महा सम्मेलन
वह व्यक्ति जिसने यहोवा से संवाद किया
अक्टूबर 2024 महा सम्मेलन


मनुष्य जिसने यहोवा से बात की

जोसफ स्मिथ को “अंतिम व्यवस्था को खोलने के लिए धन्य थे,”और हम धन्य हैं कि उन्होने ऐस किया।

मेरा उद्देश्य आज के दिन ओर हमेशा ही यीशु मसीह की गवाही देना है, की वे परमेश्वर के पुत्र, इस दुनिया के निर्माता और रक्षक, हमारे मुक्तिदाता हैं। क्योकि “हमारे धर्म के मूल सिधान्त यीशु मसीह के संबंध मे प्रेरितों और भविष्यवक्ताओ की गवाही है,” आज मैं आपके साथ उदधारकरता का ज्ञान और गवाही साझा करता हु जो एक प्रेरित और भविष्यवक्ता की जीवन और शिक्षा के द्वारा मजबूत और गहरी हो गयी है।

ज्ञान की शुरुआत

1820 वर्ष के वसंत ऋतु की शुरुआत मे एक खूबसूरत सुबह के समय, 14 वर्षीय जोसफ स्मिथ वृक्ष उपवन मे गये जो उनके परिवार के घर के पास था, अपने पापों से पश्चयतप और यह जानने के लिए की किस गिरजा से उन्हे शामिल होना चाहिए। अटूट विश्वास के साथ की गई उनकी सच्ची प्रार्थना ने पिता और पुत्र सहित ब्रह्माण्ड की सबसे प्रभावशाली शक्तियों का ध्यान आकर्षित किया। और शैतान। इन सभी का उस प्रार्थना मे और उस बच्चे मे गहन दिलचस्पी थी।

जिसे अब हम प्रथम दिव्यदर्शन कहते है वह अंतिम दिनो मे सभी चीजों की पुन:स्थापना का चिन्ह हैं। परंतु जोसफ के लिए, यह अनुभव व्यक्तिगत और तैयार करने वाला था। वह सिर्फ़ क्षमा और दिशा चाहते थे। प्रभु ने उन्हे दोनों दिए। “किसी भी [गिरजों से] ना जुडने” का निर्देश आदेश था। यह शब्द, “तुम्हारे पापो को क्षमा कर दिया गया है” मुक्तिदायक था।

जितनी भी सारी खूबसूरत सच्चाईया हम प्रथम दिव्यादर्शन से सीखते है, शायद जोसफ की प्रमुख शिक्षा, ““मैंने याकूब की गवाही को सच पाया था—की मनुष्य जिसको ज्ञान की घाटी है वह परमेश्वर मांगे, और प्राप्त करे।”

जैसे एक विद्वान ने देखा है: “प्रथम दिव्यदर्शन की वास्तविक प्रतिध्वनि से हम जानते है की परमेशवर का स्वभाव उन लोगो को बुद्धि देने का है जिनको कमी होती है । . जिन परमेशवर ने अपने आप को जोसफ स्मिथ के समक्ष प्रकट किया था वही परमेशवर है जो युवाओ की मुश्किल भरे समय मे प्राथनाओ का उत्तर देते है।”

जोसफ ने जो अनुभव उपवन मे किया था उसने उनको उनके जीवन भर के लिया क्षमा और दिशा मांगने का साहस प्रदान। उनके अनुभव ने मुझे भी मेरे जीवन मे क्षमा और दिशा मांगने का साहस प्रदान किया।

निरंतर पशचाताप

21 सितंबर, 1823 को, जोसेफ ने ईमानदारी से क्षमा के लिए प्रार्थना की, इस विश्वास के साथ कि तीन साल पहले ग्रोव में उनके अनुभव के कारण, स्वर्ग फिर से जवाब देगा। और ऐस हुआ। प्रभु ने एक स्वर्गदूत, मोरोनी को जोसफ को निर्देश देने और उसे एक प्राचीन अभिलेख के बारे में बताने के लिए भेजा था, जिसका बाद में वह परमेश्वर के उपहार और शक्ति द्वारा अनुवाद करेगा - मॉरमन की पुस्तक।

