परमेश्वर के पसंदीदा
परमेश्वर के प्रेम से भरपूर होना हमें जीवन के तूफानों से बचाता है, साथ ही हमारी खुशियों के क्षणों को और भी अधिक सुखद बनाता है।
आरंभ करने से पहले, मुझे आपको बता देना चाहिए कि मेरे दो बच्चे मुझे मंच पर बोलता देख होश खो बैठे हैं, और इस क्षण लगता है उनके समान मैं भी कहीं घबराहट के कारण अपना होश न गंवा दूं। मेरी सोच का दायरा इस से भी विस्तृत है।
हमारे परिवार में छह बच्चे हैं जो कभी-कभी एक-दूसरे को चिढ़ाते हैं कि वे हमारा सबसे प्यारा बच्चे हैं। प्रत्येक के पास प्यारा होने का अलग-अलग कारण हैं। हमारे प्रत्येक बच्चे के लिए हमारा प्रेम निर्मल और संतोषप्रद और पूर्ण होता है। हम उनमें से किसी को भी दूसरे से अधिक प्रेम नहीं कर सकते थे—प्रत्येक बच्चे के जन्म के साथ हमारे प्रेम का सबसे सुंदर विस्तार हुआ था। मैं अपने प्रति अपने स्वर्गीय पिता के प्रेम को सबसे अधिक उस प्रेम से जोड़ता हूं जो मैं अपने बच्चों के प्रति महसूस करता हूं।
जब वे प्रत्येक सबसे प्रिय बच्चे होने के अपने दावों का कारण बताते हैं, तो शायद आपको लगता हो कि हमारे परिवार में कभी भी किसी बेडरूम में चीजें बिखरी हुई नहीं होती। प्रेम पर ध्यान केंद्रित करने से माता-पिता और बच्चे के बीच आपसी संबंधों में कमियां खोजने की भावना कम हो जाती है।
कुछ समय में, जैसा कि मुझे नजर रहा है कि अवश्य ही हमारे परिवार में झगड़ा होने वाला है, इसलिए मैं कुछ इस प्रकार बोलता हूँ “ठीक है, मैं हार मानता हूं, लेकिन मैं इसकी घोषणा नहीं करूंगा; लेकिन आप जानते हैं कि आप में से कौन मेरा प्यारा है।” मेरा लक्ष्य यह है कि छह में से प्रत्येक विजयी महसूस करे और पूरी तरह से झगड़ों से बचे—कम से कम कुछ समय के लिए!
अपने सुसमाचार में, यूहन्ना ने स्वयं को “अन्य शिष्य” और उस विशेष शिष्य के रूप में बताया है “जिसे यीशु प्रेम करता था,” मानो वह भावना किसी तरह अनोखी थी। मुझे लगता है कि ऐसा इसलिए था क्योंकि यूहन्ना ने महसूस किया कि वह यीशु से परिपूर्ण प्रेम करता था। यही भावना मुझे नफी में भी दिखाई जब उसने लिखा, “मैं अपने यीशु में गर्व करता हूं।” बेशक, यीशु केवल नफी का उद्धारकर्ता नहीं है, जैसे वह केवल यूहन्ना का उद्धारकर्ता नहीं है, और फिर भी “अपने” यीशु के साथ नफी के व्यक्तिगत संबंध के कारण उसने यह मधुर वर्णन दिया।
क्या यह अद्भुत बात नहीं है कि ऐसे समय होते हैं जब हम पूरी तरह से व्यक्तिगत रूप से ध्यान दिए जाने और प्रेम किए जाने का अनुभव कर सकते हैं? नफी उसे “अपना” यीशु कह सकता है, और हम भी ऐसा कर सकते हैं। हमारे उद्धारकर्ता का प्रेम “सर्वोच्च,महानतम,सबसे मजबूत प्रकार का प्रेम”है और जब तक हम “तृप्त” नहीं हो जाते,तब तक वह प्रदान करता है। दिव्य प्रेम कभी समाप्त नहीं होता, और हम सब प्रिय हैं। परमेश्वर के प्रेम के कारण, वेन रेखाचित्र में गोलों के समान, हम सब समान हैं। हममें से जो भी हिस्सा अलग लगता है, उसका प्रेम ही है जहां हम एक समान हैं।
