महा सम्मेलन
अपने विशेषाधिकारों के योग्य जीवन जिएं
अक्टूबर 2024 महा सम्मेलन


अपने विशेषाधिकारों के योग्य जीवन जिएं

सीखें कि कैसे पौरोहित्य विधियां और अनुबंधित प्रतिज्ञाएं परमेश्वरत्व की शक्ति को आपके जीवन में अधिक प्रभावशाली रूप से प्रवाहित करना संभव करेंगी।

हाल ही में मेरे पति, ग्रेग, के एक रोग का पता चला जिसके लिए गहन सर्जरी और महीनों की कीमोथेरेपी की आवश्यकता होगी। आपमें से कई लोगों के समान जिन्होंने ऐसी स्थिति का सामना किया है, हमने भी तुरंत स्वर्ग की मदद और परमेश्वरत्व की शक्ति के लिए प्रार्थना करना शुरू कर दिया। ग्रेग की सर्जरी के अगले रविवार को, प्रभुभोज हमारे अस्पताल के कमरे में पहुंचाया गया।

इस अवसर पर, मैं ही एकमात्र थी जिसने प्रभुभोज ग्रहण किया। रोटी का एक टुकड़ा। पानी का एक प्याला। गिरजे में, मेरा मन अक्सर प्रभुभोज के बांटे जाने पर केंद्रित रहता है— जैसे तैयारी करना, आशीष देना और बांटना। लेकिन उस दोपहर, मैंने पवित्र विधि के माध्यम से मुझे उपलब्ध परमेश्वरत्व की शक्ति के उपहार और उस अनुबंध प्रतिज्ञा पर विचार किया जो मैं कर रही थी जब मैंने रोटी का वह टुकड़ा और पानी का वह प्याला लिया था। यह ऐसा समय था जब मुझे स्वर्ग से शक्ति की आवश्यकता थी। अत्यधिक पीड़ा, थकावट और अनिश्चितता के बीच, मैं इस उपहार के बारे में सोच रही थी जो मुझे उससे उस शक्ति को उपलब्ध कर सकता था जिसकी मुझे बहुत आवश्यकता थी। प्रभुभोज में भाग लेने से प्रभु की आत्मा के साथ मेरी संगति बढ़ती है, परमेश्वरत्व की शक्ति के उपहार तक मेरी अधिक पहुंच होती है, जिसमें स्वर्गदूतों की सेवा और कष्टों से बाहर निकलने के लिए उद्धारकर्ता की शक्ति शामिल है।

मैं नहीं सोचती कि मुझे पहले कभी इतना स्पष्ट एहसास हुआ था कि यह न केवल महत्वपूर्ण है कि विधि में कौन देता है—बल्कि इस विधि और हमारी प्रतिज्ञा से, जो आशीष प्राप्त होती है, उस पर भी हमारा ध्यान केंद्रित होना चाहिए। पौरोहित्य विधियां और अनुबंध प्रतिज्ञाएं परमेश्वर को हमें पवित्र करने और हमारे जीवन में चमत्कार करना संभव करती हैं। लेकिन यह कैसे होता है?

सबसे पहले, हमारे जीवन में परमेश्वरत्व की शक्ति को प्रकट करने के लिए किसी भी विधि को, परमेश्वर के पुत्र के अधिकार के साथ संपन्न किया जाना चाहिए। इसे देने की प्रक्रिया महत्वपूर्ण है। पिता ने यीशु मसीह को अपनी पौरोहित्य विधियों के देने की देखरेख करने के लिए कुंजियां और अधिकार सौंपा। उसके निर्देशन में, उसके पौरोहित्य की रीति के अनुसार, परमेश्वर के बेटों को परमेश्वर के पुत्र के स्थान पर कार्य करने के लिए नियुक्त किया गया है।

दूसरा, हम अनुबंधित प्रतिज्ञाएं केवल बनाते नहीं हैं—हमें उनका पालन भी करना है। अनेक सुसमाचार विधियों में, हम परमेश्वर के साथ पवित्र अनुबंध बनाते हैं; वह हमें आशीष देने की प्रतिज्ञा करता है जब हम उन अनुबंधों का पालन करते हैं। क्या हमें पता है कि पौरोहित्य विधियों के साथ अनुबंध की प्रतिज्ञाओं का पालन करने से ही हमारे लिए परमेश्वरत्व की शक्ति का लाभ उठाना संभव होता है?

