महा सम्मेलन
वर्षों के थोड़े समय में
अक्टूबर 2024 महा सम्मेलन


16:16

वर्षों के थोड़े समय में

यदि हम विश्वासी और आज्ञाकारी नहीं हैं, तो हम परमेश्वर से मिली समृद्धि की आशीष को अंहकारी अभिशाप में बदल सकते हैं जो हमें विचलित करता और भटका देता है।

मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, आज मंच पर बैठे हुए, मैंने इस सम्मेलन केंद्र को तीन गुणा भरे हुए देखा है, कोविड के बाद पहली बार ऐसा हुआ। आप यीशु मसीह के निष्ठावान शिष्य हैं जो सीखने के लिए उत्सुक हैं। मैं आपकी विश्वासयोग्यता के लिए आपकी सराहना करता हूं। और मैं आपसे प्यार करता हूं।

एज्रा टाफ्ट बेन्सन ने नवंबर 1985 से मई 1994 तक अंतिम-दिनों के संतों के यीशु मसीह के गिरजे के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। मैं 33 वर्ष का था जब अध्यक्ष बेन्सन गिरजे के अध्यक्ष बने और 42 वर्ष का था जब उनका निधन हुआ था। और उनकी शिक्षाओं और गवाही ने मुझे गहन और शक्तिशाली तरीकों से प्रभावित किया।

अध्यक्ष बेन्सन की सेवकाई की विशेषताओं में से एक मॉरमन की पुस्तक के उद्देश्य और महत्व पर उनका ध्यान केंद्रित करना था। उन्होंने बार-बार जोर दिया कि मॉरमन की पुस्तक “हमारे धर्म का मुख्य पत्थर है—हमारी गवाही का मुख्य पत्थर, हमारे सिद्धांत का मुख्य पत्थर, और हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता की गवाही में मुख्य पत्थर।” उन्होंने अक्सर यीशु मसीह की इस अंतिम-दिनों की गवाही में पाए जाने वाले अंहकार के पाप के बारे में शिक्षाओं और चेतावनियों पर भी जोर दिया।

अध्यक्ष बेन्सन की एक विशेष शिक्षा ने मुझ पर गहरा असर डाला और मॉरमन की पुस्तक के मेरे अध्ययन को प्रभावित करना जारी रखा। उन्होंने कहा था:

“मॉरमन की पुस्तक हमारे समय के लिए लिखी गई थी। नफाइयों के पास कभी यह पुस्तक नहीं थी; न ही अतीत में लमनाइयों के पास थी। यह हमारे लिए है। मॉरमन ने नफाई सभ्यता के अंत के निकट लिखा था। परमेश्वर की प्रेरणा से, जो आरंभ से ही सभी बातों को जानता है, मॉरमन ने उन कहानियों, वार्ताओं और घटनाओं को चुनकर सदियों के अभिलेख को संक्षिप्त किया जो हमारे लिए सबसे अधिक सहायक होंगे ।

अध्यक्ष बेन्सन ने आगे कहा: “मॉरमन की पुस्तक के प्रत्येक प्रमुख लेखक ने गवाही दी कि उसने भविष्य की पीढ़ियों के लिए लिखा था। … यदि उन्होंने हमारा समय देखा, और उन बातों को चुना जो हमारे लिए सबसे अधिक मूल्यवान होंगी, तो क्या हमें मॉरमन की पुस्तक का अध्ययन उसी महत्व से नहीं करना चाहिए? हमें निरंतर स्वयं से पूछना चाहिए, ‘प्रभु ने मॉरमन … को अपने अभिलेख में [इस वर्णन] को शामिल करने के लिए क्यों प्रेरित किया? आज के समय और युग में जीने में अपनी सहायता के लिए मैं [इस चेतावनी] से क्या सबक सीख सकता हूं?’”

अध्यक्ष बेन्सन के कथन हमें यह समझने में मदद करते हैं कि मॉरमन की पुस्तक मुख्य रूप से कोई ऐतिहासिक अभिलेख नहीं है जो अतीत को देखता है। बल्कि, पवित्र शास्त्र का यह संस्करण भविष्य की ओर देखता है और इसमें हमारे समय की परिस्थितियों और चुनौतियों के लिए महत्वपूर्ण नियम, चेतावनियां और सबक शामिल हैं। इसलिए, मॉरमन की पुस्तक हमारे भविष्य और उस समय के बारे में है जिसमें हम अभी रहते हैं और आगे भी रहेंगे।

