोज में आओ।
“परन्तु वे बेपरवाई करके चल दिए: कोई अपने खेत को, कोई अपने व्यापार को।7
प्राचीन काल में, यहूदी जीवन में सबसे खुशी के अवसरों में से एक विवाह का समारोह होता था—एक ऐसा समारोह जो एक या दो सप्ताह तक चलता था। इस तरह के समारोह के लिए योजना बनाने की आवश्यकता होती थी, और मेहमानों को इसके विषय में पहले से सूचित किया जाता था और समारोह के समय फिर से याद कराया जाता था। इस तरह के विवाह के लिए किसी राजा का अपनी प्रजा को दिए निमंत्रण को एक आवश्यक आदेश माना जाता था। फिर भी, इस दृष्टांत में कई बुलाए गए मेहमान नहीं आए।8
“राजा के भोज में भाग लेने से इनकार करना शाही अधिकार के विरूद्ध … जानबूझकर किया गया [कार्य] था और राजा और उसके बेटे दोनों का व्यक्तिगत अपमान था। … एक व्यक्ति द्वारा अपने खेत में जाना और दूसरे द्वारा अपने [व्यावसायिक हितों] के लिए इसे अस्वीकार करना”9 उनकी गलत प्राथमिकताओं और राजा की इच्छा की पूरी तरह से अवहेलना को दर्शाता है।10
दृष्टांत आगे बताता है:
तब उस ने अपने दासों से कहा, विवाह का भोज तो तैयार है, परन्तु मेहमान योग्य न ठहरे।
“इसलिये चौराहों में जाओ, और जितने लोग तुम्हें मिलें, सब को विवाह के भोज में बुला लाओ।
“सो उन दासों ने सड़कों पर जाकर क्या बुरे, क्या भले, जितने मिले, सब को इकट्ठे किया; और विवाह का घर मेहमानों से भर गया।11
उन दिनों विवाह के भोज के मेजबान के लिए एक रिवाज था—इस दृष्टांत में, राजा—कि वह विवाह के मेहमानों के लिए वस्त्र देता था। इस तरह के विवाह के लिए सरल और साधारण वस्त्र होते थे जो विवाह के भोज में आए सभी उपस्थित लोगों ने पहनने होते थे। इस तरह, सामाजिक पद और प्रतिष्ठा को समाप्त कर दिया गया था, और भोज में हर कोई बराबर होता था।12
विवाह में शामिल होने के लिए राजमार्गों से आमंत्रित लोगों को समारोह की तैयारी में उचित वस्त्र खरीदने का समय या साधन नहीं मिल पाया था। परिणामस्वरूप, राजा ने संभवतः मेहमानों को अपनी वस्त्रों की अलमारी से वस्त्र दिए थे। सभी को राजसी वस्त्र पहनने का मौका दिया गया था।13
जैसे ही राजा ने विवाह कक्ष में प्रवेश किया, उसने मेहमानों पर नजर डाली और तुरंत देखा कि एक विशिष्ट अतिथि ने विवाह के वस्त्र नहीं पहने थे। उस व्यक्ति को सामने लाया गया और राजा ने पूछा: “दोस्त, आप यहां विवाह के वस्त्र पहन कर क्यों नहीं आए? और उसका मुंह बन्द हो गया।14 संक्षेप में, राजा ने पूछा, “आपने विवाह के वस्त्र क्यों नहीं पहन रखे हैं, जबकि आपको वस्त्र दिए गए थे?”15
आदमी स्पष्ट रूप से इस विशेष अवसर के लिए उपयुक्त वस्त्र नहीं पहने था, और वाक्य, “उसका मुंह बन्द हो गया,” बताता है कि व्यक्ति के पास कोई बहाना नहीं था।16