उस दोपहर मैंने सोचा कि क्या मैं, परमेश्वर की अनुबंधित बेटी के रूप में, अच्छी तरह से समझती हूं कि पौरोहित्य विधियों के द्वारा परमेश्वरत्व की शक्ति के उपहार का उपयोग कैसे किया जाए और क्या मैं वास्तव में जानती हूं कि मेरे भीतर परमेश्वरत्व की शक्ति कैसे कार्य करती है।

2019 में गिरजे की महिलाओं को एक भविष्यसूचक आमंत्रण दिया गया था, जिसमें हमें सिखाया गया कि उद्धारकर्ता की शक्ति को अपने जीवन में कैसे प्राप्त किया जाए। अध्यक्ष रसल एम. नेल्सन ने हमें सिद्धांत और अनुबंध 25का अध्ययन करने के लिए आमंत्रित किया, जो हारमनी, पेंसिल्वेनिया में ऐमा स्मिथ को दिया गया प्रकटीकरण है। उस आमंत्रण को स्वीकार करने से मेरा जीवन बदल गया।

पिछले महीने मुझे अचानक हारमनी जाने का अवसर मिला। वहां, मेपल के वृक्षों के नीचे, जोसफ स्मिथ और ओलिवर काउडरी को पौरोहित्य पुन:स्थापित किया गया था। उन पेड़ों के पास जोसफ और ऐमा के घर का सामने का दरवाजा है। उस घर में चिमनी के समाने एक खिड़की है। मैं उस खिड़की के निकट खड़ी थी और विचार कर रही थी कि पेड़ों की ओर देखते हुए ऐमा ने क्या सोचा होगा।

जुलाई 1830 में, ऐमा 26 वर्ष की थी; वह बहुत युवा थी। उनके विवाह को साढ़े तीन साल हो गए थे। उन्होंने अपना बेटा—पहला बच्चा खोया था। उसकी छोटी कब्र उनके घर से ठीक सामने वाली गली में है। जब मैं उस खिड़की पर खड़ी थी, तो मेरे लिए यह कल्पना करना कठिन नहीं था कि उनके मन में क्या विचार आए होंगे। निश्चित रूप से वह उनकी आर्थिक स्थिति, बढ़ते अत्याचार, जिससे उनकी सुरक्षा को खतरा था, और उनके भविष्य के बारे में चिंतित थी। और इन सब के बीच परमेश्वर का कार्य उनके आसपास हो रहा था। क्या उसने परमेश्वर की योजना में अपनी जगह, उसके राज्य में अपने उद्देश्य और परमेश्वर की दृष्टि में अपनी क्षमता के बारे में भी सोचा?

मैं सोचती हूं हो सकता है उसने सोचा हो।

ठीक आस-पास के क्षेत्र में, परमेश्वर के पौरोहित्य अधिकार और कुंजियों के उपहार को पृथ्वी पर पुन:स्थापित किया गया था। यह ऐसा समय था जब ऐमा को वास्तव में स्वर्ग से शक्ति की आवश्यकता थी। अत्यधिक पीड़ा, थकावट और अनिश्चितता के बीच, मुझे लगता है कि ऐमा परमेश्वर के पौरोहित्य के इस उपहार के बारे में सोच रही थी जो उससे उस शक्ति को उपलब्ध कर सकता था जिसकी उन्हें अत्यधिक आवश्यकता थी।

लेकिन ऐमा सिर्फ उस खिड़की पर खड़ी होकर आश्चर्य नहीं कर रही थी।

जबकि भविष्यवक्ता जोसफ को कुंजियों, पदों, विधियों और पौरोहित्य की सेवा में सहायता करने के तरीके के बारे में सिखाया जा रहा था, परमेश्वर ने स्वयं, अपने भविष्यवक्ता के द्वारा, ऐमा को एक प्रकटीकरण दिया। नावू सहायता संस्था-अध्यक्षा-ऐमा को नहीं—यह प्रकटीकरण 26-वर्षीय ऐमा को हारमनी में दिया गया था। प्रकटीकरण के द्वारा, ऐमा ने भीतरी पवित्रीकरण और अनुबंध संबंध के बारे में सीखा जिसने उनके जीवन में काम करने के लिए उन पौरोहित्य विधियों की क्षमता को बढ़ाया था।

