महा सम्मेलन
संसार पर विजय पाना और विश्राम प्राप्त करना
अक्टूबर 2022 महा सम्मेलन


18:44

संसार पर विजय पाना और विश्राम प्राप्त करना

परमेश्वर के साथ अपने अनुबंध के द्वारा संसार पर विजय प्राप्त करके इस संसार की तीव्रता, अनिश्चितता और पीड़ा से विश्राम प्राप्त करें।

मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, मैं इस गौरवशाली सब्त की सुबह आपका अभिवादन करने का आभारी हूं। आप निरंतर मेरे मन में रहते हैं। जब भी आप दूसरों को जरूरत में देखते हैं तो आप जिस तरह से तुरंत कार्रवाई करते हैं, मुझे सुखद आश्चर्य होता है। मैं उस विश्वास और गवाही पर चकित हूं जो आप बार-बार प्रदर्शित करते हैं। मैं आपके हृदयों के दुखों, निराशाओं और चिंताओं से दुखी होता हूं। मैं आपसे प्यार करता हूं। मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमारा स्वर्गीय पिता और उसका पुत्र, यीशु मसीह, आपसे प्रेम करते हैं । वे आपकी परिस्थितियों, आपकी भलाई, आपकी आवश्यकताओं और मदद के लिए आपकी प्रार्थनाओं के बारे में गहराई से जानते हैं। बार-बार, मैं प्रार्थना करता हूं कि आप आपके लिए उनके प्यार को महसूस करें।

उनके प्यार को अनुभव करना महत्वपूर्ण है, जब ऐसा लगता है मानो हम प्रतिदिन निराशाजनक समाचारों के बीच फंस गए हैं। आपके पास ऐसा समय हो सकता हैं जब आप चाहते हों कि आप अपना पजामा पहनें, घुटनों को मोड़कर सो जाएं, और किसी को कहें कि यह उथल-पुथल खत्म हो जाए तो आपको जगा दे।

लेकिन, मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, अभी बहुत सारी अद्भुत बातें होने वाली हैं। आने वाले दिनों में, हम उद्धारकर्ता की शक्ति की सबसे बड़ी घटनाएं देखेंगे जो शायद ही संसार ने कभी देखी हो । अब से लेकर और जब तक वह “शक्ति और बड़ी महिमा के साथ” लौटता है,1 वह विश्वासी को अनगिनत सौभाग्य, आशीषें और चमत्कार प्रदान करेगा।

बहरहाल, हम वर्तमान में उस समय रह रहे हैं जो निश्चित रूप से संसार के इतिहास में सबसे जटिल समय है। जटिलताओं और चुनौतियों से बहुत से लोग घबरा जाते हैं और शक्तिहीन महसूस करते हैं। हालांकि, हाल के अनुभव पर विचार करें जो इस बात को समझा सकता है कि आप और मैं राहत और दिलासा कैसे पा सकते हैं।

वाशिंगटन डीसी मंदिर के हालिया ओपन हाउस सभा के दौरान, ओपन हाउस समिति के एक सदस्य ने मंदिर का भ्रमण करते हुए कई प्रमुख मीडिया पत्रकारों के समूह के साथ चलते हुए एक बातचीत का व्यावहारिक आदान-प्रदान देखा। किसी तरह से एक युवा परिवार इस मीडिया समूह से जा मिला था। एक रिपोर्टर मंदिर संरक्षक की “यात्रा” के बारे में पूछता जा रहा था जब वह मंदिर का भ्रमण करते हुए आगे बढ़ता है। वह जानना चाहता था कि क्या मंदिर की यात्रा जीवन में किसी व्यक्ति की यात्रा में चुनौतियों का प्रतीक है।

परिवार के युवा लड़के ने इस बातचीत को सुन लिया था। जब टूर समूह ने वृत्तिदान कक्ष में प्रवेश किया, तो लड़के ने वेदी की ओर इशारा किया, जिसके निकट लोग परमेश्वर के साथ अनुबंध बनाने के लिए घुटने टेकते हैं, और कहा, “ओह, यह कितना सुंदर है। इस स्थान पर लोग अपनी मंदिर यात्रा के दौरान विश्राम करते हैं।

