महा सम्मेलन
अपने विद्रोह के हथियारों को दफनाना
अक्टूबर 2024 महा सम्मेलन


अपने विद्रोह के हथियारों को दफनाना

क्या हम अपने जीवन में परमेश्वर के प्रति विद्रोह के किसी भी तत्व को - बहुत, बहुत गहराई से - दफना सकते हैं और उसकी जगह एक इच्छुक हृदय और एक इच्छुक मन से बदल सकते हैं।

मॉरमन की पुस्तक में दर्ज है कि मसीह के जन्म से लगभग 90 वर्ष पहले राजा मुसायाह के पुत्रों ने लमनाइयों के लिए 14-वर्षीय प्रचार कार्य शुरू किया था। कई पीढ़ियों से लमनाइयों को मसीह के सिद्धांत में विश्वास दिलाने के असफल प्रयास किए गए थे इस बार, हालांकि, पवित्र आत्मा के चमत्कारी हस्तक्षेप के माध्यम से, हजारों लमनाई लोग परिवर्तित हो गए और यीशु मसीह के शिष्य बन गए।

हम पढ़ते है, “और जैसे कि निश्चित तौर पर प्रभु जीवित है वैसे ही कई लोगों ने विश्वास किया, या अम्मोन और उसके भाइयों के प्रचार द्वारा कई लोगों को परमेश्वर का ज्ञान दिया गया, प्रकटीकरण और भविष्यवाणी की आत्मा के अनुसार, परमेश्वर की शक्ति उनके बीच चमत्कार करने लगी—हां, मैं तुमसे कहता हूं, जैसे कि प्रभु जीवित है वैसे ही कई लमनाइयों ने उनकी बातों में विश्वास किया, और कभी न भटकने के लिए प्रभु में परिवर्तित हो गए ।”

इन लोगों के स्थायी रूपांतरण की मुख्य कारण अगले छंद में बताई गई है: “क्योंकि वे धर्मी लोग बन गए थे; उन्होंने अपने विद्रोह का शस्त्र फेंक दिया, ताकि वे फिर से न तो परमेश्वर के विरूद्ध, न ही अपने भाइयों के विरूद्ध लड़ सकें।”

“विद्रोह के हथियारों” का यह उल्लेख शाब्दिक और आलंकारिक दोनों था। इसका अर्थ था उनकी तलवारें और युद्ध के अन्य हथियार, लेकिन साथ ही परमेश्वर और उसकी आज्ञाओं के प्रति उनकी अवज्ञा भी।

इन परिवर्तित लमनाइयों के राजा ने इसे इस प्रकार व्यक्त किया: “और अब देखो, मेरे भाइयों, अपने पापों का, और उन कई हत्याओं का पश्चाताप करने के लिए जिसे हमने किया है, क्योंकि हम केवल ऐसा ही कर सकते थे (जब कि हम सारी मानवजाति में सबसे अधिक भटके हुए थे), और जिसे परमेश्वर हमारे हृदयों से हटा देक्योंकि परमेश्वर के सामने उचित पश्चाताप के लिए हम केवल ऐसा ही कर सकते थे जिससे कि वह हमारे धब्बों को मिटा दे ।.”

राजा के शब्दों पर ध्यान दें—उनके सच्चे पश्चाताप ने न केवल उनके पापों की क्षमा की, बल्कि परमेश्वर ने उन पापों के दाग और यहाँ तक कि उनके ह्रदयों से पाप करने की इच्छा को भी दूर कर दिया। जैसा कि आप जानते हैं, परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह की अपनी पूर्व स्थिति में लौटने के जोखिम के बजाय, उन्होंने अपनी तलवारें दफना दीं। और उन्होंने अपने मानवीय हथियारों को दफना दिया, और अपने परिवर्तित हृदय के साथ उन्होंने पाप करने की अपनी प्रवृत्ति को भी दफना दिया।

हम अपने आप से पूछ सकते हैं कि इस प्रतिरूप का पालन करने के लिए हम क्या कर सकते हैं, “अपने विद्रोह के हथियार डाल दें” चाहे वे कुछ भी हों और “प्रभु की ओर इतने परिवर्तित हो जाएं” कि पाप का दाग और पाप की इच्छा हमारे हृदय से दूर हो जाए और हम कभी भी भटके नहीं ।