सबसे पहले, प्रभु ने ऐमा को उसकी योजना में उनकी जगह को याद दिलाया, जिसमें यह भी शामिल था कि वह कौन थी और किसकी थी—उसके राज्य में एक बेटी। उन्हें “नेकी के मार्ग पर चलने,” के लिए आमंत्रित किया गया, वो मार्ग जिसमें वे विधियां शामिल थी जो परमेश्वरत्व की शक्ति को उपलब्ध कराएंगी यदि ऐमा अपने अनुबंधों का पालन करती हैं।

दूसरा, उनके अत्यधिक शोक के समय में, प्रभु ने उन्हें उद्देश्य दिया। पुन:स्थापना में ऐमा की न केवल प्रमुख भूमिका थी; बल्कि वह निरंतर हो रही पुन:स्थापना के कार्य में एक आवश्यक भागीदार थी। उन्हें “पवित्र शास्त्रों की व्याख्या करने और गिरजे को समझाने के लिए” नियुक्त किया गया।” उनका समय “लिखने और बहुत कुछ सीखने में बीतेगा।” संतों को उपासना के लिए तैयार करने में मदद के लिए ऐमा को एक पवित्र भूमिका दी गई; प्रभु के लिए उनके गीत आराधना के रूप में स्वीकार किए गए और “इसका जवाब उनके सिरों पर आशीष के साथ दिया गया।”

अंत में, प्रभु ने भीतरी पवित्रीकरण की एक प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार की जो ऐमा को उत्कर्ष के लिए तैयार करेगी। “सिवाए इसके किए जाने के,’ प्रभु ने उसे समझाया, ‘जहां मैं हूं वहां तुम नहीं आ सकती।”

यदि हम खंड 25 को ध्यान से पढ़ें, तो हमें महत्वपूर्णरूप से विकास होते हुए देखते हैं। ऐमा राज्य में एक बेटी से “चुनी हुई महिला” से रानी बन गई। हारूनी और मेल्कीसेदेक पौरोहित्य विधियों के साथ-साथ, अपनी अनुबंध प्रतिज्ञाओं का पालन करने से, आत्मा और स्वर्गदूतों के साथ उनकी संगति बढ़ी, जिससे उन्हें दिव्य मार्गदर्शन के साथ अपने जीवन को आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बनाया गया। अपनी दिव्य शक्ति के द्वारा, परमेश्वर ने उनके हृदय को दिलासा दी, उनकी क्षमता बढ़ाई, और उनके स्वयं व्यक्तित्व में परिवर्तन किया वह जानता था जो वह बन सकती है। और मेल्कीसेदेक पौरोहित्य की विधियों के द्वारा, उनके जीवन में “परमेश्वरत्व की शक्ति प्रकट हुई” और प्रभु ने परदे को हटा दिया ताकि वह उससे समझ प्राप्त कर सकें। परमेश्वरत्व की शक्तिइसी प्रकार हमारे भीतर भी काम करती है।

अध्यक्ष रसल एम. नेल्सन ने सिखाया:

सबकुछ जो इस [हारमनी] में हुआ था उसका आपके जीवनों से बहुत गहरा संबंध है। पौरोहित्य की पुन: स्थापना, साथ में ऐमा को प्रभु की सलाह, आप में से प्रत्येक का मार्गदर्शन और आशीष दे सकती है। …

“… अपने जीवन में परमेश्वरत्व की शक्ति को प्राप्त करने के लिये उन्हीं बातों की आवश्यकता है जिसे प्रभु ने ऐमा और [हम] में से प्रत्येक को करने का निर्देश दिया है।”

हारमनी में उस खिड़की के दोनों तरफ महत्वपूर्ण बातें हो रही थीं, जिसमें चुनी हुई इस महिला को दिया गया प्रकटीकरण भी शामिल था, जिसके विषय में प्रभु ने कहा था—एक ऐसा प्रकटीकरण जो परमेश्वर की बेटी ऐमा स्मिथ को मजबूती, प्रोत्साहन और निर्देश देगा।

जब हमारी पोती इसाबेल का नामकरण और आशीषित किया गया, तो उसके पिता ने उसे पौरोहित्य की समझ की आशीष दी; कि वह आगे बढ़ती रहेगी और इससे उसके जीवन में मिलने वाली आशीष के बारे में सीखती रहेगी; और जब वह समझ में निरंतर आगे बढ़ेगी, तो पौरोहित्य में उसका विश्वास भी बढ़ेगा।