मुझे संदेह है कि लड़का जानता था कि उसका अवलोकन कितना स्टीक था। उसे शायद ही मंदिर में परमेश्वर के साथ अनुबंध बनाने और उद्धारकर्ता की आश्चर्यजनक प्रतिज्ञा के बीच सीधे संबंध के बारे में कोई जानकारी थी:

“हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।

“मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे।

“क्योंकि मेरा जूआ सहज और मेरा बोझ हल्का है।”2

प्यारे भाइयों और बहनों, मैं उन लोगों के लिए दुख महसूस करता हूं जो गिरजा छोड़ देते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि गिरजे की सदस्यता उन के लिए बहुत कठिन है। वे अभी तक यह समझ नहीं पाए हैं कि अनुबंधों को बनाने और पालन करने से वास्तव में जीवन सरल होता है! प्रत्येक व्यक्ति जो बपतिस्मा कुंड और मंदिरों में अनुबंध बनाता—और पालन करता है—उसने यीशु मसीह की शक्ति को प्राप्त करने में वृद्धि की है। कृपया उस आश्चर्यजनक सच्चाई पर विचार करें!

परमेश्वर के साथ अनुबंध पालन करने का प्रतिफल स्वर्गीय सामर्थ्य है—ऐसा सामर्थ्य जो हमें अपनी पीड़ाओं, प्रलोभनों और हृदय के दर्द का बेहतर ढंग से सामना करने के लिए मजबूत करता है। यह शक्ति हमारे मार्ग को सरल बनाती है। जो लोग यीशु मसीह के उच्चतर नियमों पालन करते हैं, उनके पास उसकी उच्चतर शक्ति तक पहुंच है। इस प्रकार, अनुबंध-पालन करने वाले एक विशेष प्रकार के विश्राम के हकदार हैं जो परमेश्वर के साथ उनके अनुबंध संबंध के द्वारा उनके पास आता है।

उद्धारकर्ता ने स्वयं को गतसमनी और कलवारी की पीड़ा के प्रति समर्पित करने से पूर्व, उसने अपने प्रेरितों से कहा था, “संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीत लिया है।3 इसके बाद, यीशु हम में से प्रत्येक से ऐसा करने का आग्रह किया जब उसने कहा, “मैं चाहता हूं कि तुम संसार पर विजय प्राप्त करो।”4

प्यारे भाइयों और बहनों, आज आपको मेरा संदेश यह है कि क्योंकि यीशु मसीह ने इस पतित संसार पर विजय प्राप्त की और क्योंकि उसने हम में से प्रत्येक के लिए प्रायश्चित किया, आप भी इस पाप से भरे, आत्म-केंद्रित और अक्सर विचलित करने वाले संसार पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।

क्योंकि उद्धारकर्ता ने अपने अनंत प्रायश्चित के माध्यम से, हम में से प्रत्येक को दुर्बलताओं, गलतियों और पाप से छुटकारा दिलाया, और क्योंकि उसने आपके द्वारा कभी सहन की गई प्रत्येक पीड़ा, चिंता और बोझ का अनुभव सहा है,5 तब जब आप सच में पश्चाताप करते हो और उसकी सहायता की तलाश करते हो, आप इस वर्तमान अनिश्चित संसार की चुनौतियों का सामना कर सकते हो।

आप अहंकार, गर्व, क्रोध, अनैतिकता, घृणा, लालच, ईर्ष्या और भय सहित संसार की आत्मिक और भावनात्मक रूप से विचलित करने वाली विपत्तियों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। हमारे चारों ओर मौजूद विकर्षणों और विकृतियों के बावजूद, आप अपनी सबसे परेशान करने वाली समस्याओं के बीच भी—सच्चा विश्राम—अर्थात राहत और शांति पा सकते हैं।

यह महत्वपूर्ण सच्चाई तीन मौलिक प्रश्नों को उत्पन्न करती है:

सबसे पहले, संसार पर विजय पाने का क्या अर्थ है?

दूसरा, हम ऐसा कैसे करें?