मैं पवित्र आत्मा की सहायता के लिए प्रार्थना करता हूं जब हम मॉरमन की पुस्तक में हिलामन की पुस्तक से आज हमसे संबंधित सबक पर विचार करते हैं ।

नफाई और लमनाई

हिलामन और उसके बेटों का अभिलेख ऐसे लोगों का वर्णन करता है जो यीशु मसीह के जन्म की प्रतिक्षा कर रहे थे। पवित्र शास्त्र के अभिलेख में आधी शताब्दी का वर्णन लमनाइयों के परिवर्तन और धार्मिकता और नफाइयों की दुष्टता, धर्मत्याग और घृणित कार्यों पर प्रकाश डालता है।

इस प्राचीन अभिलेख में नफाइयों और लमनाइयों के बीच तुलना और विरोधाभासों की एक श्रृंखला आज हमें सबसे अधिक शिक्षा देती है।

“अधिकांश लमनाई धर्मी हुए, इतना अधिक कि विश्वास में उनकी दृढ़ता और स्थिरता के कारण वे धार्मिकता में नफाइयों से भी आगे हो गए।

“[और] कई नफाई ऐसे थे जो बुरी तरह से कठोर और अपश्चातापी हो गए थे, इतना अधिक कि उन्होंने परमेश्वर के वचन को अस्वीकार किया और उन्होंने उस उपदेश और भविष्यवाणी को भी अस्वीकार किया जिसे उन्होंने सीखा था।”

“और इस प्रकार हम देखते हैं कि नफाइयों का विश्वास कम होने लगा, और उनकी दुष्टता और घृणित कार्य बढ़ने लगे, जबकि लमनाई परमेश्वर के अपने ज्ञान में अत्यधिक आगे बढ़ने लगे; हां, वे उसके नियमों और आज्ञाओं को मानने लगे, और उसके सामने सच्चाई और ईमानदारी में चलने लगे।

“और इस प्रकार हम देखते हैं कि नफाइयों की दुष्टता और उनके कठोर हृदयों के कारण प्रभु की आत्मा उनसे दूर होने लगी।

“और इस प्रकार हम देखते हैं कि लमनाइयों की सरलता और उसके वचन में विश्वास करने की उनकी इच्छा के कारण प्रभु उन पर अपनी आत्मा उंडेलने लगा।”

शायद इस गिरावट का सबसे आश्चर्यजनक और गंभीर पहलू नफाइयों द्वारा धर्मत्याग की सच्चाई यह है कि “ये सब दुष्टता इनमें थोड़े समय में ही आ गई थी।”

नफाई परमेश्वर से दूर हो गए

कभी धर्मी रहे लोग इतने कम समय में कठोर और दुष्ट कैसे हो सकते हैं? लोग इतनी जल्दी उस परमेश्वर को कैसे भूल सकते हैं जिसने उन्हें इतनी अधिक आशीष दी थी?

प्रभावशाली और गंभीर तरीके से, नफाइयों का नकारात्मक उदाहरण आज हमें शिक्षा देता है।

“अंहकार … उन लोगों के हृदयों में में प्रवेश करने लगा … जो परमेश्वर के गिरजे का सदस्य होने का ढोंग करते थे … और ऐसा उनकी भारी संपत्तियों और प्रदेश में उनकी संपन्नता के कारण हुआ।”

“[उन्होंने] अपने मन को धन और संसार की व्यर्थ की चीजों पर लगा रखा है” “जिस अहंकार को [उन्होंने] अपने हदय में प्रवेश करने दिया है उसके कारण [उन] पर श्राप आया, उस अत्यधिक धन-संपत्ति के कारण जिसने [उन्हें] हद से अधिक अहंकारी बना दिया है!”

अतीत के लोगों की वाणियां आज हमें इस अनन्त सबक को सीखने के लिए विनती करती हैं कि: समृद्धि, संपत्तियां, और सुविधाएं ऐसी प्रभावकारी बातें हैं जिसके कारण धर्मी की भी आत्मिक मृत्यु हो सकती है।

अंहकार को अपने हृदयों में प्रवेश करने देने से हम पवित्र बातों का मजाक उड़ाने भविष्यवाणी और प्रकटीकरण की आत्मा में अविश्वासी होने; परमेश्वर की आज्ञाओं को अपने पैरों तले रौंदने; परमेश्वर के वचन को अस्वीकार करने; भविष्यवक्ताओं का मजाक उड़ाने, निकालने, और उनकी निन्दा करने, और प्रभु हमारे परमेश्वर को भूलने, लगते हैं और अभिलाषा नहीं करते हैं कि “प्रभु [हमारा] परमेश्वर जिसने [हमारी] रचना की है, [हम] पर शासन और हुकूमत करे।”