अक्सर ऐसा नहीं होता है कि किसी छोटी लड़की को पौरोहित्य को समझने और यह सीखने की आशीष मिले कि कैसे वे पौरोहित्य विधियां और अनुबंध उसे परमेश्वरत्व की शक्ति तक पहुंचने में मदद करेंगे। लेकिन मैंने ऐमा को याद किया और अपने मन में सोचा, क्यों नहीं? इस छोटी बेटी में उसके राज्य में एक चुनी हुई महिला और अंततः रानी बनने की क्षमता है। उसकी पौरोहित्य विधियों और अपने अनुबंध प्रतिज्ञाओं का पालन करने के द्वारा, परमेश्वर की शक्ति उनके भीतर और उनके द्वारा काम करेगी ताकि उसे जीवन में जो कुछ भी होता है उससे उबरने में मदद मिलेगी और वह ऐसी महिला बन जाएगी जिसे परमेश्वर जानता है कि वह बन सकती है। यह कुछ ऐसा है जिसे मैं चाहती हूं कि राज्य की प्रत्येक लड़की समझे।

“अपने विशेषाधिकारों के योग्य जीवन जिएं।”

सीखें कि कैसे पौरोहित्य विधियां और अनुबंधित प्रतिज्ञाएं परमेश्वरत्व की शक्ति को आपके जीवन में अधिक प्रभावशाली रूप से प्रवाहित करने, आपके अंदर और आपके द्वारा काम करने, आपको अपने पूर्ण उद्देश्य और क्षमता तक पहुंचने के लिए सशक्त और तैयार करेंगी।

हारूनी और मेल्किसेदेक पौरोहित्य विधियों, संबंधित अनुबंध प्रतिज्ञाएं जो हम इनमें बनाते हैं, और परमेश्वरत्व की शक्ति जो हम उन विधियों के द्वारा प्राप्त करते हैं, का सावधानीपूर्वक अध्ययन और विचार करें।

याद रखें, केवल यह महत्वपूर्ण नहीं है कि विधि कौन संपन्न करता है; बल्कि विधि और आपकी अनुबंध प्रतिज्ञा से क्या प्राप्त होता है, इस पर भी आपका ध्यान केंद्रित होना चाहिए।

रोटी और पानी का सेवन उसकी शक्ति का एक साप्ताहिक प्रतीक है जो आपको उबरने में मदद करने के लिए आपके भीतर काम करता है। पवित्र पौरोहित्य की पोशाक पहनना उसकी शक्ति के उपहार का दैनिक प्रतीक है जो आपको वैसा बनने में मदद करने के लिए आपके भीतर काम करता है।

हम सभी को परमेश्वरत्व की शक्ति का उपहार प्राप्त है।

हर बार जब हम प्रभुभोज में भाग लेते हैं।

जब भी हम किसी मंदिर की चौखट पार करते हैं।

यह मेरे सब्त-दिन का मुख्य आकर्षण है। इसलिए मैं अपनी मंदिर संस्तुति को संजोती हूं।

“इसकी विधियों में, परमेश्वरत्व की शक्ति प्रकट होती है।”

इस उपहार की मैं यीशु मसीह के नाम में गवाही देती हूं, आमीन।

विवरण

  1. देखें सिद्धांत और अनुबंध 107:20

  2. एल्डर डी. टॉड क्रिस्टोफरसन ने सिखाया है कि: “सभी विधियों में, विशेष रूप से मंदिर में, हम ऊपर से वृत्तिदान प्राप्त करते हैं। यह ‘परमेश्वरत्व की शक्ति’ व्यक्ति में और पवित्र आत्मा के प्रभाव से आती है। … मैं गवाही देता हूं कि जब आप उसके साथ अपने अनुबंधों का पालन करेंगे तो परमेश्वर आपसे की गई प्रतिज्ञाओं का पालन करेगा। … वह अपनी पवित्र आत्मा के द्वारा आपको ईश्वरीय शक्ति से भर देगा” (”The Power of Covenants,,” लियाहोना,मई 2009)।

  3. देखें Dallin H. Oaks, “The Aaronic Priesthood and the Sacrament,,” Ensign, नवं. 1999, 45.