और तीसरा, संसार पर विजय पाने से हमारे जीवन को कैसे आशीष मिलती है?

संसार पर विजय पाने का क्या अर्थ है? इसका अर्थ है परमेश्वर की बातों की तुलना में इस संसार की बातों की अधिक चिंता करने के प्रलोभन पर विजय पाना। इसका अर्थ है मनुष्यों की धारणाओं से अधिक मसीह के सिद्धांत पर भरोसा करना। इसका अर्थ है सच्चाई से प्रसन्न होना, धोखे की निंदा करना, और “मसीह के दीन अनुयायी” बनना।6 इसका अर्थ है आत्मा को दूर भगाने वाली किसी भी बात से दूर रहना। इसका अर्थ है कि हमारे पसंदीदा पापों का भी “त्याग करने” के लिए तैयार होना।7

अब, संसार पर विजय पाने का अर्थ निश्चित रूप से इस जीवन में परिपूर्ण होना नहीं है, न ही इसका अर्थ यह है कि आपकी समस्याएं जादुई रूप से गायब हो जाएंगी—क्योंकि ऐसा बिलकुल नहीं होगा। और इसका अर्थ यह नहीं है कि आप कभी गलतियां नहीं करेंगे। बल्कि संसार पर विजय पाने का अर्थ यह है कि पाप से दूर रहने की आपकी शक्ति बढ़ जाएगी। जैसे-जैसे यीशु मसीह में आपका विश्वास बढ़ेगा आपका हृदय नरम होता जाएगा।8 संसार पर विजय पाने का अर्थ है परमेश्वर और उसके प्यारे पुत्र से प्रेम करना जितना आप किसी से या किसी अन्य बात से प्रेम करते हैं, उससे कहीं अधिक।

तो फिर, हम संसार पर कैसे विजय प्राप्त करते हैं? राजा बिन्यामीन ने हमें सीखाया कि कैसे। उसने कहा था कि “प्राकृतिक मनुष्य परमेश्वर का शत्रु है, और आदम के पतन के समय से ही शत्रु था, और हमेशा हमेशा के लिए रहेगा “जब तक वह पवित्र आत्मा के आकर्षणों से आकर्षित नहीं होता, और अपनी स्वाभाविक प्रकृति का त्याग कर प्रभु मसीह के प्रायश्चित द्वारा संत नहीं बन जाता है।”9 हर बार जब आप आत्मा की प्रेरणाओं की खोज करते हो और उसका अनुसरण करते हो, तो हर बार जब आप कुछ भी अच्छा करते हो—ऐसी बातें जिसे “स्वाभाविक मनुष्य” नहीं करेंगे तो आप संसार पर विजय प्राप्त कर रहे हो।

संसार पर विजय पाना एक या दो दिन में होने वाली घटना नहीं है। यह जीवन भर चलता है जब हम बार-बार मसीह के सिद्धांत को ग्रहण करते हैं। हम प्रतिदिन पश्चाताप करके और अनुबंध पालन कर यीशु मसीह में विश्वास पैदा करते हैं जो हमें सामर्थ्य प्रदान करते हैं। हम अनुबंध मार्ग पर रहते हैं और आत्मिक शक्ति, व्यक्तिगत प्रकटीकरण, बढ़ते विश्वास और स्वर्गदूतों की सेवकाई से आशीषित होते हैं। मसीह के सिद्धांत को जीना अत्यधिक शक्तिशाली, पवित्र प्रभाव पैदा कर सकता है जिससे हमारे जीवन में आत्मिक संवेग उत्पन्न हो सकता है।10

जब हम यीशु मसीह की उच्चतर व्यवस्था को जीने का प्रयास करते हैं, हमारे हृदय और हमारे स्वभाव बदलने लगते हैं। उद्धारकर्ता हमें अधिक उदारता, विनम्रता, महानता, करुणा, आत्म-अनुशासन, शांति और विश्राम की आशीष देकर इस पतित संसार से निकालने के लिए ऊपर उठाता है।