इसलिए, यदि हम विश्वासी और आज्ञाकारी नहीं हैं, तो हम परमेश्वर से मिली समृद्धि की आशीष को अंहकारी अभिशाप में बदल सकते हैं जो हमें अनंत सच्चाइयों और महत्वपूर्ण आत्मिक प्राथमिकताओं से विचलित करता और भटका देता है। स्वयं को महत्वपूर्ण समझने के अंहकार से प्रेरित होकर बढ़-चढकर बात करने की भावना रखते, अपनी आत्मनिर्भरता का गलत मूल्यांकन करते, और दूसरों की सेवा करने की बजाए हम स्वयं की अभिलाषाओं के प्रति अधिक सजग रहते हैं।

जब हम घमड से स्वयं पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो हम भी आत्मिक अंधेपन से पीड़ित हो जाते हैं और हमारे भीतर और आसपास के लोगों के साथ होने वाले अनुभवों को प्राप्त करने से चूक जाते हैं। यदि हम केवल स्वयं पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो हम यीशु मसीह को “लक्ष्य” के रूप में देख और ध्यान केंद्रित नहीं कर सकते।

इस तरह का आत्मिक अंधापन हमारे लिए धार्मिकता के मार्ग को बदलने का कारण बन सकता है, और हम वर्जित मार्गों में चलकर खो सकते हैं। जब हम आंख बंद करके “[अपने] मार्गों को बदलते” और विनाशकारी मार्गों पर चलने लगते हैं, तो हम अपनी समझ का सहारा लेने लगते हैं, अपनी शक्ति पर अंहकार करते, और अपनी बुद्धि पर भरोसा रखते हैं।

लमनाई शमूएल ने नफाइयों द्वारा परमेश्वर से दूर होने के विषय में संक्षेप में लिखा है: “तुमने उस चीज की खोज में अपना पूरा जीवन व्यतीत कर दिया जिसे तुम प्राप्त नहीं कर सकते; और तुमने अधर्म में प्रसन्नता खोजी, जो कि हमारे महान और अनंत मार्गदर्शक की धार्मिकता के स्वभाव के विरूद्ध है।”

मॉरमन ने ध्यान दिया, “अधिकतर लोग अपने अहंकार और दुष्टता में ही पड़े रहे, और कुछ लोग परमेश्वर के सामने सावधानीपूर्वक चलते रहे।”

लमनाई परमेश्वर की ओर मुड़ते हैं

हिलामन की पुस्तक में, लमनाइयों की बढ़ती धार्मिकता नफाइयों के तेजी से होते आत्मिक पतन के बिलकुल विपरीत है।

लमनाई परमेश्वर की ओर मुड़ते हैं और पवित्र शास्त्रों और भविष्यवक्ताओं की शिक्षाओं पर भरोसा रखते हुए, प्रभु यीशु मसीह में विश्वास, अपने पापों का पश्चाताप और हृदय के एक प्रभावशाली परिवर्तन का अनुभव करते हुए सच्चाई का ज्ञान प्राप्त करते हैं।

“इसलिए, जितने लोग इस अवस्था में आए हैं, तुम स्वयं जानते हो कि वे विश्वास में दृढ़ और अटल हैं, और उन बातों में जिससे उनका उद्धार हुआ है।”

“देखो कि उनमें से अधिकतर [लमनाई] अपने कर्तव्य के मार्ग में हैं, और परमेश्वर के समक्ष वे सावधानीपूर्वक चलते हैं, और मूसा की व्यवस्था के अनुसार वे उसकी आज्ञाओं, नियमों, और उसके न्याय का पालन करते हैं। …

“… वे अथक परिश्रम कर रहे हैं ताकि वे अपने बचे हुए भाइयों को सच्चाई के ज्ञान में ला सकें।”

जिसके कारण “अधिकांश लमनाई धर्मी हुए, इतना अधिक कि विश्वास में उनकी दृढ़ता और स्थिरता के कारण वे धार्मिकता में नफाइयों से भी आगे हो गए।”

चेतावनी और प्रतिज्ञा

मोरोनी ने कहा था: “देखो, प्रभु ने मुझे उस से संबंधित महान और अदभुत चीजें दिखाई हैं जो शीघ्र ही होनेवाली हैं, उस दिन जब ये बातें तुम्हारे बीच में आएंगी।