लगभग 13 वर्ष पश्चात, जोसफ स्मिथ और ओलिवर कौडेरी ने सत्यनिष्ठा से घुटने टेके, और किर्ट्लेंद मंदिर मे शांतिपूर्वक प्रथना की। हम नही जानते की उन्होने किस बारे मे प्राथना, परंतु उनकी प्राथनो मे क्षमा की विनती शामिल हुयी होगी, क्योकि, जेसे ही वेसे खड़े हुये, उद्धारकरता प्रकट हुये और घोषणा की, “देखो, तुम्हारे पापा को क्षमा कर दिया; तुम मेरे सामने साफ हो।”

इस अनुभव के कुछ महीनो और वर्षो बाद, जोसफ और ओलिवर दुबारा फिर से पाप करते है। और दुबारा। परन्तु उस क्षण में, उस क्षण केलिए , उनकी विनती के प्रत्युत्तर में तथा पौरोहित्य की कुंजियों की होने वाली महिमामय पुनर्स्थापना की तैयारी में, यीशु ने उन्हें पापरहित बना दिया।

जोसफ के जीवन का निरंतर पश्चाताप मुझे साहस प्रदान करता है “अनुग्रह के सिंहासन के पास निर्भीकता से आयो, ताकि [मैं] दया प्रदान करू। मैंने सीखा है की यीशु मसीह सचमुच “क्षमा के सावभाव के है।” निंदा करना न ही उनका उदेश्य और न ही उनका सावभाव हैं। वे बचाने आया।

प्रभु से पूछताछ

वादे के हिस्से के रूप में “सभी चीजों की पुनः स्थापना,” प्रभु , जोसेफ स्मिथ के द्वारा, मॉरमन की पुस्तक को सामने लाया और बाकी के दिव्यादर्शनो को भी जो उसके सुसमाचार की परिपूर्णता रखती है। जब यूसुफ ने बार-बार प्रभु से मार्गदर्शन मांगा तो महत्वपूर्ण सत्यों को स्पष्टता और पूर्णता प्रदान की गई । निम्नलिखित पर विचार करें:

  1. पिता और पुत्र के शरीर “मनुष्य के समान मूर्त” हैं।

  2. यीशु ने हमारे दर्द, पीड़ा और कमजोरियों को अपने ऊपर ले लिया.

  3. उसका प्रायश्चित बहुत ही कष्टदाई था की इसके कारण उसके सभी रोमछिद्र से लहू बहने लगा।

  4. हम “सब कुछ करने के बाद” उसकी कृपा से बचाए जाते हैं।”

  5. मसीह की दया के लिए कुछ शर्तें हैं।

  6. जब हम मसीह के पास आते हैं, तो वह न केवल हमारे पापों को क्षमा करेगा, बल्कि वह हमारे स्वभाव को भी बदल देगा, ताकि हमारे अंदर बुराई करने की प्रवृत्ति न रहे।

  7. मसीह हमेशा अपने लोगों को मंदिर बनाने की आज्ञा देता है, जहां वह स्वयं को उनके सामने प्रकट करता है उन्हें ऊपर से सामर्थ्य प्रदान करता है।

मैं गवाही देता हु की ये सारी चिजे सत्य और जरूरी है। ये परिपूर्णता के सिर्फ छोटे से अंश को दर्शाता है जो यीशु मसीह के द्वारा स्थापित किया गया था जोसफ स्मिथ के निरंतर दिशा के अनुरोध की अनुक्रिया मे।

उनका राज्य बढ़ता रहेगा

1842 मे, जोसफ ने कुछ अद्भुत चिजे लिखी जो इन अंतिम दिनोंमे घटेगी। उन्होंने घोषणा की कि हमारे समय के दौरान, “स्वर्गीय पौरोहित्य उन महान उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सांसारिक पौरोहित्य के साथ एकजुट होगी; और जब हम इस प्रकार एक सामान्य उद्देश्य के लिए एकजुट होते हैं, तब परमेश्वर के राज्य को आगे बढ़ाने के लिए, स्वर्गीय पौरोहित्य निष्क्रिय दर्शक नहीं होती है।”