विद्रोह सक्रिय या निष्क्रिय हो सकता है। जानबूझकर विद्रोह का उत्कृष्ट उदाहरण लूसिफ़र है, जिसने, पृथ्वी-पुर्व की दुनिया में, पिता की मुक्ति की योजना का विरोध किया और दूसरों को भी इसका विरोध करने के लिए एकजुट किया, “और, उस दिन, बहुत से लोग उसके पीछे हो लिए।” हमारे समय में उनके निरंतर विद्रोह के प्रभाव को समझना कठिन नहीं है

मॉर्मन की पुस्तक में मसीह-विरोधियों की अपवित्र तिकड़ी - शीरम, नीहोर और कोरीहर - परमेश्वर के विरुद्ध सक्रिय विद्रोह का एक उत्कृष्ट अध्ययन प्रस्तुत करती है। नीहोर और कोरीहर की सर्वव्यापी मान्यता यह थी कि कुछ भी पाप नहीं है; इसलिए, पश्चाताप की कोई आवश्यकता नहीं है, और कोई उद्धारकर्ता नहीं है। “प्रत्येक मनुष्य अपनी प्रतिभा के अनुसार समृद्ध होता है, और … प्रत्येक मनुष्य अपनी शक्ति के अनुसार विजय प्राप्त करता है; और मनुष्य जो कुछ भी करता है वह कोई अपराध नहीं है।” मसीह-विरोधी धार्मिक अधिकार को अस्वीकार करता है, धर्मविधि और अनुबन्धो को “प्राचीन याजकोद्वारा शक्ति और अधिकार हड़पने के लिए निर्धारित किए गए” प्रदर्शन के रूप में चित्रित करता है।

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विलियम डब्ल्यू. पार्मले

सक्रिय विद्रोह का एक सुखद अंत वाला आधुनिक उदाहरण विलियम डब्ल्यू. फेल्प्स की कहानी है। फेल्प्स 1831 में गिरजा में शामिल हुए और उन्हें गिरजे की छपाई के कार्य के लिए र नियुक्त किया गया। उन्होंने कई प्रारंभिक गिरजा प्रकाशनों का संपादन किया, कई स्तुतिगीत लिखे, और जोसेफ स्मिथ के लिए एक लेखक के रूप में कार्य किया। दुर्भाग्यवश, वह गिरजा और भविष्यवक्ता के खिलाफ हो गया, यहां तक ​​कि उसने मिसौरी की अदालत में जोसेफ स्मिथ के खिलाफ झूठी गवाही भी दी, जिसके कारण भविष्यवक्ता को वहां जेल की सजा हुई।

बाद में फेल्प्स ने जोसेफ को पत्र लिखकर क्षमा मांगी। “मैं अपनी स्थिति जानता हूं, आप इसे जानते हैं, और परमेश्वर इसे जानता है, और अगर मेरे दोस्त मेरी सहायता करेंगे तो मैं बचाया जाना चाहता हूं।”

अपने उत्तर में भविष्यवक्ता ने कहा: “यह सच है कि तुम्हारे व्यवहार के परिणामस्वरूप हमें बहुत कष्ट उठाना पड़ा है। … हालाँकि, प्याला पी लिया गया है, हमारे स्वर्गीय पिता की इच्छा पूरी हो गई है, और हम अभी भी जीवित हैं। … चलो, प्यारे भाई, चूंकि युद्ध बीत चुका है, क्योंकि पहले के दोस्त अंततः फिर से दोस्त ही होते हैं।”

सच्चे पश्चाताप के साथ, विलियम फेल्प्स ने अपने “विद्रोह के हथियारों” को दफना दिया, एक बार फिर पूर्ण संगति में उनका स्वागत किया गया, और वे फिर कभी पीछे नहीं हटे।

हालाँकि, शायद परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह का सबसे घातक रूप निष्क्रिय संस्करण है — हमारे जीवन में उसकी इच्छा को अनदेखा करना। बहुत से लोग जो कभी सक्रिय विद्रोह के बारे में नहीं सोचते, वे अभी भी दिव्य निर्देश की परवाह किए बिना अपने स्वयं के मार्ग पर चलते हुए परमेश्वर की इच्छा और वचन का विरोध कर सकते हैं। मुझे वर्षों पहले गायक फ्रैंक सिनात्रा द्वारा गाया गया वह गीत याद आ रहा है, जिसकी चरम पंक्ति है, “मैंने इसे अपने तरीके से किया।” निश्चित रूप से, जीवन में व्यक्तिगत पसंद और व्यक्तिगत चुनाव के लिए बहुत जगह है, लेकिन जब उद्धार और अनन्त जीवन की बात आती है, तो हमारा शीषर्क गीत होना चाहिए, “मैंने इसे परमेश्वर के तरीके से किया,” क्योंकि वास्तव में कोई अन्य तरीका नहीं है।