एल्डर जेम्स ई. टैल्मेज मनुष्य के कार्यों के महत्व के बारे में यह शिक्षाप्रद टिप्पणी प्रदान करते है: “कि उपयुक्त वस्त्र न पहना अतिथि उपेक्षा, जानबूझकर किए गए अपमान, या अधिक गंभीर अपराध का दोषी था, जैसा कि दृष्टांत में स्पष्ट है। राजा पहले शालीन विचारशील था, उसने केवल यह पूछा था कि व्यक्ति ने विवाह के वस्त्र के बिना कैसे प्रवेश किया था। यदि यह अतिथि अपनी असाधारण उपस्थिति को समझाने में सक्षम होता, या उसके पास कहने के लिए कोई उचित बहाना होता, तो वह निश्चित रूप से बोलता; लेकिन दृष्टांत हमें बताता है कि उसका मुंह बन्द हो गया था। राजा के निमंत्रण को स्वतंत्र रूप से उन सभी के लिए दिया गया था जिन्हें उसके नौकरों ने खोजा था; लेकिन उनमें से प्रत्येक को द्वार से शाही महल में प्रवेश करना पड़ा था; और भोज कक्ष में पहुंचने से पहले, जिसमें राजा को व्यक्तिगत रूप से आना था, प्रत्येक को उपयुक्त वस्त्र पहनाए जाने थे; लेकिन यह व्यक्ति, किसी तरह से दूसरे मार्ग से प्रवेश कर गया; और द्वार पर खड़े प्रहरी की नजर से बच गया था, वह एक घुसपैठिया था।17
एक ईसाई लेखक, जॉन ओ. रीड ने नोट किया कि विवाह के वस्त्र पहनने से इनकार करने वाला व्यक्ति राजा और उसके बेटे दोनों का स्पष्टरूप से अनादर करने का उदाहरण था।” वह न केवल विवाह के वस्त्र के बिना था; बल्कि, उसने उस वस्त्र को न पहनने का फैसला भी किया था। उसने विद्रोहपूर्वक इस अवसर के लिए उपयुक्त वस्त्र पहनने से इनकार किया था। राजा की प्रतिक्रिया तीव्र और निर्णायक थी: “इस के हाथ पांव बांधकर उसे बाहर अन्धियारे में डाल दो, वहां रोना, और दांत पीसना होगा।18
उस व्यक्ति के प्रति राजा का निर्णय मुख्य रूप से विवाह के वस्त्र की कमी पर आधारित नहीं है—लेकिन इस पर कि “उसने असल में, विवाह के वस्त्र नहीं पहनने का निर्णय लिया था। वह व्यक्ति… विवाह के भोज में शामिल होने का सम्मान चाहता था लेकिन… राजा के रिवाज का पालन नहीं करना चाहता था। वह कार्य को अपने तरीके से करना चाहता था। उचित वस्त्र की कमी ने राजा और उसके निर्देशों के खिलाफ उसके आंतरिक विद्रोह को प्रकट किया था।”19
बुलाए हुए तो बहुत हैं परन्तु चुने हुए थोड़े हैं
दृष्टांत तब इस महत्वपूर्ण धर्मशास्त्र: के साथ समाप्त होता है, “क्योंकि बुलाए हुए तो बहुत परन्तु चुने हुए थोड़े हैं।20
दिलचस्प बात यह है कि जोसफ स्मिथ ने बाइबल के अपने प्रेरित अनुवाद में मत्ती के इस वचन में निम्नलिखित सुधार किया: “क्योंकि बहुतों को बुलाया जाता है, परन्तु बहुत कम चुने जाते हैं; इसलिए सभी के पास विवाह के वस्त्र नहीं हैं।”21
शाही भोज का निमंत्रण और भोज में भाग लेने का चुनाव आपस में संबंधित हैं लेकिन भिन्न हैं। निमंत्रण सभी पुरुषों और महिलाओं के लिए है। कोई भी व्यक्ति निमंत्रण को स्वीकार कर सकता है और भोज में आ सकता है—फिर भी उसे भाग लेने के लिए नहीं चुना जा सकता है क्योंकि उसके पास प्रभु यीशु और उसके दिव्य अनुग्रह में विश्वास को परिवर्तित करने का उपयुक्त विवाह वस्त्र नहीं है। इस प्रकार, हमारे पास परमेश्वर की पुकार और उस नियुक्ति के लिए हमारी व्यक्तिगत प्रतिक्रिया दोनों हैं, और कई को बुलाया जा सकता है लेकिन कुछ चुने हुए हैं।22
चुना जाना या चुना गया कोई स्थिति नहीं है जो हमें दी जाती है। इसके बजाय, आप और मैं अंततः हमारी नैतिक स्वतंत्रता के उचित उपयोग के माध्यम से चुने जाने का चुनाव कर सकते हैं।
कृपया सिद्धांत और अनुबंध से निम्नलिखित परिचित पदों में चुने गए शब्द के उपयोग पर ध्यान दें:
बहुतों को बुलाया जाता है, लेकिन कुछ चुने जाते हैं। और उन्हें क्यों नहीं चुना गया है?