क्या यह कोई आश्चर्य की बात है कि सबसे बड़ी आज्ञा परमेश्वर से प्रेम करना और अपने आस-पास के लोगों से प्रेम करना है? जब मैं लोगों को एक-दूसरे से मसीह समान प्रेम करते हुए देखता हूं, तो मुझे ऐसा लगता है मानो उस प्रेम में सिर्फ उनके प्रेम से कहीं अधिक है; इसमें दिव्यता भी है। जब हम एक-दूसरे से इस प्रकार परिपूर्ण और पूरी तरह से प्रेम करते हैं, तो स्वर्ग भी शामिल हो जाता है।
इसलिए अगर हम किसी ऐसे व्यक्ति की परवाह करते हैं जो दिव्य प्रेम की भावना से दूर लगता है, तो हम इस उदाहरण का अनुसरण कर सकते हैं—ऐसे कार्य करके जो हमें स्वयं परमेश्वर के निकट लाते हैं और फिर ऐसे कार्य करके जो हमें उनके निकट लाते हैं—मसीह के निकट आने का एक अनकहा संकेत।
काश मैं आपके साथ बैठ सकता और आपसे पूछ सकता कि किन परिस्थितियों में आप परमेश्वर के प्रेम को महसूस करते हैं। पवित्र शास्त्र के कौन से पद में, सेवा के कौन से विशेष कार्य? आप कहां होंगे? कौन सा संगीत? किस की संगति में? महा सम्मेलन स्वर्ग के प्रेम से जुड़ने के बारे में जानने के लिए सर्वोत्तम स्थान है।
हो सकता है कि आप स्वयं को परमेश्वर के प्रेम से बहुत दूर महसूस करते हैं? हो सकता है कि निराशा और अंधकार की आवाजें आपके विचारों पर हावी हो रही हों, आपको संदेश दे रही हों कि आप इतने अधिक घायल और भ्रमित हैं, इतने अधिक कमजोर और उपेक्षित हैं, इतने अधिक भिन्न या भ्रमित हैं कि किसी भी वास्तविक तरीके से स्वर्गीय प्रेम के हकदार नहीं हैं। यदि आप उन आवाजों को सुनते हैं तो कृपया ध्यान दें: वे आवाजें गलत हैं। हम विश्वास के साथ किसी भी तरह के मनोव्यथा को नजरअंदाज कर सकते हैं जो हमें स्वर्गीय प्रेम से अयोग्य बनाता है—हर बार जब हम उस गीत को गाते हैं जो हमें याद दिलाता है कि हमारे प्रिय और दोषरहित उद्धारकर्ता ने हमारे लिए कुचला, टूटा हुआ, [और] घायल हुआ“ होना चुना” हर बार जब हम टुटी हुई रोटी लेते हैं। निश्चय ही यीशु टूटी हुई चीजों से सारी शर्म को दूर कर देता है। अपने टूटने के माध्यम से, वह परिपूर्ण हो गया, और वह हमारे टूटने के बावजूद हमें परिपूर्ण बना सकता है। वह टूटा हुआ, अकेला, घायल हुआ और कुचला हुआ था—और हम महसूस कर सकते हैं कि हम हैं—लेकिन परमेश्वर के प्रेम से अलगनहीं हैं हम। “टूटे हुए लोग; परिपूर्ण प्रेम,” जैसे स्तुतिगीत में लिखा है।
हो सकता है आपको अपने बारे में कुछ गुप्त बात का पता हो जो आपको प्रेम के अयोग्य महसूस कराती है। आप अपने बारे में जो कुछ जानते हैं, उसके बारे में आप सही हों, लेकिन आपका यह सोचना गलत है कि आपने स्वयं को परमेश्वर के प्रेम की पहुंच से दूर कर दिया है। हम कभी-कभी अपने प्रति ऐसे क्रूर और अधीर होते हैं कि हम कभी भी किसी और के प्रति होने की कल्पना नहीं कर सकते। इस जीवन में हमें बहुत कुछ करना है, लेकिन आत्म-घृणा और शर्मनाक आत्म-निंदा उस सूची में नहीं हैं। हम चाहे कितने भी विकृत क्यों न महसूस करते हों, उसकी बाहें छोटी नहीं हैं। नहीं। वे हमेशा “[हमारी पहुंच] तक पहुंचने” के लिए काफी लंबे होती हैं और और हम में से हर एक को गले लगाती हैं।