उदाहरण के लिए बपतिस्मा के बारे में उद्धारकर्ता का उदाहरण लीजिए। उसने पिता के प्रति विश्वसनीयता के रूप में और हमारे लिए उदाहरण के रूप में बपतिस्मा लिया:

“उसने मानव संतान को दिखाया कि, मानव रूप में उसने अपने आपको पिता के सामने दीन बना लिया था; और उसने पिता को गवाही दी कि वह आज्ञाओं का पालन करते हुए उसका आज्ञाकारी बना रहेगा। …

“और उसने मनुष्यों से कहा, मेरा अनुसरण करो । इसलिए, मेरे प्रिय भाइयों, क्या हम यीशु का अनुकरण कर सकते हैं जब तक कि हम पिता की आज्ञाओं का पालन करने की इच्छा न करें?”

यदि हमें मसीह के उदाहरण का अनुसरण करना है तो “अपना तरीका” छोड़ना होगा । मसीह और उसके उद्धार को स्वीकार करने के बजाय, एक अलग रास्ता खोजने की कोशिश करना, बाबुल की मीनार पर काम करने की निरर्थकता के समान है।

तलवारें और अन्य हथियार जिन्हें परिवर्तित लमनाइयो ने दफना दिया था, विद्रोह के हथियार थे क्योंकि उन्होंने उनका प्रयोग किस प्रकार किया था। उनके बेटों के हाथों में हथियार, जो परिवार और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए इस्तेमाल किए जा रहे थे, वे किसी भी तरह से परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह के हथियार नहीं थे नफाइयों के हाथों में ऐसे हथियारों के बारे में भी यही सच था: “क्योंकि न तो वे राष्ट्र के लिए और न ही ताकत के लिए लड़ रहे थे परन्तु … वे अपने घरों, अपनी स्वतंत्रता, अपनी पत्नियों और अपने बच्चों, और अपनी हर चीज के लिए लड़ रहे थे, हां, उपासना की अपनी रीति और अपने गिरजे के लिए लड़ रहे थे।”

इसी तरह, हमारे जीवन में भी ऐसी चीज़ें हैं जो तटस्थ या स्वाभाविक रूप से अच्छी हो सकती हैं लेकिन गलत तरीके से इस्तेमाल किए जाने पर “विद्रोह के हथियार” बन जाती हैं। उदाहरण के लिए, हमारी वाणी शिक्षाप्रद या अपमानजनक हो सकती है। जैसा कि याकूब ने कहा:

“परन्तु जीभ को कोई वश [में नहीं कर] सकता; वह एक अनियंत्रित बुराई है, जो प्राणघातक विष से भरी हुई है।

“इसी से हम परमेश्वर पिता को धन्य कहते हैं, और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्वरूप में उत्पन्न हुए हैं शाप देते हैं।

“एक ही मुंह से आशीष और शाप दोनों निकलते हैं। मेरे भाइयो, ये बातें ऐसी नहीं होनी चाहियें।”

आज सार्वजनिक और व्यक्तिगत चर्चा में बहुत कुछ दुर्भावनापूर्ण और मतलबी है। यहां तक ​​कि युवाओं के बीच भी बहुत सी बातचीत अश्लील और अपवित्र होती है। इस प्रकार की बोली, अपवित्र भाषा , परमेश्वर के विरुद्ध “विद्रोह के हथियार” हैं, जो “घातक विष से भरे हुए हैं।”

एक और उदाहरण पर गौर कीजिए जो मूलतः अच्छा है लेकिन जिसे परमेश्वर के निर्देशों के खिलाफ़ विद्रोह में बदला जा सकता है—एक व्यक्ति कि व्यवसाय । किसी भी पेशे, व्यवसाय या सेवा में वास्तविक संतुष्टि मिल सकती है, और हम सभी को विभिन्न क्षेत्रों में समर्पित और प्रतिभाशाली लोगों द्वारा की गई उपलब्धियों और सृजन से लाभ मिलता है।