अब, आप सोच रहे होंगे कि यह विश्राम करने के बजाय कठिन आत्मिक कार्य की तरह लगता है। लेकिन यहां भव्य सच्चाई है: जबकि संसार जोर डालता है कि शरीर की शक्ति, संपत्ति, लोकप्रियता और सुख खुशी लाते हैं, जबकि वे ऐसा नहीं करते हैं! वे ऐसा नहीं कर सकते! वे “परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करने वालों की अनंत सुख की स्थिति का बनावटी विकल्प पैदा करते हैं।”11

सच्चाई यह है कि ऐसे स्थान पर खुशी की तलाश करना बहुत अधिक विचलित करता है जहां आप इसे कभी नहीं पा सकते हैं! हालांकि, जब आप अपने आप को यीशु मसीह से जोड़ते हैं और संसार पर विजय पाने के लिए आवश्यक आत्मिक कार्य करते हैं, तो वह, और केवल वह, आपको इस संसार से निकालने के लिए ऊपर उठाने की शक्ति रखता है।

अब, संसार पर विजय पाने से हमारे जीवन को कैसे आशीष मिलती है? इसका उत्तर स्पष्ट है: परमेश्वर के साथ अनुबंध संबंध में प्रवेश करना हमें उससे इस प्रकार से बांधता है जिससे जीवन के बारे में सब कुछ सरल हो जाता है। कृपया मुझे गलत न समझें: मैंने यह नहीं कहा कि अनुबंध बनाने से जीवन सरल हो जाता है। वास्तव में, विरोध होने की आशा करें, क्योंकि शैतान नहीं चाहता कि आप यीशु मसीह की शक्ति की खोज करें। लेकिन उद्धारकर्ता के साथ स्वयं को जोड़ने का अर्थ है कि आपके पास उसकी ताकत और मुक्ति दिलाने वाली शक्ति तक पहुंच है।

अध्यक्ष एज्रा टाफ्ट बेनसन

मैं अध्यक्ष एज्रा टैफ्ट बेन्सन की गहन शिक्षा की पुष्टि करता हूं: “पुरुष और महिलाएं जो अपने जीवन को परमेश्वर की ओर मोड़ देते हैं, उन्हें पता चलेगा कि वह उनके जीवन से बहुत कुछ कर सकता है जितना वे स्वयं कर सकते हैं। वह उनकी खुशियों को गहरा करेगा, उनकी दृष्टि का विस्तार करेगा, उनके दिमाग को तेज करेगा, … उनकी आत्माओं को उठाएगा, उनके आशीषों को बढ़ाएगा, उनके अवसरों को बढ़ाएगा, अपनी आत्माओं को दिलासा देगा, दोस्तों को बढ़ाएगा, और शांति उंडेलेगा।12

ये अतुलनीय सौभाग्य उन लोगों को प्राप्त होते हैं जो इस संसार पर विजय पाने में मदद करने के लिए स्वर्ग का सहारा चाहते हैं। इसके लिए, मैं पूरे गिरजे के सदस्यों को वही जिम्मेदारी देता हूं जो मैंने पिछले मई में हमारे युवा वयस्कों को दी थी। मैंने तब उनसे आग्रह किया था—और अब मैं आपसे याचना करता हूं—यीशु मसीह और उसके सुसमाचार की अपनी गवाही का कार्यभार ग्रहण करें। इसके लिए काम करें। इसे पोषित करें ताकि यह बढ़े। इसका सच्चाई पोषण करें। अविश्वासी पुरुषों और महिलाओं के झूठे दर्शन के साथ इसे प्रदूषित न करें। “जब आप यीशु मसीह की अपनी गवाही को निरंतर मजबूत करना अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बनाते हैं, तो अपने जीवन में होने वाले चमत्कारों को देखें।13

आज सुबह आपसे मेरा निवेदन है कि परमेश्वर के साथ अपने अनुबंध के द्वारा संसार पर विजय प्राप्त करके इस संसार की तीव्रता, अनिश्चितता और पीड़ा से विश्राम प्राप्त करें। उसे अपनी प्रार्थनाओं और अपने कार्यों के द्वारा बताएं कि आप संसार पर विजय पाने के प्रति गंभीर हैं। उसे अपने दिमाग को प्रबुद्ध करने और आपको अवश्यक मदद भेजने के लिए कहें। प्रत्येक दिन, उन विचारों को लिखें जो आपके पास प्रार्थना करते समय आते हैं; फिर निष्ठा से उनका पालन करें। मंदिर में अधिक समय बिताएं और यह समझने की कोशिश करें कि मंदिर आपको इस पतित संसार से ऊपर उठना कैसे सिखाता है।14