  4. “प्रत्येक पुरुष और प्रत्येक महिला जो पौरोहित्य विधियों में भाग लेते है और जो परमेश्वर के साथ अनुबंध बनाते और पालन करते है, उनकी परमेश्वरत्व की शक्ति तक सीधी पहुंच होती है” (Russell M. Nelson, “The Everlasting Covenant,” Liahona, नवं. 2022, 10)।

  5. देखें यहोशू 3:5, footnote a। एल्डर डेल जी. रेनलैंड ने समझाया: “इन अनुबंधों के माध्यम से, हमारे पास [प्रभु की] शक्ति तक अधिक पहुंच प्राप्त होती है। स्पष्ट कर दूं, बपतिस्मा और मंदिर अनुबंध अपने आप में, शक्ति का स्रोत नहीं हैं। शक्ति का स्रोत प्रभु यीशु मसीह और हमारा स्वर्गीय पिता है। अनुबंध बनाना और उनका पालन हमारे जीवन में उनकी शक्ति के लिए साधन बनाता है।” (“The Powerful, Virtuous Cycle of the Doctrine of Christ,” लियाहोना, मई 2024, 82।)

  6. देखें सिद्धांत और अनुबंध 107:1-3; , जोसफ स्मिथ अनुवाद, इब्रानियों 7:3 (Bible appendix में); अलमा 13:2। अध्यक्ष डैलिन एच. ओक्स ने सिखाया: “पवित्र शास्त्रों से हम यह भी जानते हैं कि जो लोग पौरोहित्य का कार्य करते हैं वे प्रभु की ओर से कार्य करते हैं (देखें सिद्धांत और अनुबंध 1:38; 36:2)। अब मैं सुझाव दूंगा कि शिक्षकों और याजक और डीकन को प्रभु की ओर से प्रभुभोज की तैयारी, सेवकाई और बांटने में अपनी पवित्र जिम्मेदारियों का पालन कैसे करना चाहिए” (“The Aaronic Priesthood and the Sacrament,” Ensign,नवं. 1999, 45)।

  7. देखें सामान्य विवरण पुस्तिका: अंतिम दिनों के संतो का यीशु मसीह का गिरजा घर में सेवा, 3.5.1–2, सुसमाचार लाइब्रेरी।

  8. देखें सिद्धांत और अनुबंध 107:18-20; फिलिप्पियों 1:6

  9. देखें Russell M. Nelson, “आत्मिक खजानें,” लियाहोना, नवं. 2019, 77।

  10. पेंसिल्वेनिया के हारमनी में गिरजे के ऐतिहासिक स्थल पर स्मिथ के घर के बारे में अधिक विवरण के लिए “Joseph and Emma Smith’s Home” (ChurchofJesusChrist.org) पर जोसफ और ऐमा स्मिथ के घर का रेखाचित्र देखें।

  11. पौरोहित्य का अधिकार और कुंजियां तब परमेश्वर की शक्ति को उन लोगों के जीवन में प्रवाहित करने की अनुमति देंगी जिन्होंने पौरोहित्य विधियां प्राप्त की और इससे संबंधित अनुबंध बनाए और पालन किया है (देखें सामान्य विवरण पुस्तिका, 3.5, सुसमाचार लाइब्रेरी)।

  12. देखें जोसफ स्मिथ—इतिहास 1:71, टिप्पणी

  13. देखें सिद्धांत और अनुबंध 25

  14. देखें सिद्धांत और अनुबंध 25:1

  15. सिद्धांत और अनुबंध 25:2

  16. देखें सिद्धांत और अनुबंध 25:13। “अंग्रेजी शब्द कवनन्ट का लैटिन मूल शब्द कॉन्वेनियरहै, और इसका शाब्दिक अर्थ है ‘एक साथ आना।’ पौरोहित्य के संदर्भ में, ‘अनुबंध’ परमेश्वर और मनुष्य के बीच एक साथ आना या एक समझौता करना है। यह बताता है कि परमेश्वर और मनुष्य अनुबंध बनाने, प्रतिज्ञाओं, शर्तों, विशेषाधिकारों और जिम्मेदारियों पर सहमत होने के लिए एक साथ आते हैं। …

    “इस प्रकार बनाया गया अनुबंध अपरिवर्तनीय और अपरिवर्तनशील होता है। यह आत्मा को स्थिर रखता है; यह भविष्य की आशाओं के लिए एक दृढ़ और सुनिश्चित आधार तैयार करता है” (Dale G. Renlund and Ruth Lybbert Renlund, The Melchizedek Priesthood: Understanding the Doctrine, Living the Principles [2018], 60)।