“क्योंकि उनके हृदय संसार की वस्तुओं पर अधिक लगे हुए हैं, और मनुष्य के सम्मान को पाना चाहते हैं।”23
मेरा मानना है कि इन पदों का अर्थ बहुत स्पष्ट है। परमेश्वर के पास पसंदीदा लोगों की सूची नहीं है जिसमें हमें आशा करनी चाहिए कि किसी दिन हमारे नाम जोड़े जाएंगे। वह “चुने हुए” को कुछ लोगों तक सीमित नहीं करता है। इसके बजाय, हमारे हृदय, हमारी इच्छाएं, पवित्र सुसमाचार अनुबंधों और विधियों के प्रति हमारा सम्मान, आज्ञाओं के प्रति हमारी आज्ञाकारिता, और, सबसे महत्वपूर्ण बात, उद्धारकर्ता का मुक्ति दिलाने वाला अनुग्रह और दया यह निर्धारित करते हैं कि क्या हमें परमेश्वर के चुने हुए में से एक के रूप में गिना जाता है।24
“हम परिश्रम करके इसलिए लिख रहे हैं, ताकि हम अपने वंशजों और भाइयों को मसीह में विश्वास करा सकें, और परमेश्वर के साथ मेल कर लें; क्योंकि हम जानते हैं कि हम जो कर सकते हैं, उन सब को करने के पश्चात भी हम उसके अनुग्रह द्वारा बचाए गए हैं।”25
अपने दैनिक जीवन की व्यस्तता और उस समकालीन संसार की हलचल में जिसमें हम रहते हैं, आनंद, समृद्धि, लोकप्रियता और प्रसिद्धि को अपनी मुख्य प्राथमिकताएं बनाकर हम उन अनंत बातों से विचलित हो सकते हैं जो सबसे अधिक अर्थपूर्ण हैं। “संसार की बातों” और “मनुष्यों के सम्मान” के प्रति हमारी व्यस्तता हमें रोटी और मसूर की दाल से भी कम के लिए हमारे आत्मिक जन्मसिद्ध अधिकार को तुच्छा समझने के लिए प्रेरित कर सकती है।26
प्रतिज्ञा और गवाही
मैं पुराने नियम के भविष्यवक्ता हाग्गै के द्वारा दिए गए उसके लोगों को प्रभु की सलाह को दोहराता हूं: “अब सेनाओं का प्रभु यों कहता है, अपनी अपनी चाल-चलन पर ध्यान करो।27
हम में से प्रत्येक को अपने जीवन में उन बातों की पहचान करने के लिए ईमानदारी से और प्रार्थनापूर्वक अपनी संसारिक और आत्मिक प्राथमिकताओं का मूल्यांकन करना चाहिए जो स्वर्गीय पिता और उद्धारकर्ता द्वारा हमें प्रदान की जाने वाली आशीषों को बाधित कर सकती हैं। और निश्चित रूप से पवित्र आत्मा हमें स्वयं को देखने में मदद करेगी जैसे हम वास्तव में हैं।28
जब हम उचित रूप से देखने के लिए आंखों और सुनने के लिए कानों के आत्मिक उपहार की खोज करते हैं,29 मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि हमें जीवित प्रभु के साथ हमारे अनुबंध के संबंध को मजबूत करने की क्षमता और न्याय की आशीष प्रदान की जाएगी। हम अपने जीवन में परमेश्वरतत्व का सामर्थ्य भी प्राप्त करेंगे30—और अंततः प्रभु के भोज के लिए बुलाए और चुने जाएंगे।
ओह सिय्योन जाग, जाग! अपना बल धारण कर।”31
“क्योंकि सिय्योन को सुंदरता में, और पवित्रता में आगे बढ़ना चाहिए; उसकी सीमाएं फैलनी चाहिए; और उसके स्टेक मजबूत होने चाहिए; हां, मैं तुम से सच कहता हूं, सिय्योन ऊपर उठे और अपने सुंदर वस्त्र धारण कर ले।32
मैं आनंदपूर्वक परमेश्वर, हमारे अनंत पिता और उसके प्रिय पुत्र, यीशु मसीह की दिव्यता और जीवित वास्तविकता की गवाही देता हूं। मैं गवाही देता हूं कि यीशु मसीह हमारा उद्धारकर्ता और मुक्तिदाता है, और वह जीवित है। और मैं यह भी गवाही देता हूं कि पिता और पुत्र बालक जोसफ स्मिथ को दिखाई दिए थे, इस प्रकार अंतिम-दिनों में उद्धारकर्ता के सुसमाचार की पुन:स्थापना हुई थी। मैं चाहता हूं हम में से प्रत्येक को खोजने और देखने के लिए आंखों और सुनने के लिए कान की आशीष मिले, मैं यह प्रार्थना प्रभु यीशु मसीह के पवित्र नाम में करता हूं, आमीन।