जैसा मैंने पहले कहा है, इस्राएल का एकत्र किया आज पृथ्वी पर होने वाला अत्यधिक महत्वपूर्ण कार्य है। इस एकत्र किए जाने की अति महत्वपूर्ण जिम्मेदारी ऐसे लोगों को तैयार करना है जो प्रभु के फिर से आने पर उसे प्राप्त करने में सक्षम, तैयार और योग्य हों, ऐसे लोग जिन्होंने इस पतित संसार के स्थान पर यीशु मसीह का चुनाव किया है; ऐसे लोग जो यीशु मसीह के उच्चतर, पवित्र नियमों को जीने के लिए अपनी स्वतंत्रता में आनन्दित होते हैं।

मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, मैं आपसे आह्वान करता हूं कि आप धार्मिक लोग बनो। अन्य सभी प्रतिबद्धताओं से अधिक अपने अनुबंधों को संजोएं और उनका सम्मान करें। जब आप परमेश्वर को अपने जीवन में प्रबल होने देते हैं, तो मैं आपको अधिक शांति, आत्मविश्वास, खुशी और हां, विश्राम की प्रतिज्ञा करता हूं।

मुझ प्राप्त पवित्र प्रेरितक की शक्ति से, मैं आपको इस संसार पर विजय पाने की आपकी खोज में आशीष देता हूं। मैं आपको यीशु मसीह में अपने विश्वास को बढ़ाने और उसकी शक्ति को आकर्षित करने के तरीके को बेहतर ढंग से सीखने की आशीष देता हूं। मैं आपको आशीष देता हूं कि आप सत्य और असत्य में अंतर करने में सक्षम हों। मैं आपको आशीष देता हूं कि आप संसार की बातों की तुलना में परमेश्वर की बातों की अधिक चाहत करें। मैं आपको अपने आस-पास के लोगों और जिनसे आप प्यार करते हैं उनकी जरूरतों को देखने और उन्हें मजबूत करने की आशीष देता हूं । क्योंकि यीशु मसीह ने इस संसार पर विजय प्राप्त की, आप भी कर सकते हैं। मैं यह गवाही यीशु मसीह के पवित्र नाम में देता हूं, आमीन ।

विवरण

  1. जोसफ स्मिथ—मत्ती 1:36:“तब मनुष्य के पुत्र का चिन्ह स्वर्ग में दिखाई देगा, और तब पृथ्वी के सब कुलों के लोग विलाप करेंगे; और वे मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ और महिमा के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे।”

  2. यहून्ना 11:28 -30; महत्त्व जोड़ा गया है।

  3. यहून्ना 16:33;महत्त्व दिया गया है।

  4. सिद्धांत और अनुबंध 64:2; महत्व जोड़ा गया है।

  5. देखें अलमा 7:11–13

  6. 2 नफी 28:14

  7. देखें राजा लमोनी के पिता का विवरण अलमा 22, विशेष रूप अलमा 22:18

  8. देखें मुसायाह 5:7

  9. मुसायाह 3:19; महत्त्व दिया गया है ।

  10. देखें 2 नफी 31:21; 3 नफी 27:16-20

  11. मुसायह 2:41

  12. Teachings of Presidents of the Church: Ezra Taft Benson (2014), 42-43।

  13. देखें रसल एम. नेल्सन, “Choices for Eternity” (worldwide devotional for young adults, 15 मई 2022), broadcasts.ChurchofJesusChrist.org.

  14. अध्यक्ष डेविड ओ. मैके ने कहा था कि मंदिर में हम “अनन्त उपस्थिति में कदम-दर-कदम आगे” बढ़ते हैं (in Truman G. Madsen, The Temple: Where Heaven Meets Earth [2008], 11)।