  17. सिद्धांत और अनुबंध 25:7

  18. सिद्धांत और अनुबंध 25:8

  19. सिद्धांत और अनुबंध 25:12

  20. देखें सिद्धांत और अनुबंध 25:15

  21. सिद्धांत और अनुबंध 25:15। अध्यक्ष डैलिन एच. ओक्स ने सिखाया: “बपतिस्मा की विधि और उससे संबंधित अनुबंध सिलेस्टियल राज्य में प्रवेश की आवश्यकताएं हैं। मंदिर की विधियों और संबंधित अनुबंध सिलेस्टियल राज्य में उत्कर्ष की आवश्यकताएं हैं, जो अनंत जीवन है, ‘परमेश्वर के सभी उपहारों में सबसे बड़ा’ [सिद्धांत और अनुबंध 14:7]” (“अनुबंध और जिम्मेदारियां ,” लियाहोना, मई 2024, 96)।

  22. देखें सिद्धांत और अनुबंध 25:1

  23. सिद्धांत और अनुबंध 25:3

  24. देखें सिद्धांत और अनुबंध 25:15

  25. देखें Dallin H. Oaks, “The Aaronic Priesthood and the Sacrament,” Ensign, नवं. 1999, 44. अध्यक्ष ओक्स ने सिखाया था:

    “निकट रूप से संबंधित तरीके से, हारूनी पौरोहित्य की ये विधियां स्वर्गदूतों की सेवा के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। …

    “… स्वर्गदूत के संदेश आवाज द्वारा या केवल मन में दिए विचारों या भावनाओं द्वारा दिए जा सकते हैं” (“The Aaronic Priesthood and the Sacrament,” Liahona, Jan. 1999, 44, 45)।

    इसके अलावा, भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ ने सहायता संस्था की बहनों को बोलते हुए कहा था: “यदि आप अपने विशेषाधिकारों पर खरे उतरते हैं, तो स्वर्गदूतों को आपके सहयोगी होने से नहीं रोका जा सकता” (Daughters in My Kingdom: The History and Work of Relief Society [2011], 454)।

  26. देखें सिद्धांत और अनुबंध 84:19-20

  27. (देखें सिद्धांत और अनुबंध 107:18-19।)

  28. रसल एम.नेलसन,“आत्मिक खजाने,” 77 । “विलार्ड रिचर्ड्स ने बताया: ‘अध्यक्ष जोसफ स्मिथ ने ऐमा स्मिथ को [दिया गया] प्रकटीकरण पढ़ा … और कहा कि … वह अकेले नहीं, बल्कि अन्य लोग भी ऐसी आशीषें प्राप्त कर सकती हैं’” (Teachings of Presidents of the Church: Joseph Smith[2011], 453–54)। Nauvoo Relief Society Minute Book, March 17, 1842, in The First Fifty Years of Relief Society: Key Documents in Latter-day Saint Women’s History (2016), 1.2.1, churchhistorianspress.org.भी देखें।

  29. सिद्धांत और अनुबंध 24, खंड शीर्षक। बताता है कि “ये तीन प्रकटीकरण इस समय पर उन्हें मजबूती, उत्साह, और निर्देश देने के लिए दिए गए थे।”

  30. Teachings: Joseph Smith, 454।

  31. देखें Russell M. Nelson, “Spiritual Treasures,” 77। “मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप पौरोहित्य के बारे में उन सब सच्चाइयों का प्रार्थनपूर्वक अध्ययन करें जो प्राप्त हैं। आप सिद्धांत और अनुबंध के खंड 84 और 107से आरंभ कर सकती हैं। ये खंड आपको अन्य पदों के अध्ययन के लिए प्रेरणा देंगे। पवित्र शास्त्र और वर्तमान भविष्यवक्ताओं, दूरदर्शियों, और प्रकटीकर्ताओं की शिक्षाएं इन सच्चाइयों से भरी हुई हैं। जब आपकी समझ में विकास होता है और आप प्रभु और उसकी पौरोहित्य शक्ति में विश्वास करती हो, तो उस आत्मिक खजाने तक पहुंचने की आपकी योग्यता में विकास होगा जिसे प्रभु ने आपको उपलब्ध कराया है” (Russell M. Nelson, “Spiritual Treasures,” 79)।

  32. देखें सिद्धांत और अनुबंध 109:22

  33. सिद्धांत और अनुबंध 84:20