अपने मित्र बेंजामिन जॉनसन से जोसेफ ने कहा, “बेंजामिन, [अगर मैं मर भी जाऊं] तो मैं तुमसे बहुत दूर नहीं रहूंगा, और अगर परदे के दूसरी तरफ भी होता, तो भी मैं तुम्हारे साथ काम कर रहा होता, और इस राज्य को आगे बढ़ाने के लिए मेरी शक्ति बहुत बढ़ जाती।”

जून 27, 1844 को, जोसफ स्मिथ और उनके भाई हयरम की हत्या कर दी गयी। जोसेफ ने अपना पार्थिव शरीर छोड़ दिया, लेकिन उसकी गवाही दुनिया भर में और मेरी आत्मा में गूंजती रहती है:

“मैंने दिव्य दर्शन देखा था; मैं यह जानता था, और मैं जानता था कि परमेश्वर यह जानता है, और मैं इसे अस्वीकार नहीं कर सकता था।”

“मैंने कभी नही बोला मैं परिपूर्ण हूँ ; परंतु जोप्रकटीकरण मैंने सिखाया उसमे कोई गलती नही है।”

“यीशु मसीह के विषय में प्रेरितों और भविष्यवक्ताओं की गवाही, कि वह मर गया, दफनाया गया, और तीसरे दिन फिर से जी उठा, और स्वर्ग में चढ़ गया, हमारे धर्म के मूलभूत नियम हैं; और अन्य सभी बातें जो हमारे धर्म से संबंधित हैं, वे केवल इसके उपांग हैं।”

जो बात यूहन्ना बपतिस्मा के बारे में कही गई थी, वही बात जोसेफ स्मिथ के बारे में भी कही जा सकती है:“परमेश्वर की ओर से एक पुरुष भेजा गया, जिसका नाम [यूसुफ] था। … यह वह प्रकाश नही थी, परंतु उस प्रकाश की गवाही देने के लिए भेजा गया था,” “ताकि हर एक मनुष्य उनके द्वारा विश्वास करे।”

मुझे विश्वास है। मैं विश्वास करता हु पूरी निष्ठता के साथ की यीशु ही मसीह है, जीवित परमेश्वर का पुत्र। मैं गवाही देता हूँ कि जीवित परमेश्वर हमारा प्रेमी पिता है। मैं यह जानता हूं क्योंकि प्रभु की आवाज ने मुझसे यह कहा है, और उसके सेवकों, प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं की आवाज ने भी यही कहा है, जिनमें जोसेफ स्मिथ भी शामिल हैं।

मैं गवाही देता हूं कि जोसफ स्मिथ परमेश्वर के भविष्यवक्ता थे और हैं,परमेश्वर के गवाह और सेवक। उन्हें “अंतिम व्यवस्था को खोलने की आशीष मिली,” और हम आशिषित है की उन्होंने ऐसा किया।

प्रभु ने ओलिवर और हम सभी को आज्ञा दी, “मेरे सेवक जोसेफ के साथ विश्वास के साथ खड़े रहो।” मैं गवाही देता हूँ कि प्रभु अपने सेवक जोसेफ और उसके द्वारा किए गए पुन;स्थापना के साथ खड़ा है।

जोसफ स्मिथ अब उस स्वर्गीय पुरोहित्य का हिस्सा हैं जिसके बारे में उन्होंने बात की थी । जैसा कि उन्होंने अपने मित्र से प्रतिज्ञा किया था, वे हमसे बहुत दूर नहीं हैं, और पर्दे के दूसरी ओर, वे अभी भी हमारे साथ काम कर रहे हैं, और इस राज्य को आगे बढ़ाने के लिए उनकी शक्ति में बहुत वृद्धि हुई है । खुशी और धन्यवाद के साथ, मैं अपनी आवाज़ ऊँची करके “उस व्यक्ति की स्तुति करता हूँ जिसने यहोवा से संवाद किया ।” और सबसे बढ़कर, यहोवा की स्तुति हो, जिसने उस व्यक्ति से संवाद किया ! यीशु मसीह के नाम में, आमीन।