यीशु मसीह से जुड़े रहना: पृथ्वी का नमक बनना
जब हम प्रभु से बंधे रहते हैं, तो हमारे जीवन स्वाभाविक रूप से उसके प्रकाश को प्रतिबिंबित करेंगे, और हम पृथ्वी के नमक बन जाएंगे।
उद्धारकर्ता ने सीखाया कि जब हम “[उसके] अनंत सुसमाचार में नियुक्त किए जाते हैं, और अनंत अनुबंध के साथ अनुबंधित होते हैं, तो [हम] पृथ्वी के नमक के समान समझे जाते हैं।” नमक दो तत्वों के बंधन से बना होता है। हम अपने आप में नमक नहीं हो सकते; यदि हमें पृथ्वी का नमक होना है, तो हमें प्रभु से बंधना चाहिए, और जब मैं संसार भर के गिरजे के सदस्यों से मिलता हूं तो मुझे यही दिखाई देता है—गिरजे के विश्वासी सदस्य जो प्रभु से बंधे हुए हैं, दूसरों की सेवा करने का प्रयास करते और पृथ्वी के नमक बनते हैं।
आपका दृढ़ समर्पण एक बहुत प्रशंसनीय उदाहरण है। आपकी सेवा सराहनीय और महत्वपूर्ण है।
हमारे युवाओं ने उल्लेखनीय साहस और समर्पण दिखाया है। उन्होंने परिवार के इतिहास के कार्य को उत्साहपूर्वक अपनाया, और उनकी बार-बार प्रभु के घर जाने की यात्राएं उनके समर्पण का प्रमाण हैं। विश्वभर में मिशनों की सेवा के लिए समय और ऊर्जा समर्पित करने की उनकी इच्छा एक गहरे और स्थाई विश्वास को प्रदर्शित करती है। वे न केवल भाग ले रहे हैं, बल्कि यीशु मसीह से बंधे शिष्य बनने की दिशा में भी आगे बढ़ रहे हैं। उनकी सेवा अनगिनत जीवनों को प्रभावित करते हुए, प्रकाश और आशा को फैलाती है। आप, गिरजे युवाओं को, आपकी प्रेरणादायक सेवा के लिए हम अपने हृदय से धन्यवाद देते हैं। आप न केवल गिरजे का भविष्य, बल्कि इसका वर्तमान भी हो। और आप सच में पृथ्वी के नमक हो!
मुझे प्रभु यीशु मसीह से प्यार है और मैं प्रभु के गिरजे में आपके साथ सेवा करने का मौका पाकर आशीषित महसूस करता हूं। हमारे साझा विश्वास में स्थापित, हमारी एकता और शक्ति, हमें भरोसा देती है कि हम इस यात्रा में कभी अकेले नहीं हैं। एकसाथ मिलकर, हम सेवा, प्रेम और दृढ़ विश्वास पर स्थापित परमेश्वर के राज्य का निर्माण करना जारी रख सकते हैं।
जब यीशु मसीह गलील सागर के किनारे सिखाता था, तो वह अक्सर अपने सुनने वालों को गहन आत्मिक सच्चाइयों को समझाने के लिए प्रतिदिन की वस्तुओं का उपयोग करता था। उनमें से एक वस्तु नमक थी। यीशु ने बताया था, “[तुम] पृथ्वी का नमक हो,” एक ऐसा वाक्य है जिसका अर्थ और महत्व बहुत गहरा है, विशेषकर उसके समय के लोगों के लिए जो नमक के अनेक गुणों को समझते थे।
मेरे गृह देश पुर्तगाल के दक्षिणी क्षेत्र अल्गार्वे में नमक उत्पादन की प्राचीन कला, रोमन साम्राज्य के युग से भी हजारों साल पुरानी है। आश्चर्यजनक रूप से, विधियां जिसका उपयोग नमक कारीगर करते हैं, जिन्हें मार्नोटोसकहा जाता है, उस समय से थोड़ा बदल गई हैं। ये समर्पित कारीगर पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करते हैं, अपना काम पूर्णरूप से हाथ से करते हुए सदियों से चली आ रही इस विरासत को बनाए रखते हैं।
इस प्राचीन विधि से बने पदार्थ को “नमक का फूल” कहा जाता है। नमक के फूल के बनने की जटिल प्रक्रिया को पूरी तरह से समझने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि उस वातावरण को समझा जाए जिसमें यह बनाया जाता है। अल्गार्वे के तट पर नमक की झीलें नमक बनाने के लिए आदर्श परिस्थितियां प्रदान करती हैं। समुद्र का पानी नहरों द्वारा कम गहरे तालाबों में डाला जाता है, जिन्हें नमक के बर्तन कहा जाता है, जहां इसे तेज धूप में भाप बनकर उड़ने