“मैं तुमसे ऐसे बातें कर रहा हूं मानो तुम उपस्थित थे,और इस समय तुम नहीं हो। परन्तु देखो, यीशु मसीह ने मुझे दिखाया है, और मैं तुम्हारे काम जानता हूं।”

कृपया याद रखें कि मॉरमन की पुस्तक भविष्य की ओर देखती है और इसमें हमारे समय की परिस्थितियों और चुनौतियों में मेरे और आपके लिए महत्वपूर्ण सिद्धांत, चेतावनियां और सबक शामिल हैं।

धर्मत्याग दो बुनियादी स्तरों पर हो सकता है—संस्थागत और व्यक्तिगत। संस्थागत स्तर पर, अंतिम-दिनों के संतों का यीशु मसीह का गिरजा धर्मत्याग के माध्यम से खोएगा नहीं और न ही इसे पृथ्वी से वापस लिया जाएगा।

भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ ने घोषणा की: “कोई भी अपवित्र हाथ इस कार्य को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता … ; परमेश्वर की सच्चाई साहसपूर्वक, उदारता के साथ, और स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ेगी, जब तक कि यह हर महाद्वीप में प्रवेश न कर जाए, हर देश में न पहुंच जाए, और प्रत्येक कान में न सुनाई जाए, जब तक परमेश्वर के उद्देश्यों पूरे नहीं किए जाएंगे, और महान यहोवा जब तक यह न कहेगा कि कार्य सम्पन्न हो गया है।”

व्यक्तिगत स्तर पर हम से प्रत्येक को “घमंड से सर्तक रहना चाहिए, कहीं ऐसा न हो [हम] प्राचीन नफाइयों के समान बन जाएं।”

यदि आप या मैं सोचते हैं कि हम घमंड के अहंकार से बचने के लिए काफी मजबूत और दृढ़ हैं, तो मेरा विनम्रता से सोचना है कि शायद हम इस घातक आत्मिक बीमारी से पीड़ित हैं। सरल शब्दों में कहें, यदि आप या मैं यह नहीं मानते कि हम भी अंहकार से पीड़ित हो सकते हैं, तो हम कमजोर और आत्मिक खतरे में हैं। दिनों, सप्ताहों, महीनों या वर्षों के थोड़े समय में, हम अपने आत्मिक जन्मसिद्ध अधिकार को दाल से भी तुच्छ समझ कर खो सकते हैं।

यदि, आप या मैं मानते हैं कि हम अंहकार से पीड़ित हो सकते हैं, तो हम निंरतर उन छोटे और सरल कार्यों को करेंगे जो हमारी रक्षा करेंगे और बच्चों की तरह आज्ञाकारी, विनम्र, दीन, सहनशील, प्रेम से परिपूर्ण होकर उन सारी बातों के प्रति समर्पित होने में हमारी मदद करेंगे जिन्हें प्रभु [हमारे] लाभ के लिए लागू करता है” “आशीषित हैं वे जो विनम्र होने के लिए विवश किये जाने की बजाय खुद को स्वयं ही विनम्र करते हैं।”

जब हम अध्यक्ष बेन्सन की सलाह का अनुसरण करते और स्वयं से पूछते हैं कि प्रभु ने मॉरमन को हिलामन की पुस्तक के अपने संक्षिप्त विवरण में उन वर्णनों, उपदेशों और चेतावनियों को शामिल करने के लिए क्यों प्रेरित किया, तो मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि हम आज अपने व्यक्तिगत जीवन और परिवारों की विशिष्ट परिस्थितियों के लिए इन शिक्षाओं की उपयोगिता को समझेंगे। जब हम इस प्रेरित अभिलेख का अध्ययन और मनन करते हैं, तो हमें देखने के लिए आंखों, सुनने के लिए कान, समझने के लिए मन और ग्रहण करने के लिए हृदय से आशीषित होंगे और हम सबक सीखेंगे कि “घमंड से सावधान रहना है, कहीं ऐसा न हो कि [हम] परिक्षा में पड़ जाएं।”

मैं आनंदपूर्वक गवाही देता हूं कि अनंत पिता परमेश्वर हमारा पिता है। यीशु मसीह उसका एकलौता और प्रिय पुत्र है। वह हमारा उद्धारकरत्ा है। और मैं गवाही देता हूं कि जब हम प्रभु की आत्मा की विनम्रता में चलते हैं, तो हम अंहकार से दूर रहेंगे और विजय प्राप्त करेंगे और उसमें शांति प्राप्त करेंगे। मैं यह गवाही प्रभु यीशु मसीह के पवित्र नाम में देता हूं, आमीन।