फिर भी, यह संभव है कि व्यवसाय के प्रति समर्पण किसी के जीवन का सर्वोपरि केंद्र बन जाए। तब बाकी सब कुछ अप्रधान हो जाता है, जिसमें उद्धारकर्ता द्वारा किसी के समय और प्रतिभा पर किया गया दावा भी शामिल है। पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए, विवाह के वैध अवसरों को छोड़ देना, अपने जीवनसाथी के साथ बने रहने और उसे ऊपर उठाने में असफल होना, अपने बच्चों का पालन-पोषण करने में असफल होना, या यहां तक ​​कि केवल जीविका में उन्नति के लिए जानबूझकर बच्चों के पालन-पोषण कि जिम्मेदारी से बचना, प्रशंसनीय उपलब्धि को विद्रोह के रूप में परिवर्तित कर सकता है।

दूसरा उदाहरण हमारे भौतिक अस्तित्व से संबंधित है। पौलुस हमें याद दिलाता है कि हमें शरीर और आत्मा दोनों से परमेश्वर की महिमा करनी है, और यह शरीर पवित्र आत्मा का मंदिर है, “जो तुम्हें परमेश्वर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो।” इसलिए, हमें अपने शरीर की यथासंभव देखभाल करने में समय व्यतीत करने में उचित रुचि है। हममें से कुछ ही लोग प्रदर्शन के उस शिखर तक पहुंच पाएंगे जो हमने हाल ही में ओलंपिक और पैरालिंपिक एथलीटों की उपलब्धियों में देखा है, और हममें से कुछ लोग उम्र के प्रभावों का अनुभव कर रहे हैं, या जिसे अध्य्क्ष एम. रसेल बैलार्ड ने “ढीले हो रहे कील” कहा है।

फिर भी, मेरा मानना ​​है कि जब हम अपने सृष्टिकर्ता को उसके अद्भुत उपहार, भौतिक शरीर की देखभाल करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते हैं, तो वह प्रसन्न होता है। अपने शरीर को विकृत करना, उसका दुरुपयोग करना, या स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए हर संभव प्रयास न करना विद्रोह का प्रतीक होगा। साथ ही, घमंड और अपने शरीर, रूप या पहनावे को लेकर भ्रमित हो जाना, दूसरी ओर विद्रोह का एक रूप हो सकता है, जो व्यक्ति को परमेश्वर के बजाय परमेश्वर के उपहार की अराधना करने की ओर ले जाता है।

अन्त में, परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह के अपने हथियारों को दफनाने का अर्थ है पवित्र आत्मा के प्रलोभन के आगे झुकना, स्वाभाविक मनुष्यत्व को उतार फेंकना और “प्रभु मसीह के प्रायश्चित के द्वारा संत” बनना। इसका अर्थ है पहली आज्ञा को अपने जीवन में प्रथम स्थान पर रखना। इसका अर्थ है परमेश्वर को विजयी होने देना। यदि परमेश्वर के प्रति हमारा प्रेम और अपनी पूरी शक्ति, मन और ताकत के साथ उसकी सेवा करने का हमारा दृढ़ संकल्प वह स्वर्णिम माध्यम बन जाए जिसके द्वारा हम सभी चीजों का न्याय करें और अपने सभी निर्णय लें, तो हमने विद्रोह के अपने हथियारों को दफना दिया होगा। मसीह के अनुग्रह से, परमेश्वर हमारे अतीत के पापों और विद्रोहों को क्षमा कर देगा और हमारी आत्माओं से उन पापों और विद्रोहों के दाग को हटा देगा। समय के साथ, वह हमारे हृदयों से बुराई की इच्छा को भी दूर कर देगा, जैसा कि उसने अतीत में उन लमनाइ परिवर्तित लोगों के साथ किया था। उसके बाद, हम भी ‘कभी नहीं चूकेंगे।’

अपने विद्रोह के हथियारों को दफनाने से एक अनोखी खुशी मिलती है। हम उन सभी लोगों के साथ, जो कभी प्रभु में परिवर्तित हुए हैं, “मुक्तिदायक प्रेम का गीत गाने के लिए लाए गए हैं।” हमारे स्वर्गीय पिता और उनके पुत्र, हमारे मुक्तिदाता, ने सबसे गहरे प्रेम और बलिदान के माध्यम से हमारी परम खुशी के लिए अपनी अंतहीन प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। हम प्रतिदिन उनके प्रेम का अनुभव करते हैं। निश्चय ही हम अपने प्रेम और निष्ठा से उसका प्रतिदान कर सकते हैं। आइए हम अपने जीवन में परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह के किसी भी तत्व को दफना दें, उसकी जगह एक इच्छुक हृदय और इच्छुक मन को लाएँ, और खुशी से उस दिन की प्रतीक्षा करें । यीशु मसीह के नाम में, आमीन।