जब हम दिव्य प्रेम के एहसास को महसूस नहीं करते हैं, तो यह हुमसे दूर नहीं हुआ है। परमेश्वर के अपने शब्द हैं कि “चाहे पर्वत हट जाएं और पहाडिय़ां टल जाएं, तौभी [उसकी] करूणा [हम] पर से कभी न हटेगी,” इसलिए, स्पष्ट रूप से कहें तो, यह विचार कि परमेश्वर ने प्रेम करना बंद कर दिया है, जीवन में संभावित स्पष्टीकरणों की सूची में इतना नीचे होना चाहिए कि जब तक कि पर्वत और पहाड़ियां समाप्त न हो जाएं!
परमेश्वर के प्रेम की निश्चितता के प्रमाण के रूप में पहाड़ों के इस प्रतीकवाद का मैं वास्तव में आनंद लेता हूं। वह प्रभावशाली प्रतीकवाद उन लोगों के जीवन में बुना जाता है जो प्रकटीकरण प्राप्त करने के लिए पहाड़ों पर जाते हैं और यशायाह का वर्णन “प्रभु के भवन का पर्वत” “पहाड़ों की चोटी पर स्थापित” किया जा रहा है। प्रभु का भवन हमारी सबसे अनमोल अनुबंध का भवन है और हम सभी के लिए शरणस्थल और हमारे लिए हमारे पिता के प्रेम के प्रमाण में गहराई से डूबने का स्थान है। मैंने उस दिलासा का भी आनंद लिया है जो मेरी आत्मा में अनुभव होता है जब मैं बपतिस्मा अनुबंध के पालन के लिए सर्वोत्तम करता हूं और मुझे ऐसा व्यक्ति मिलता है जो कुछ खोने या निराशा के शोक में है और मैं उनकी भावनाओं को समझने और उन पर काम करने में मदद करने की कोशिश करता हूं। क्या ये ऐसे तरीके हैं जिनसे हम अनमोल अनुबंधित प्रेम, हेस्ड (परिपूर्ण) में अधिक डूब सकते हैं?
तो अगर परमेश्वर का प्रेम हमारा परित्याग नहीं करता है, तो हम हमेशा इसे महसूस क्यों नहीं करते हैं? इसका उत्तर स्वयं खोजें क्योंकि मुझे नहीं पता। लेकिन प्रेम पाना निश्चित रूप से प्रेम को महसूस करने के समान नहीं है, और मेरे पास कुछ विचार हैं जो इस प्रश्न का उत्तर पाने में आपकी मदद कर सकते हैं।
शायद आप दुख, अवसाद, विश्वासघात, अकेलेपन, निराशा, या आपके लिए परमेश्वर के प्रेम को महसूस करने की अपनी क्षमता में अन्य शक्तिशाली अतिक्रमण से संघर्ष कर रहे हैं। यदि ऐसा है, तो ये बातें महसूस करने की हमारी योग्यता को कम या रोक सकती हैं जिसे हम अन्यथा महसूस कर सकते हैं। कुछ अरसे तक तो शायद आप उस के प्रेम को महसूस नहीं कर पाएंगे, उसके प्रेम,और ज्ञान से ही संतुष्ट होना होगा। लेकिन मुझे आश्चर्य है कि क्या आप दिव्य प्रेम को व्यक्त करने और प्राप्त करने के विभिन्न तरीकों से—धैर्यपूर्वक—प्रयोग कर सकते हैं? क्या आप अपने सामने जो कुछ भी है उससे एक कदम पीछे हट सकते हैं और शायद एक और कदम और दूसरा तब तक जब तक आप एक व्यापक परिदृश्य देख सकते हैं, और व्यापक होते हुए तब तक देख सकते हैं जब तक कि आप शाब्दिक रूप से “स्वर्गीय सोच” में नहीं रह जाते क्योंकि आप सितारों को देख रहे हैं और अनगिनत संसार को याद कर रहे हैं और उनके माध्यम से उनको बनाने वाले को?