छोड़ दिया जाता है। जब पानी भाप बनकर उड़ जाता है, तो नमक के फूल, नमक के बर्तन की सतह पर नाजुक क्रिस्टल बनाते हैं। ये क्रिस्टल अत्यधिक शुद्ध होते हैं और उनमें एक अनूठी, ताजगी होती है। मार्नोटोस विशेष उपकरणों का उपयोग करके पानी की सतह से क्रिस्टल को सावधानी से छानते हैं, जिसमें बेहतरीन कौशल और सटीकता की आवश्यकता होती है। पुर्तगाल में, इस बढ़िया गुणवत्ता वाले नमक को “नमक की मलाई” कहा जाता है क्योंकि इसे दूध की मलाई के समान सावधानी से अलग किया जा सकता है। इस कोमल नमक को उसकी शुद्धता और विशेष स्वाद के लिए पसंद किया जाता है, जिससे यह खाना पकाने में मूल्यवान वस्तु बन जाता है।
जैसे मार्नोटोस यह सुनिश्चित करने के लिए कठिन प्रयास करते हैं कि वे उच्चतम गुणवत्ता वाले नमक का उत्पादन करें, वैसे ही हमें, प्रभु के अनुबंधित लोगों के रूप में, हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए ताकि हमारा प्यार और उदाहरण, जितना संभव हो, हमारे शुद्ध प्रदर्शन उद्धारकर्ता, यीशु मसीह के समान हो।
प्राचीन दुनिया में, नमक मात्र एक मसाला नहीं था—यह एक महत्वपूर्ण संरक्षक और पवित्रता और अनुबंध का प्रतीक था। लोग जानते थे कि नमक खाद्य संरक्षण और स्वाद बढ़ाने के लिए जरूरी है। वे यह भी समझते थे कि नमक दूषित या फीका होने के कारण अपने नमकीन-पन या स्वाद को खो सकता है।
जैसे नमक अपना गुण खो सकता है, वैसे ही हम भी अपने आत्मिक शक्ति खो सकते हैं यदि यीशु मसीह में हमारा विश्वास अस्थिर रहता है। हम बाहर से एक जैसे दिख सकते हैं, लेकिन हमारे भीतर विश्वास मजबूत नहीं होता, हम दुनिया में परिवर्तन लाने और अपने आस-पास के लोगों के सर्वश्रेष्ठ गुणों को प्रकट करने की क्षमता खो देते हैं।
तो, हम अपनी ऊर्जा और प्रयासों को कैसे दिशा देकर उस परिवर्तन को ला सकते हैं जिसकी दुनिया को आज आवश्यकता है? हम शिष्यता को कैसे संरक्षित रखते हुए निरंतर सकारात्मक प्रभाव बने रह सकते हैं?
हमारे प्रिय भविष्यवक्ता के शब्द अब भी मेरे मन में गूंजते हैं: “परमेश्वर चाहता है कि हम मिलकर काम करते हुए एक-दूसरे की मदद करें। यही कारण है कि वह हमें पृथ्वी पर परिवारों में भेजता और हमें वार्डों और स्टेकों में संगठित करता है। यही कारण है कि वह हमें एक-दूसरे की सेवा करने और सेवकाई के लिए कहता है। यही कारण है कि वह हमें दुनिया में रहने लेकिन दुनिया का नहीं होने के लिए कहता है।”
जब हमारा जीवन उद्देश्य और सेवा से भरा होता है, तो हम आत्मिक उदासीनता से दूर रहते हैं; इसके विपरीत, जब हमारा जीवन दिव्य उद्देश्य, दूसरों की सार्थक सेवा और चिंतन-मनन के पवित्र अवसरों से वंचित होता है, तो हम धीरे-धीरे अपनी ही गतिविधि और स्वार्थीपन से घुटन महसूस करने लगते हैं और अपना स्वाद खोने का खतरा उठाते हैं। इससे बचने का उपाय निरंतर सेवा करते हुए—उत्सुकता से भलाई के कार्य करना और अपनी और जिस समाज में हम रहते हैं उसके सुधार में लगे रहना है।
मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, आज हम सभी के लिए यह कितनी महान आशीष है कि हम यीशु मसीह के गिरजे के सदस्य हैं और उसके गिरजे में सेवा करने का अवसर मिला है। हमारी परिस्थितियां भिन्न हो सकती हैं, लेकिन हम सभी परिवर्तन ला सकते हैं।
मर्नोटोसको याद करें, वे नमक के कारीगर; जो साधारण उपकरणों का उपयोग करके सर्वोत्तम क्रिस्टल, सर्वोत्तम नमक बनाते हैं! हम भी साधारण काम कर सकते हैं जो, छोटी और सार्थक गतिविधियों के नियमित प्रयासों से हमारी शिष्यता और यीशु मसीह के प्रति निष्ठा को गहरा कर सकते हैं। ये चार साधारण और महत्वपूर्ण तरीके हैं जिनसे हम पृथ्वी के नमक बनने का प्रयास कर सकते हैं:
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प्रभु के घर को अपनी भक्ति के केंद्र में रखना। अब जबकि मंदिर पहले से कहीं अधिक नजदीक आ गए हैं, प्रभु के घर में नियमित आराधना को प्राथमिकता देने से हमें सबसे महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान लगाने और अपने जीवन को मसीह में केंद्रित रखने में मदद मिलेगी। मंदिर में, हम यीशु मसीह में हमारे विश्वास का अति महत्वपूर्ण हिस्सा और उसके प्रति हमारी भक्ति की सच्ची आत्मा प्राप्त करते हैं।
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सुसमाचार को मिलकर जीते हुए दूसरों को मजबूत करने के अपने प्रयासों में सतर्क होते हैं। हम सुसमाचार नियमों को अपने जीवन और अपने घरों में लाने के लिए लगातार और स्वेच्छा से किए प्रयासों के माध्यम से अपने परिवारों को मजबूत कर सकते हैं।
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नियुक्ति को स्वेच्छा से स्वीकार करने और गिरजे में सेवा के लिए तैयार रहना। अपने स्थानीय गिरजे में सेवा हमें एक-दूसरे का समर्थन करने और मिलकर आगे बढ़ने का अवसर देती है। जबकि सेवा करना हमेशा सुविधाजनक नहीं होता, लेकिन इसका प्रतिफल हमेशा मिलता है।
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और अंत में, उद्देश्य के साथ डिजिटल संचार उपकरणों का उपयोग करना। आजकल, डिजिटल संचार उपकरण हमें पहले से कहीं अधिक जुड़ने की सुविधा देते हैं। आप में से अधिकांश की तरह, मैं गिरजे में भाइयों और बहनों और अपने परिवार और दोस्तों से जुड़ने के लिए इन उपकरणों का उपयोग करता हूं। जब मैं उनसे जुड़ता हूं, तो मैं स्वयं को उनके करीब महसूस करता हूं; इन से हम जरूरत के समय में एक दूसरे की सेवा कर सकते हैं जब हम शारीरिक रूप से उनके पास नहीं जा सकते। निस्संदेह, ये उपकरण आशीषें हैं, लेकिन वे हमें आपस में सार्थक बातचीत करने के महत्व से दूर ले जा सकते हैं और अंतत: हमें ऐसी आदतें पड़ सकती हैं जो हमारे समय को कम उद्देश्यपूर्ण गतिविधियों में बर्बाद करती हैं। पृथ्वी का नमक बनने का प्रयास करने करने के लिए छह इंच की स्क्रीन पर रीलों को अंतहीन रूप से देखने से कहीं अधिक करना होता है।
जब हम प्रभु के घर को अपने जीवन में प्राथमिकता देते हैं, स्वेच्छा से सुसमचार का जीवन जीकर दूसरों को मजबूत करते हैं, सेवा करने की नियुक्तियां स्वीकार करते हैं, और डिजिटल उपकरणों का उद्देश्यपूर्ण उपयोग करते हैं, तो हम अपनी आत्मिक शक्ति को संरक्षित रख सकते हैं। जिस प्रकार नमक अपनी शुद्धतम अवस्था में बढ़ने और संरक्षित करने की शक्ति रखता है, उसी प्रकार यीशु मसीह में हमारा विश्वास भी मसीह समान सेवा और प्रेम के प्रति हमारे समर्पण द्वारा बढ़ता और संरक्षित होता है।
जब हम प्रभु से बंधे रहते हैं, तो हमारे जीवन स्वाभाविक रूप से उसके प्रकाश को प्रतिबिंबित करेंगे, और हम पृथ्वी के नमक बन जाएंगे। इस प्रयास में, हम केवल अपने स्वयं के जीवन को समृद्ध नहीं करते हैं, बल्कि हम अपने परिवारों और समाज को भी मजबूत करते हैं। मेरी प्रार्थना है कि हम प्रभु के साथ इस बंधन को कायम रखने का प्रयास करें और हमारा स्वाद कभी कम न हो, और नमक के छोटे, छोटे क्रिस्टल बनें जो प्रभु हमें बनाना चाहता है। यीशु मसीह के नाम में, आमीन।