पक्षियों का गीत, मेरी त्वचा पर सूरज या हवा या बारिश को महसूस करना, और जब प्रकृति मेरी इंद्रियों को परमेश्वर को आदर करने—में मदद करती है—प्रत्येक ने मुझे स्वर्गीय संबंध प्रदान करने में एक हिस्सा रहा है। शायद सच्चे दोस्तों की आश्वासन पाने में सहायता करे शायद संगीत? या सेवा कार्य? क्या आपने ऐसे समय को किसी दैनिकी में या कहीं लिखा है जब परमेश्वर के साथ आपका संबंध आपके लिए स्पष्ट था? शायद आप उन लोगों को आमंत्रित कर सकते हैं जिन पर आप भरोसा करते हैं कि वे आपके साथ दिव्य संबंध के स्रोतों को साझा करें जब आप दिलासा और समझ की खोज करते हैं?
मैं आश्चर्यचकित हूं कि यदि यीशु एक ऐसी जगह चुनता है जहां केवल आप और वह मिल सकते हैं, एक ऐसी निजी जगह जहां आप उस पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, तो क्या वह आपकी व्यक्तिगत पीड़ा की अनोखी जगह चुन सकता है, आपकी सबसे गहरी आवश्यकता की जगह, जहां कोई और नहीं जा सकता है? जहां आप इतना अकेलापन महसूस करते हैं कि आप वास्तव में बिल्कुल अकेला रहना चाहते हैं लेकिन आप बिल्कुल अकेले नहीं हैं, एक ऐसी जगह जहां शायद केवल वह ही आ सकता है लेकिन वास्तव में आपसे मिलने के लिए वह पहले से ही इसे तैयार कर चुका है। यदि आप उसके आने का इंतजार कर रहे हैं, तो क्या वह पहले से ही वहां है और आपकी पहुंच के भीतर है?
यदि आप अपने जीवन के इस अवसर पर प्रेम से भरा हुआ महसूस करते हैं, कृपया इसे ऐसे थामने का प्रयास करें जैसे एक छलनी पानी को थामती है। इसे जहां भी जाएं वहां छिड़क दो। दिव्य अर्थव्यवस्था के चमत्कारों में से एक यह है कि जब हम यीशु के प्रेम को साझा करने की कोशिश करते हैं, तो हम स्वयं को इस नियम की विवधता में भरे हुए पाते हैं कि “जो कोई मेरे लिए अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा।”
परमेश्वर के प्रेम से भरा होना हमें जीवन के तूफानों में सुरक्षा देता है, लेकिन खुशी के क्षणों को भी खुश करता है—हमारे आनंदमय दिन, जब आसमान में धूप होती है, हमारी आत्मा उस सूरज की रोशनी से और भी उज्जवल हो जाती है।
आइए हम यीशु और उसके प्रेम में “जड़ पकड़ें और मजबूत” हों। अपने जीवन में उसके प्रेम और शक्ति को महसूस करने के अनुभवों को अनमोल बनाए । सुसमाचार का आनंद सभी के लिए उपलब्ध है: न केवल खुश लोगों के लिए, न केवल निराश लोगों के लिए। आनन्द हमारा उद्देश्य है, हमारी परिस्थितियों का उपहार नहीं। हमारे पास “खुश होने और परमेश्वर और सभी मनुष्यों के प्रति प्रेम से भरे रहने” का हर अच्छा कारण है।” आओ इस में हम परिपूर्ण हो जाएं। यीशु मसीह के नाम में, आमीन।